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बायरन के शहर में हिंदी का सायरन

ब्रिटेन के शहर नॉटिंघम की संस्था ‘काव्यरंग’ द्वारा आयोजित ‘शब्दों का त्यौहार’ कार्यक्रम की जीवंत रपट प्रस्तुत कर रहे हैं. रिपोर्ट कथाकार तेजेन्द्र शर्मा ने लिखी है- जानकी पुल.
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‘काव्यरंग’ ब्रिटेन के शहर नॉटिंघम की अग्रणी संस्था है। हाल ही में इस संस्था ने नॉटिंघम की एशियन ऑर्ट्स काउंसिल के साथ मिल कर ट्रेण्ट युनिवर्सिटी में एक अनूठे कार्यक्रम का आयोजन किया – शब्दों का त्यौहार यानी फ़ेस्टिवल ऑफ़ वर्ड्स । याद रहे कि नॉटिंधम लॉर्ड बायरन एवं डी.एच.लॉरेंस की जन्मस्थली है।

कार्यक्रम की शुरूआत में एशियन आर्ट्स काउंसिल के अध्यक्ष श्री राजेश शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया। पहले सत्र  में भिन्न भारतीय भाषाओं की पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। इनमें संतोख सिंह ढालीवाल (ते कौण मर गया – पंजाबी), चंचल सिंह बब्बक (आत्मकथा – ज़िन्दगी दियां पैरां – पंजाबी), फ़रज़ाना अख़तर (दर्द की नीली रगें – उर्दू), असी कश्मीरी (उर्दू नज़्में – उर्दू),अहमद मसूद – रौशनी है, उर्दू), सादिया सेठी (कभी नाराज़ मत होना – उर्दू), जय वर्मा (ई-बुक – सहयात्री हैं हम – हिन्दी), नीना पॉल (तलाश – हिन्दी), पुष्पा रॉव (ज़िन्दगी की शाम – हिन्दी), शिवेन्द्र सिन्हा (बेसिक्स ऑफ़ हिन्दुइज़म – अंग्रेज़ी), रूपम कैरल (बच्चों की कहानियां – सैमी दि स्नेल – अंग्रेज़ी), हरमिन्दर एस नेगी (क्लेक्शन ऑफ़ पोयम्ज़ – विश आई हैड अ मैजिक कार्पेट – अंग्रेज़ी), चन्द्रिका सेठ (यात्रा वृतांत – विश्व के आश्चर्यजनक देश – गुजराती)। पुस्तकों का लोकार्पण भारतीय उच्चायोग के बरमिंघम के काउंसल जनरल श्री  वी. एस. रामलिंगम द्वारा किया गया। इस सत्र का संचालन ब्रिटेन के प्रमुख कवयित्री एवं काव्यरंग की अध्यक्षा श्रीमती जय वर्मा ने की।  इसी सत्र में मुख्य अतिथि श्री रामलिंगम, विशिष्ट अतिथि श्री बिनोद कुमार (हिन्दी एवं संस्कृति अधिकारी, भारतीय उच्चायोग), श्री नाथ पुरी एवं श्री तेजेन्द्र शर्मा ने अपने विचार रखे व काव्यरंग को इस आयोजन के लिये बधाई दी।

दूसरे सत्र में काव्य रंग के भिन्न भाषाओं के कवियों ने अपनी कविताएं सुनाईं। यहां एक ख़ूबसूरत नज़ारा यह था कि कवि अपनी कविता अपनी भाषा (उर्दू, पंजाबी और हिन्दी) में सुना रहे थे जबकि पीछे स्क्रीन पर अंग्रेज़ी में वही कविता की स्लाइड दिखाई जा रही थी। इनमें से अधिकांश कविताओं का अनुवाद ब्रिटेन के प्रतिष्ठित कवि-कथाकार तेजेन्द्र शर्मा ने किया था। तेजेन्द्र शर्मा ने इस कार्यक्रम में एक विशिष्ट अतिथि के तौर पर भाग भी लिया। काव्य पाठ करने वाले कवियों में शामिल थे संदीप धीर (ओबामा – हिन्दी),  सोमदत्त शर्मा (संस्कार – हिन्दी), मीना सिन्हा (खोया या पाया – हिन्दी), रवि महाजन (ग़ज़ल – हिन्दी), आशिष सिन्हा (गणपति बप्पा – हिन्दी), श्रीहर्ष शर्मा (जन्मदिन हिन्दी), जय वर्मा (पेड़ का अस्तित्व हिन्दी), नीना पॉल (जांबाज़ हिन्दी), फ़रज़ाना ख़ान (चीज़ें – उर्दू), अनुष्का शाह (नीडल लेस – अंग्रेज़ी), जस बिल्खू (विलियम विलबरफ़ोर्स – पंजाबी), क़रार ख़ान (ग़ज़ल – उर्दू)। अधितकतर कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ स्वयं ही किया जबकि स्वर्गीय पण्डित सोमदत्त शर्मा की कविता का पाठ तेजेन्द्र शर्मा, श्रीहर्ष शर्मा की कविता का पाठ श्री बिनोद कुमार, नीना पॉल की ग़ज़ल का पाठ श्रीमती जोशी एवं चंचल सिंह जी की कविता का पाठ संतोख ढालीवाल ने किया। इस सत्र का कुशल संचालन जुगनू महाजन ने किया।

दोपहर के भोजन के बाद के पहले सत्र में कविता पाठ जारी रहा। इस सत्र में भाग लेने वाले कवियों के नाम हैं – हरमिन्दर नागी (अंग्रेज़ी), बलदीश बिल्खू (अंग्रेज़ी), संतोख ढालीवाल (पंजाबी), अहमद मसूद (उर्दू), शमीम अहमद (उर्दू), असी कश्मीरी (उर्दू) और हिन्दी के कवि – रेखा वशिष्ठ, अरुण फक्के, रत्ना पटेल, सोमेश चतुर्वेदी, चक्रधर राव, सुधा वशिष्ठ, जुगनू महाजन, एवं मनोरमा जैन ने कविता पाठ किया।

तेजेन्द्र शर्मा 
श्री बिनोद कुमार ने कविताओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये कविताएं संवेदनशील, आशावादी और दार्शिनक विचार लिये हैं। बीज वक्तव्य देते हुए मिडलैण्ड के प्रसिद्ध लेखक बाली राय ने दिया। उन्होंने शिक्षा, समाज एवं संस्कृति जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी। इन क्षेत्रों में अपने अनुभवों का हवाला दिया। भारतीय मूल के युवा वर्ग के लिये वे एक अनुकरणीय व्यक्ति हैं।
अंतिम सत्र में स्थानीय ग़ज़ल गायक श्री तुफ़ैल अहमद ने ग़ज़ल-गायकी से श्रोताओं का मनोरंजन किया। सत्र का संचालन करते हुए डा. रवि महाजन ने ग़ज़ल विधा के इतिहास के बार चर्चा की। धन्यवाद ज्ञापन एशियन आर्ट्स काउंसिल के श्री भावेश जानी ने दिया।
 
      

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6 comments

  1. KASH , US INDRADHANUSHEE KARYAKRAM MEIN MAIN BHEE SHAAMIL HO PAATAA !

  2. हिन्दी के बाहर की हिन्दी की जानकारी के लिए बहुत-२ शुक्रिया। आप जानकीपुल के माध्यम से जो साहित्य और जानकारियां हम तक पहुंचा रहे हैं उसके लिए बधाई के पात्र हैं।

  3. Une fois la plupart des téléphones mobiles éteints, la restriction relative à la saisie d’un mot de passe incorrect sera levée. À ce stade, vous pouvez accéder au système par empreinte digitale, reconnaissance faciale, etc.

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