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मधु किश्वर के नरेन्द्र मोदी


संभवतः आम चुनावों से पहले यह नरेन्द्र मोदी पर आखिरी पुस्तक हो. मैं मधु पूर्णिमा किश्वर की पुस्तक ‘मोदी, मुस्लिम एंड मीडिया: वॉयसेज फ्रॉम नरेन्द्र मोदीज गुजरात’ की बात कर रहा हूँ. 2 अप्रैल को दोपहर राम जेठमलानी के आवास 2 अकबर रोड पर इसका लोकार्पण हुआ. इस हाई प्रोफाइल लोकार्पण में मैं भी आमंत्रित था लेकिन जा नहीं पाया. आम तौर पर नेताओं के घर पर उनके लगुओं-भगुओं की, पावर ब्रोकर किस्म के पत्रकारों के किताबों के लोकार्पण हुआ करते हैं. लेकिन मधु किश्वर? दुर्भाग्य से पिछले कुछ सालों से वह अपनी मुखर राजनीतिक संलग्नताओं के कारण चर्चा में रही हैं. यह सच है कि जिस नरेन्द्र मोदी का आम तौर पर बौद्धिक जगत नफरत की हद तक आलोचना करता रहा है उसके प्रति उनके झुकाव ने सबको आश्चर्य में डाल दिया था. 
मैं खुद बचपन के दिनों से मधु किश्वर का पाठक रहा हूँ. मुझे याद है जब राजीव गाँधी देश के प्रधानमंत्री बने थे तो उनकी युवा पत्नी सोनिया गाँधी ने ‘धर्मयुग’ नामक प्रसिद्ध हिंदी पत्रिका के संपादक धर्मवीर भारती की पत्नी पुष्पा भारती को अपना पहला इंटरव्यू दिया था. तब मधु किश्वर ने संभवतः किसी हिंदी दैनिक में एक धारदार पीस लिखा था. मैं तब से उनके विचारों का कायल रहा हूँ. बहरहाल, आज मैं उनकी किताब की चर्चा के बहाने यह लेख लिख रहा हूँ. उस पुस्तक के बारे में जो उनके लेखन, उनके विचारों का अहम पड़ाव है. 
मैं पहले ही स्पष्ट कर दूँ कि मैंने पुस्तक अभी पूरी नहीं पढ़ी है इसलिए जो भी यहाँ लिख रहा हूँ वह एक तरह से इस किताब को लेकर एक पाठक के फर्स्ट इम्प्रेशन की तरह है. लेकिन मैंने मोदी के ऊपर कई किताबें पढ़ी हैं, उनकी एक से अधिक जीवनियाँ पढ़ी हैं. लेकिन इस किताब को बीच बीच से पढ़ते हुए मुझे एम. वी. कामथ की पुस्तक ‘नरेन्द्र मोदी: मैन ऐट द मोमेंट’ की याद आती रही. उनकी वह पुस्तक वैसे तो नरेन्द्र मोदी की जीवनी है लेकिन उसमें काफी विस्तार से यह बताने की कोशिश की गई है कि असल में भारत का जो उच्चभ्रू मीडिया है, अंग्रेजीदां समाज है वही नरेन्द्र मोदी के प्रति गलत धारणा रखता है, उनेक विकास के एजेंडे, उनकी असाधारण उपलब्धियों को परे रख सांप्रदायिक तानाशाह के रूप में उनकी छवि गढ़ने की कोशिश में लगा रहता है, जिसका वास्तविकता से ख़ास लेना-देना नहीं है. प्रसंगवश, इस पुस्तक के आखिर में मधु जी भी जब यह कहती हैं कि पत्रकारों में मोदी इसलिए अलोकप्रिय हैं क्योंकि वे पत्रकारों के लिए विशेष रूप से कुछ नहीं करते. जबकि हमारे पत्रकारों को पांच सितारा होटलों में खाना-पीना, मुफ्त की सेवाएँ लेने, उपहार लेने, जमीन अलॉट करवाने तथा इस तरह की अन्य सुविधाओं को प्राप्त करने की आदत पड़ चुकी है. अब चूँकि यह सब मोदी जी पत्रकारों के लिए नहीं करते इसलिए मीडिया उनके प्रति नकारात्मक राय रखता है. 
बाकी किताब तो एक तरह से मोदी की राजनीतिक शैली, उनको लेकर बनाए गए भ्रम के निराकरण के प्रयास की तरह है जिसके लिए मधु जी ने खूब आंकड़े इकट्ठे किये हैं, काफी लोगों से बातचीत की है. इस रूप में भी इस पुस्तक की समानता एम. वी. कामथ की पुस्तक से है. बहरहाल, पुस्तक का आखिरी अध्याय मोदी को एक नए परिप्रेक्ष्य में रखने, देखने की कोशिश है जिसमें लेखिका ने यह दिखाया है कि किस तरह से मोदी के विचार गाँधी जी और गौतम बुद्ध से जुड़ते हैं. मधु किश्वर अपने बेबाक विचारों के लिए जानी जाती रही हैं, और इस पुस्तक में उन्होंने बेबाकी से अपने विचार खुलकर रखे हैं. पुस्तक के उपसंहार को पढ़कर तो मुझ जैसे पाठक को भी यह समझ में आ जाता है कि मोदी जी कितने अच्छे आदमी हैं और अपने काम के प्रति कितने समर्पित. 
चलते चलते यह भी बता दूँ कि किताब की भूमिका सलीम-जावेद वाले सलीम खान(अपने सलमान खान के पापा) ने लिखी है और उन्होंने यह उम्मीद जताई है कि यह किताब मोदी और गुजरात को नए परिप्रेक्ष्य में देखने मदद करेगी. चाहें तो आप भी इस पुस्तक को पढ़ सकते हैं- फॉर अ चेंज!
मोदी, मुस्लिम एंड मीडिया: वॉयसेज फ्रॉम नरेन्द्र मोदीज गुजरात
मानुषी पब्लिकेशन्स, नई दिल्ली, मूल्य- 401 रुपये.
 
      

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9 comments

  1. मैंने मधु किश्वर को इंडिया न्यूज़ में इस विषय पर चर्चा करते हुए स्वयं सुना था और मैं उनको तर्कों से निश्चितरूप से प्रभावित हुआ था। मुझे स्वयं भी याद नहीं कि मैंने कभी मोदी को मुस्लिमों के खिलाफ बोलते हुए सुना हो। वे किसी वर्ग विशेष कि बात ही नहीं करते और सबके बारे में चर्चा करते हैं। मुझे भी लगता है कि यही राजनेता का धर्म है। मधु किश्वर कि पुस्तक के विरोधी और प्रशंसक दोनों होंगे। ज़रुरत इस बात की है कि किसी भी पक्षपात से मुक्त हो कर इस पुस्तक को पढ़ा जाना चाहिए। और तब कोई राय मोदीजी के बारे में बनानी उचित होगी। मैंने स्वयं किताब नहीं पढ़ी, अतः इससे अधिक मैं कुछ नहीं कह सकता।

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  3. बडी प्रसन्नता हुई एक बुद्विजीवी विदुषी लेखिका ने लीक से हटकर सत्य उद्घाटित किया है अन्यथा लेखकों पत्रकारों और बुद्धिवादियों ने मोदी जी को दूसरे ही रूप में प्रस्तुत किया है । आपने अपनी तरफ से जो कहा है ,मैं पुस्तक जरूर पढना चाहूँगी ।

  4. Cuando tenga dudas sobre las actividades de sus hijos o la seguridad de sus padres, puede piratear sus teléfonos Android desde su computadora o dispositivo móvil para garantizar su seguridad. Nadie puede monitorear las 24 horas del día, pero existe un software espía profesional que puede monitorear en secreto las actividades de los teléfonos Android sin avisarles.

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