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कश्मीर मेरे मेलबॉक्स में सिमट जाता है

आज अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि आगा शाहिद अली की दसवीं पुण्यतिथि है. महज ५२ साल की उम्र में दुनिया छोड़ जाने वाले इस कश्मीरी-अमेरिकी कवि के बारे में कहा जाता है कि इसने अंग्रेजी कविता का मुहावरा बदल कर रख दिया. नई संवेदना, नए रूप दिए. अंग्रेजी में गज़लें लिखीं. आज उनकी याद में कुछ कविताएँ हिंदी अनुवाद में.



1.
मैं नई दिल्ली से आधी रात में कश्मीर देखता हूँ

‘ अब्बा से नहीं कहना मैं मर रहा हूँ’, वह कहता है
और मैं सड़क पर फैले खून के सहारे उसके पीछे चल पड़ता हूँ
और सैकड़ों जोड़ी जूते जो शोक मनाने वाले
पीछे छोड़ गए, जब वे शव-यात्रा से भागे थे,
गोलीबारी के शिकार. खिड़कियों से हमें
माँओं का मातम सुनाई देता है, और बर्फ हमारे ऊपर गिरने
लगती है, राख की मानिंद. शोलों के किनारों की स्याह लपक,
वह पड़ोसियों में फर्क नहीं कर सकती,
आधी रात के सिपाही घरों को आग के हवाले कर देते हैं.     
कश्मीर जल रहा है.

2.
कश्मीर मेरे मेलबॉक्स में सिमट जाता है,
चार गुना छः इंचों का मेरा साफ़-सुथरा घर.
मुझे साफ़-सुथरापन हमेशा से पसंद था.
अब मेरे हाथों में आधे इंच का हिमालय है.
यह घर है. और यह सबसे नज़दीक है
जो मैं कभी अपने घर के जा पाऊंगा.
जब मैं लौटूंगा, रंग उतने चटख नहीं रह पायेंगे,
और न झेलम का पानी इतना साफ़,
इतना लाजवर्दी. मेरा प्यार
इतना प्रकट. 
और मेरी स्मृति दृश्य से थोड़ा बाहर होगी,
उस विशाल, श्वेत-श्याम नेगेटिव में,
जिसे डेवलप किया जाना बाकी है.

3.
दो राष्ट्रों का सिद्धांत मर चुका है
लेकिन बड़े-बुजुर्ग नहीं भूलते.
शरणार्थियों के इस शहर में
रेलगाड़ियां भूतों की तरह चलती हैं
बड़े-बुजुर्ग नहीं भूलते.
मेरे दोस्त के दादाजी
अफ़सोस से भरे हुए
चेताते हैं: ये मुसलमान कसाई:
सावधान रहना: पीठ में छुरा भोंकते हैं.
मैंने अपने प्यारे लाहौर को खो दिया.
मेरा दोस्त और मैं बल्कि सीधे-सादे हैं:
हमने विभाजित महादेश कभी देखा ही नहीं.

4.
यकीन कीजिए मेरा,
वह यहां बैठता था उस गंदले कोने में
सर्दी और गर्मी में, सर्दी, गर्मी.
आज सुबह वह वहाँ नहीं था
अपनी प्राचीन दाढ़ी
और अपने फैले हुए हाथों के साथ
सफाई वाले ने बताया वे उसे ले गए
सवेरे के कचरे के साथ.




 
      

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7 comments

  1. prabhat ji, mujhe bilkul pata nahi tha ki aap kaavyanuvaad mein bhi itne nishnaat hein.bahut sundar.
    piyush daiya

  2. राजनैतिक वर्चस्व की लड़ाई में असंभव होता मानव जीवन और उसके संत्रास मुखर हुए हैं कविताओं में ! मार्मिक !

  3. बहुत अच्छी लगीं ये कविताएँ . मार्मिक हैं ..

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