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ओ प्यारी मलाला हम बड़े रंज में हैं

मलाला युसुफजई का नाम आज पकिस्तान में विरोध का प्रतीक बन चुका है. हिंदी की कवयित्री अनीता भारती ने उनके विद्रोह, संघर्ष को सलाम करते हुए कुछ कविताएँ लिखी हैं. पढ़िए, सराहिये- जानकी पुल.



1.
ओ सिर पर मंडराते गिद्धों
सुनो!
अब आ गई तुम्हारे हमारे फैसले की घड़ी
छेड़ी है तुमने जंग
तुमने ही की है 
इसकी शुरुआत
सुनो गिद्धों!
तुम्हारी खासियत है
कि तुम खुलकर कभी नही लड़ते
दूर से छिप कर करते हो वार
आंख गड़ाए रखते हो हर वक्त
हमारे खुली आंखो से
देखे जा रहे सपनों पर

सुनो गिद्ध!
तुम्हें बैर हर उस चीज से जो 
खूबसूरत है, जो सुकून देती है
उस नन्ही चिरैया से भी
जो खुशी से हवा में विचर रही है
खेल रही हंस-गा रही है
नहीं पसंद आता तुम्हें उसका 
उल्लास में भर कर चहकना
तुम अपने कंटीले अहंकार में झूम कर
अपने बारूदी नुकीली पंजों से
छीन लेना चाहते हो
उस नन्ही चिरैया का वजूद
पर क्या सचमुच छीन पाओगे तुम

सुनो गिद्ध
जब आंधी तूफान नही उड़ा पाती उसका वजूद
तब तुम्हारा क्या वजूद
उस नन्ही चिड़ियां के सामने 
जो तुम्हारे सामने फुदक रही
और नए आने वाली सुबह का
आगाज कर रही है।
———————————————————————————
2)

सुनो गिद्धों सुनो!
तुम लाख फैलाओं अपने पंजे
नहीं जकड़ पाओगे उस
नन्ही चिड़ियां को
उसके इरादे, हिम्मत और जज्बे को
सुनो तुम बहुत डरपोक हो
नहीं देते तुम तर्क का जबाब तर्क से
नहीं सुनते तुम हक की बात हक से
तुम्हारे लिए
हक बराबरी
सबका मतलब
सिर्फ तुम्हारा रहम है
ताकि तुम्हारे खौफ की सत्ता कायम रहे
ताकि एक भ्रम की सत्ता कायम रहे

शिक्षा पहचान स्वतंत्रता
तुम्हारे लिए अपनी मौत
या मौत के फरमान से कहीं ज्यादा
खतरनाक वे सुबहें है
जिनसे उन अंधेरों का वजूद मिट जाए
जिनकी वजह से तुम्हारे खौफ की सत्ता कायम है

सुनो स्वात घाटी पर मंडराते गिद्धों
तुम्हारे सच के अलावा
कुछ और भी सच है
जिसे तुम सुनना नही चाहते
जिसे किसी जिंदगी के गीत की तरह
सारे जहां के बच्चे गा रहे हैं

सुन रही हो बिटिया मलाला!
सारा आवाम रोते हुए कह रहा है
ओ प्यारी मलाला

हम बड़े रंज में हैं 
सुनो बिटिया मलाला
तुम्हारे जैसी हजारो बच्चियां
तुम्हारे लिए निकाल रही है कैंडल मार्च
और सुनो बिटिया मलाला
मौलवी भी कर रहे है
तुम्हारे लिए दुआ की बरसात
देश की सीमाओं से परे उठ रहे है हाथ
तुम्हारी सलामती के लिए
सुन रही हो बिटिया मलाला
अभी-अभी हमसे दूर गई है
आरफा करीम रंधावा

नही खो सकते हम तुम्हें

सुनो मलाला बिटिया
इन जंगली गिद्धों ने जबरन 
बंद कराए थे जो चार सौ स्कूल
उनकी नई चाबी खोजनी है तुम्हें
क्योंकि ये फकत स्कूल नही
ये ऱोशनी की वे मीनारें है, 
जिस पर चढना है तुम्हारी नन्ही सहेलियों को
जहां से नीचे झांकने पर दुनिया के
तमाम बदनुमा धब्बे
और ज्यादा साफ दिखाई देने लगते हैं
और उनसे लड़ना ज्यादा आसान हो जाता है

सुनो मलाना बिटिया
तुम भारत की नन्ही सावित्री बाई फूले हो
वह भी 14 साल की उम्र निकल पडी थी
दबी कुचली औरतों के लिए
उन स्कूलों के ताले खोलने
जिन्हे जड़ रखा था
धर्म जाति की सत्ता में
चूर सिरफिरों ने 

सुनो मलाना सुनो सावित्री
कितने नीचे गिर गए है
वो लोग
जो स्कूल जाती लड़कियों के
सिरों पर गोली मारकर
उन्हें हमेशा के लिए
फना करना चाहते है
कितने क्रूर है वो लोग
जो आगे बढ़ती-स्त्री
को गोबर पत्थर लाठी डंडे
कोडों से मार रहे है
पर सुनो गिद्धों 
तुम्हारे कहर के बाबजूद चिडिया 
जरूर उडेगी 
और हर बार उसकी उडान
पहली उड़ान से ऊंची होगी…।

3)

ओ मलाला क्या तुम जानती थी …..
हमको इल्म महज इल्म 
की तरह सीखना होता है
बस एक छोटे दायरे को छूना होता है
कैसे हंसे कैसे संवरे
कैसे परिवार की बेल को बढाएं
कैसे आने वाले मौसम को खुशगवार बनाए
पर मलाला तुम सच में बहुत समझदार निकली..
तुम तो सच में ही
इल्म को इल्म की तरह पढने लगी
और उस पर कुफ्र ये किया कि
दूसरी अपने जैसियों को इल्म बाँटने चली
ओ शाबाश बच्ची मलाना …
तुमने अच्छा किया
देखो अब जो चली हो 
चलती जाना 
बिल्कुल नही रुकना 
पीछे देखो 
कितनी चिंगारियां 
भभककर जल उठने को तैयार है…

अनीता भारती 

 
      

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12 comments

  1. बेशक … बहुत संवेदनशील कविता है..सार्थक अभिव्यक्ति.. अनीता भारती जी को बधाई.. !!

  2. malala ke sahas ko salam karti kavitayen.

  3. प्रतिरोध के सशक्त स्वर को बुलंद करती कविता है

  4. इल्म को इल्म की तरह पढने लगी
    और उस पर कुफ्र ये किया कि
    दूसरी अपने जैसियों को इल्म बाँटने चली
    ओ शाबाश बच्ची मलाना …vaah….bahut hee samsaayik …

    जमाने भर का दुष्ट रक्त बहता है उनकी रगो में

    जिस समय उन दाढ़ी वाली लोगों ने
    तुम्हारे सिर और गले पर गोली मारी
    तो वह सिर्फ तुम्हारा मुंह और दिमाग बंद करना चाहते थे
    वो कुछ और कर भी नहीं सकते मलाला
    क्योंकि उनके दिमाग और गले पहले ही बंद हैं…….आभा मोंढे निवसरकर

    प्रगतिशील ताकतों के कमजोर हो जाने से, ताकियानूसी विचार विश्व भर में फिर जोर मार रहे हैं। पाताल लोक में धंसी खाप पंचायतें तरह-तरह के फतवे गढ़ रही हैं। यहाँ पुरुष वर्चस्वशाली कमीनीगीरी का सबसे ज्यादा जोर स्त्रियों पर आजमाईश हो रहा है। उन्हें तिमिर से भरे गहरे विविरों में धकेला जा रहा है।
    मलाला का संघर्ष सामंती हथकंडों के खिलाफ़ लड़ने की मजबूती देता है ।
    इस बच्ची के सिर में गोली मारी गयी है , उसकी रीढ़ की हड्डी में गोली फंसी हैं …ऑपरेशन किया गया है …आओ हम कामना करें वह जल्द से जल्द ठीक हो।

  5. प्रतिरोध की बेहद सामयिक और ज़रूरी कविता… सलाम…

  6. ek asadharan bitiya ke liye behad pyari kavita…

  7. ek asadharan bitiya ke liye behad pyari kavita…

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