Home / ब्लॉग / मैं सोना चाहता हूँ थोड़ी देर सब भूलना चाहता हूँ

मैं सोना चाहता हूँ थोड़ी देर सब भूलना चाहता हूँ

युवा कविता में तुषार धवल की आवाज बेहद अलग है और अकेली भी. कविता के शिल्प और भाषा को लेकर तो वे लगातार प्रयोग करते रहते हैं. हर बार अक नया मुहावरा बनाते हैं फिर उसको तोड़ देते हैं. कंटेंट तो ‘पावरफुल’ होता ही है. इन दिनों वे लंबी कविताएँ लिख रहे हैं. बहुत कम कवि हैं जो लंबी कविता के शिल्प को इतनी खूबी से साध पाते हैं. पढ़िए उनकी कविता- आदमी क्या कहता है- जानकी पुल.
==========


आदमी क्या कहता है  
कई आवाज़ों का कानफाड़ू कट्टर कोलाहल उसकी कॉलर पकड़ कर घसीटता हुआ अपनी तरफ  खींचता उसके कान उसका गला दबा कर जब तक कि उसकी जीभ बाहर ना लटक जाये उसकी आँखें फट ना जायें वह नीला ना पड़ जाये इस स्याह हवा के मौसम में जिसमें वह उबल रहा है
उसकी त्वचा उबाल कर छीली जा रही है उसकी हवा में एसिड है उसकी साँस में अम्ल की चाह
बुरादे भरे जा रहे हैं उसमें अपनी अपनी आवाज़ों के  

वह अब एक थकी हुई बोरी है जिसमें शोर भर गया है जो उसकी आवाज़ पी चुका है
कट्टर आवाज़ों का कोलाहल घुमड़ता हुआ फाड़ता हुआ उसकी जड़ों को
कोलाहल नकारता हुआ उसकी आवाज़ों को …. कोलाहल कोलाहल कोला का हल…
आओ आओ आओ ले लो ले लो ले लो सुनो सुनो सुनो वर्ना…अबे सुन साले!
उफ ! घुटन! बेचैनी! उफ! आवाज़ें…. !!
बंद कर दो खिड़कियों को गिरा दो सारे पर्दे कर दो मेरे घर में अंधेरा 
छोड़ दो, रहम करो, माफ करो भाई ! जीने दो प्लीज़ मुझे भी !!
अरे अर्रर…अर्रे!  ज़रा ध्यान से, ओ भाईसाहब ! प्लीज़…!  
मैं जीना चाहता हूँ रहम करो मुझ पर मेरे कान में यह क्या गड़ता रहता है
कुछ गलता है हृदय में कुछ जमता रहता है मेरे भीतर अरे भई ! ऑह्हो ! प्लीज़ यार !
चुप भी करो अब और मत उतरो मेरे कानों में मेरी नाक मत दबाओ साँस लेने दो मुझे बंद करो ना यह सब भई प्लीज़…. प्लीज़ … खदकते एसिड से उठता सा शोर… शोर का रोर
शोर्र का रोर्र… रोर रोर्र् रोर् र्रर्रर्र … समय की घिसन पट्टी पर घिर्र घिर्रर्र घिर्रर्रर्र ….र्र र्र र्र…
आओ आओ आओ ले लो ले लो ले लो सुनो सुनो सुनो वर्ना…अबे सुन साले!
धर्म कट्टर अधर्म कट्टर आस्तिक नास्तिक मार्क्स कट्टर गाँधी कट्टर बाज़ार प्रचार नीति कट्टर सक्सेस सेंसेक्स उदार कट्टर        सब कट्टर
कटर कटर कतरते दिन कट्टर
कट कट कट कट कट्ट कट्ट कट्ट कट्टर ट्टर टर टर टर्र टर्र उफ्फ ! बंद करो छोड़ दो मुझे
कटकटाते हैं जबड़े घिस जाते हैं कट् कट्ट कट् कट्ट
सफलता का संघर्ष कट्टर वाद अपवाद विवाद कट्टर
कहीं जगह नहीं थोड़ी भी साँस की
आवाज़ें आवाज़ें आवाज़ें कोलाहल कोलाहल कोला का हल हल्ल… हल टूटा हुआ पुल टूटा हुआ साँस की नली पर फेंफड़े जाम कफ़ है बलगम बेलगाम है उफ्फ ! पागल जंज़ीरें आवाज़ें आवाज़ें आवाज़ें सुनो सुनो सुनो ले लो ले लो ले लो इधर आओ मुझे देखो मुझे मानो वर्ना… अबे सुन साले !… जाता कहाँ है मादरचोद !…
इस बीच एक ब्रेक
हाँफता है 
चुप है आँखें नीची नाक बंद कान के पर्दे उजड़े हुए
यह हर एक पल की थर्ड डिग्री है
धक धक्क धक धक्क … अभी ज़िंदा है
चलो कोई बात नहीं अभी और सुनेगा उसे सुनना ही पड़ेगा जायेगा कहाँ
बॉस बीवी बच्चे परिवार पड़ोसी प्यार टी.वी. खबरें विज्ञापन माँगें उचित अनुचित नगाड़े… नगाड़ों की चमड़ी सा थरथराता है जीवन खबरें विज्ञापन शोर शोर शोर पुकार चीख चीख चीख तीखी होती हुई उतरती कानों में बेरोक उमड़ती बवण्डर सी तड़कती बिजली सी ध्वंस ध्वंस ध्वंस के करीब कुछ गरम तेल सा उतरता है कान में पर्दे जिसके उजड़ चुके है चीख चीख चीख ट्रैफिक धुआँ विस्फोट यंत्रणा शोर शोर शोर सिर पर चढ़ कर सिर पर उतर कर सिर में घुस कर नाचता है कनपट्टी पर तमाचे जड़ता थाप ढोल की उसकी चमड़ी पर उफ्फ !!  
बस करो भाई ! कह्हाँ घुसे आ रहे हो ? अब रहने दो ना !
साँस लेने दो  
थोड़ा रुको …
सन्नाटा चिल्लाता हुआ  
बहरा समय
वह खुद क्या है बस यही तय नहीं हो पाता
हे ईश्वर ! कुछ करो
घण्टे मंदिर के
लाउड्स्पीकर पताकाओं के बीच बेसुरी आवाज़ों में मंत्रोच्चार आरती गान
आदिम शिलाष्मसे उसी गूँज में अब तक वहीं 
और वही आवाज़ें
अज़ान
अज़ान ऊँची तल्ख़ मीनारों सी आगाह करती अल्लाह से नाफ़रमानी से इस्लाम पर खतरों से
जीसस क्राईस्ट !
तुम सब भटके हुए हो यहाँ आओ चैपल में यही एक मात्र महान ईश्वर है हम कोशिश करेंगे उन छोटे ईश्वरों से बचा कर तुम्हें सुधारने की हमारी बात मान लो…
हमारा प्रॉडक्ट खरीद लो एक पर एक मुफ्त… ऑफर सीमित जल्दी करो !
बेचो खरीदो मारे जाओ…. हमें मुनाफा दो
जिहाद धर्मयुद्ध धर्मांतरण धर्म का मुनाफा सत्ता से सम्भोग आदि ब्रह्मचर्य में
सुनो सुनो सुनो ईश्वर यहीं इसी धर्म में मिलेगा बाकी सब झूठे हैं तुम मुग़ालते में हो
आओ यहाँ हमारे पास तुम शैव हो ? शाक्त हो ? वैष्णव हो ? यह भ्रम है आओ मुस्कुराओ
बाबा जी की शरण में सुख है ज़न्नतें मयस्सर हैं इस नूर में नेस्तनाबूद कर दो काफिरों को आओ ईशू तुमसे प्यार करता है पवित्र जल से स्नान करो होली वॉटर माई चाइल्ड ! बैप्टाइज़ करेंगे तुम्हें
बाकी सब झूठे सिर्फ इसी इमारत में बैठा ईश्वर सच्चा है उसे ज़िंदा रखना है तो बाकियों को खत्म करना होगा … यह हत्या ज़रूरी है याद है कृष्ण का उपदेश? उत्तिष्ठ भारत ! मनु पुत्रो आओ ! हमें वोट दो ! भगवा भगवान है और वही तुम हो. उठाओ बारूद और बंदूकें मिटा दो अधर्मियों को यही पुरुषार्थ है अल्लाह ओ अकबर ! हर हर महादेव ! चीखें चीखें हिंसा हत्या बलात्कार आग आग खून खून आवाज़ें आवाज़ें आवाज़ें शोर शोर शोर का रोर रोर्र रोर्रर्र र्रर्र…र्रर्रर्र
अब शहर में कर्फ्यू है ! फ्लैग मार्च है ! अनाउंस्मेंट है पुलिस की !
इस बीच विज्ञापन जारी है बेब्रेक
रिपोर्टिंग है निंदा है आश्वासन है जाँच आयोग है सनसनी है और इन सबके बीच कॉमर्शियल ब्रेक… सबकी अपनी अपनी आवाज़ें हैं अपने अपने एजेंडे अपने अपने तुरुप के पत्ते और सबका शोर है कानफाड़ू शोर नगाड़ों का वहशी शोर कान में भर रहा है
तनाव है मन खिंचता जा रहा है, तनता जा रहा है अब तड़क उठेगा अब फट जायेगा
उफ्फ! कोई रोको
एक होड़ है हासिल की ज़रूरत से ज़्यादा की और सब सब को गिरा कर बढ़ रहे हैं
होड़ है संघर्ष असहिष्णु और तभी कट्टर  
धर्म की बाज़ार की दर्शन की उदारता की कट्टरता और सब के कट्टर झण्डे !
    
एड़ियों तले धड़कनें रौंदता कोई किसी कुर्सी तक बढ़ रहा है     
यह शोर है तुमुल है रण का
दुख है निराशा है अशांति है रण भूमि में
असंतुष्ट है यह सभ्यता जिस नदी पर बसी उसी को पी गई उसे ही मार डाला
गंगा की अस्थियों की DNA जाँच की खबर का भी शोर है  
बख्श दो मेरी जान !
मैं हिंदू ना मुसलमान    
एक अदना सा इंसान
मेरी एक ज़िंदगी है, जीना चाहता हूँ आप से कुछ नहीं माँगता
छोटा आदमी हूँ बीवी बच्चे हैं … साहब ! माई बाप रहम करो
मुझे छोड़ दो … प्लीज़
यह कट्टरता छोड़ दो        सुख मिलेगा       रुको ठहरो थोड़ा प्लीज़
तूफान थोड़ा रुका है …
फिर गड़गड़ाहट हो रही है और हर दिशा से शोर उठने लगा है …
कनफ्यूज़न है संशय है इस वक़्त कहीं कोई रेल तो नहीं गुज़र रही कहीं उसकी पटरी पर कुछ रखा हुआ तो नहीं है उसमें कितने लोग सवार हैं कहीं आग तो नहीं लग गई
अरे देखो तो टी.वी पर क्या खबर है … सब ठीक तो है
फिर कोई सिर फिरा कुछ कर ना बैठा हो बाज़ार में बेटी अब तक स्कूल से लौटी नहीं है  
आवाज़ आवाज़ें आवाज़ों का सैलाब चीख चीखें चीखों का सैलाब अज़ाब शोर का उमड़ने लगता है उठता गिरता पटकता सटकता देह की अंधेरी खोहों में खींचता हर सानाटे में अपनी तरफ
सुनो सुनो सुनो ले लो ले लो ले लो आओ आओ आओ सुनो सुन…. अबे सुन स्साले ! जाता कहाँ है सुन मादरचोद ! मेरी बात सुन और मान ले चुपचाप जैसा कहता हूँ कर, मेरा धरम कबूल ले, मैं जो बेचूँ खरीद ले, मैं जिसे कहूँ उसे वोट डाल जैसा कहूँ वैसा जी तभी ज़िंदा रह सकेगा.   चल ज्वॉएन कर ले हमें और पीछे पीछे चल… दुनियाँ बदलने वाली है
ले यह कैप्सुल खा
यह टी.वी पहन
टेक्नॉलोजी घुसा ले
इन गद्दों पर हग टॉयलेट में नहा चूतिये और सुनता रह वर्ना… तेरी माँ की…
वॉल्यूम कम करो ना प्लीज़  
एक अंधा बहरा वाचाल समय
अंसतुष्ट अराजक अधीर
उन्मादी समय
एक समय जिसे सब कुछ चाहिये और इसीलिये असंतुष्ट अधीर अराजक है
उसके स्वर का उन्माद है हर तरफ
धर्म ग्रंथों से निकलता विश्व की सीमाओं को लाँघता लोभ का उन्माद इक्षाओं का उन्माद
और बेचैन बेबर्दाश्त हर अन्य उसके लिये
मार्क्स गाँधी फ्रॉएड वेबर फुकुयामा चॉम्स्की
फिलिस्तीन साइप्रस तालिबान रूस बेरूत अज़रबाइजान
अण्णा अयोध्या अहमदाबाद
आवाज़ें आंदोलन अत्याचार
बम बिगुल बलात्कार
ब्रह्म रंध्रों में भ्रमर गुँजार नहीं बस कोलाहल गूँजता है अलग अलग आवाज़ों का
अलग अलग चीखों का
यह हवस की होड़ का हंगामा है
इक्षाओं और विचारों का अतिरंजित आवेश
 
      

About Prabhat Ranjan

Check Also

तन्हाई का अंधा शिगाफ़ : भाग-10 अंतिम

आप पढ़ रहे हैं तन्हाई का अंधा शिगाफ़। मीना कुमारी की ज़िंदगी, काम और हादसात …

10 comments

  1. "चुप है आँखें नीची नाक बंद कान के पर्दे उजड़े हुए
    यह हर एक पल की थर्ड डिग्री है"| "सन्नाटा चिल्लाता हुआ
    बहरा समय" बेहद सटीक उपमाये , एक सधा हुआ आक्रोश जो दिल से दिमाग तक को चीरता है, शुरू से आखिर तक बहता है "एड़ियों तले धड़कनें रौंदता कोई किसी कुर्सी तक बढ़ रहा है" एक दम अलग सी कविताएँ । बहुत उम्दा ….@तुषार धवल जी|

  2. वाह! तुषार जी के पास लम्बी कविता में बांधे रखने की अद्भुत क्षमता है. बहुत दिनों बाद एक पर्फोर्मबल कविता देखी है. शुभकामनाएं!

  3. जानकीपुल पर उम्दा पोस्ट है ..युवा कवि तुषार को बहुत पहले जानकीपुल में पढ़ा था फिर समालोचन पर ..एकदम बदलते मुहावरे के साथ। आज फिर उनकी एक लम्बी इंटेंस कविता पढ़ी …हमारे समय के शोर और विडम्बनाओं की गहन कविता ..

  4. Alguns arquivos de fotos particulares que você exclui do telefone, mesmo que sejam excluídos permanentemente, podem ser recuperados por outras pessoas.

  1. Pingback: Website

  2. Pingback: ดูบอลสด

  3. Pingback: ks

  4. Pingback: view website

  5. Pingback: see page

  6. Pingback: Codeless Test Automating Tools

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *