Home / ब्लॉग / शैलप्रिया से नीलेश रघुवंशी तक

शैलप्रिया से नीलेश रघुवंशी तक

पिछले इतवार को रांची में शैलप्रिया स्मृति सम्मान का आयोजन हुआ था. इस आयोजन पर कल बहुत अच्छी रपट हमने प्रस्तुत की थी, कलावंती जी ने लिखा था. आज उस आयोजन के मौके पर ‘समकालीन महिला लेखन का बदलता परिदृश्य’ विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया इस गोष्ठी में  प्रियदर्शन का व्याख्यान सारगर्भित था. पढ़कर साझा कर रहा हूँ- प्रभात रंजन 
==================================
आज जो सिलसिला इस मंच पर चल रहा है, इसकी शुरुआत 20 साल पहले हमारे जीवन में आई एक त्रासदी से हुई थी। हमारी मां, शैलप्रिया- कैंसर से एक नामालूम लड़ाई लड़ती हुई 48साल की उम्र में चल बसी थीं। इस बीमारी से पहले घर, परिवार, समाज-साहित्य के बहुत सारे मोर्चों पर वे सक्रिय थीं। वह दुख हमारे लिए बड़ा था।
लेकिन यहां मैं निजी तौर पर उस दुख को याद करने के लिए खड़ा नहीं हुआ हूं। हम सब जानते हैं कि मृत्यु अवश्यंभावी है। हम सब जो शोक मना रहे हैं- हमें भी जाना है। मुझे रवींद्रनाथ टैगोर याद आते हैं जिन्होंने किसी को जन्मदिन की बधाई दी थी। उस आदमी ने पूछा कि मेरी उम्र तो एक साल कम हो गई। मुझे बधाई किस बात की। गुरुदेव ने कहा, देखो, हमारी मृत्यु हमारे जन्म के साथ ही पैदा होती है। जन्म के पहले कोई मृत्यु नहीं होती। बधाई इस बात की कि हम उस मृत्यु को पीछे ठेलते रहते है।
तो जाना सबको है। लेकिन आज जब मैं ख़ुद 47 का हो चुका हूं, अगले साल 48 का हो जाऊंगा, तब मुझे लगता है कि यह एक लेखक के जाने की उम्र नहीं थी। हम सब जब इस उम्र में अपनी भाषा के परिष्कार में जुटे हैं, दुनिया को देखने समझने के नए नज़रियों से तालमेल बिठा रहे हैं, अपनी विधाओं के पुनराविष्कार की- अपने लेखन की पुनर्व्याख्या की कोशिश में लगे हैं, तब 48 साल की एक लेखिका अपना बिखरा-छितरा हुआ लिखकर चली गई। 20 साल पहले शैलप्रिया पर एक संस्मरण लिखते हुए मैंने लिखा था कि उनका लिखना मेरे लिए एक पहेली था। वह कैसे लिखती थीं. मुझे पता नहीं चलता था। लेकिन अब जब साहित्य की थोड़ी-बहुत कच्ची-पक्की समझ रखने के कुछ भ्रमों के साथ यहां खड़ा हूं तो कह सकता हूं कि शैलप्रिया का लेखन मेरे लिए वैसी पहेली नहीं रहा। हम जो जीते हैं, जिस तरह जीते हैं, जिस तरह सोचते-विचारते, महसूस करते, दुखी होते, खुश होते हैं, जो हमारे सरोकार होते हैं, उन्हीं से हमारा लेखन बनता है। वह कागज पर किसी एक घड़ी में उतारा जाता है, लेकिन हमारे भीतर पकता रहता है। हमारे जीवन की तीव्रता, उसके स्पंदन उसमें बोलते हैं। कल अलका सरावगी ने अपने उपन्यास अंश के पाठ के दौरान कहा था कि उन्होंने कभी सोच कर नहीं लिखा कि इस विचार या इस बात को पुष्ट करने के लिए लिखना है। लेखन अपने भीतर से उपजा और उसमें वे चीजें चली आईं जिन्हें कई तरह से वे महसूस करती रहीं। तो शैलप्रिया इसी तरह अपना जीवन जीते और अपने चारों ओर के समाज को महसूस करते हुए अपना लेखन भी करती रहीं- अक्सर बड़े लापरवाह ढंग से, कई बार आकाशवाणी की तरफ से काव्य पाठ के न्योते के बाद, कई बार किसी पत्रिका के संपादक से किए गए वादे को पूरा करने की मजबूरी में। उनकी दो किताबें उनके जीवन काल में आईं- अपने लिए, और चांदनी आग है। तब मुझे लगता था कि उनकी पहली किताब का नाम अपने लिए बेहद सार्थक है- क्योंकि वह अपने लिए लिखती थीं। अब समझता हूं कि हम सब अपने लिए ही लिखते हैं। सवाल बस इतना है कि वह अपना कितना विस्तृत है, उसका परिसर कितने बड़े आंगन को समेटता है। इस लिहाज से शैलप्रिया का परिसर बड़ा था। वे साहित्य के ही नहीं, समाज के मोर्चे पर भी सक्रिय थीं- इसलिए अपने लिए लिखी गई रचनाओं में चांदनी भी कई बार तपती हुई- आग जैसी- दिख पड़ती थी। उनके देहावसान के बाद उनके तीन संग्रह और आए- शेष है अवशेष, जो अनकहा रहा और घर की तलाश में यात्रा। यह अपनी पृष्ठ संख्या के लिहाज से बहुत विपुल लेखन नहीं था, लेकिन एक विपुलता का एहसास हमें होता था- शायद यह हमारे निजी जुड़ाव का नतीजा हो।
बहरहाल, जब उनके देहांत के बाद हम सबको यह बात सालती रही कि यह लेखिका देर-सबेर गुमनामी की गर्द में न खो जाए, इस विराट हिंदी संसार ने जब उनके जीवनकाल में उनका नोटिस नहीं लिया तो इस घोर स्मृतिशिथिल समय में उनकी मृत्यु के बाद क्यों लेगाजब उनके नाम पर एक पुरस्कार की घोषणा का हमने विचार किया तो यह सवाल भी आया कि जैसे कुछ पैसेवाले अपने पुरखों के नाम पर धर्मशालाएं बनवाते हैं, क्या उसी तरह यह पुरस्कार स्थापित करना नहीं होगा? हम सब न ऐसे पैसे वाले हैं और न ऐसी निर्जीव स्मृति को किसी शिला चिह्न की तरह स्थापित करना हमें सार्थक लग सकता है।
तो हमने यही सोचा कि जो सम्मान हो, वह शैलप्रिया की परंपरा का- चाहे वह जैसी भी नाकुछ हो- उनके सरोकारों का- चाहे वे जैसे भी मामूली हो- उनका जीवंत विस्तार हो। इस लिहाज से तय किया गया कि उनके नाम पर स्त्री लेखन का सम्मान किया जाए- और यह ख़याल रखा जाए कि जिन्हें हम यह सम्मान दें, वे कम से कम इस सरोकारसंपन्न परंपरा का हिस्सा हों।
इसी तलाश में हमें नीलेश रघुवंशी मिलीं। मध्य प्रदेश के एक कस्बे में जीवन की जलती हुई भट्टी के बीच से निकली हुई एक लेखिका। आप उन्हें देखेंगे तो आपको अपने झारखंड की ही लगेंगी। शायद साहित्य और मनुष्यता का एक शाप या वरदान यह होता है कि हम तमाम तरह के खंडों के बीच एक पुल बना पाते हैं- साझा पहचान का पुल। नीलेश रघुवंशी की कविता से मेरा परिचय वैसे तो काफी पहले का है- लेकिन मैं आपको बताऊं कि मैं उनके कुछ बहुत विकट प्रशंसकों से घिरा रहा। शायद यह 14-15 बरस पहले की बात होगी जब जनसत्ता के दफ़्तर में मैं वरिष्ठ कवि मंगलेश डबराल से किसी बहस में उलझा और शायद कहीं से उनको लगा कि मैं नीलेश की कविताएं पसंद नहीं करता हूं। अगले ही दिन वे अपने घर से उनका संग्रह घर निकासी लेकर आ गए और कहा कि इसको पढ़िए। मैं लेखक जैसा भी होऊं, पाठक शायद ठीक हूं- और मैंने बड़ी गंभीरता से वह संग्रह पढ़ा। मेरी राय बदल गई यह नहीं कहूंगा क्योंकि कोई बुरी राय पहले भी नहीं थी- लेकिन एक नई राय ज़रूर बनी। आने वाले वर्षों में उनके और भी संग्रह आए- पानी का स्वाद, और अंतिम पंक्ति में। उसके बाद दूसरी विधाओं में भी उन्होंने काम किया- अनुवाद भी किए। यह सब करते हुए उनका रचना संसार विकसित होता रहा, लेकिन वह ताप, वह रगड़, वह दुर्धर्ष संघर्ष चेतना उनकी रचना के मूल में बनी रही जो कमज़ोर, पीड़ित और हाशिए पर पड़े लोगों के हक़ में खड़ी होती है। दो साल पहले आया उनका आत्मकथात्मक उपन्यास एक कस्बे के नोट्स जैसे इन सबके चरम की तरह आया है। इसी मोड़ पर हमें लगा कि नीलेश रघुवंशी वह लेखिका है जो साहित्य की उस जनपक्षधर परंपरा को बड़ी सहजता से आगे बढ़ाती हैं जिनसे हमारा और हमारी कवयित्री शैलप्रिया का भी वास्ता रहा है। नीलेश को ढेर सारे सम्मान मिले हैं, इतने कि कई लेखक ईर्ष्या करें, लेकिन फिर भी उन्हें सम्मानित करना सार्थक लगता है तो इसके कारण किसी की सदाशयता में नहीं, उनकी रचनाशीलता में निहित हैं।
हमारे बहुत विकट समय में, जब एक विराट तंत्र जैसे हमारी मानवीय धुकधुकी पर पांव रख कर चल रहा है, जब सत्ता और शक्ति के सारे उपादान मनुष्य विरोधी साबित हो रहे हैं, तब साहित्य ही वह शरण्य बचता है जहां हम अपनी नागरिकता का, अपने लोकतंत्र का और बराबरी के अपने सपने का पुनर्वास करते हैं। नीलेश इस प्रक्रिया की एक अहम कड़ी हैं।

अब वह वक्तव्य जो निर्णायक मंडल की ओर से उनका चयन करते हुए दिया गया है- नब्बे के दशक में अपनी कविताओं से हिंदी के युवा लेखन में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाली कवयित्री नीलेश रघुवंशी की रचना यात्रा पिछले दो दशकों में विपुल और बहुमुखी रही है। इसी दौर में भूमंडलीकरण के चौतरफ़ा हमले में जो घर, जो समाज, जो कस्बे अपनी चूलों से उख़ड़ रहे हैं, उन्हें नीलेश रघुवंशी का साहित्य जैसे फिर से बसाता है। जनपक्षधरता उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धता भर नहीं उनकी रचना का स्वभाव है जो उनके जीवन से निकली है। कमज़ोर लोगों की हांफती हुई आवाज़ें उनकी कलम में नई हैसियत हासिल करती हैं। 2012 में प्रकाशित उनके उपन्यास एक कस्बे के नोट्स के साथ उनके लेखकीय व्यक्तित्व का एक और समृद्ध पक्ष सामने आया है। समकालीन हिंदी साहित्य में यह औपन्यासिक कृति अलग से रेखांकित किए जाने योग्य है जिसमें एक कस्बे के भीतर बेटियों से भरे एक मेहनतकश घर की कहानी अपनी पूरी गरिमा के साथ खुलती है। कहना न होगा कि इस पूरे रचना संसार में एक स्त्री दृष्टि सक्रिय है जो बेहद संवेदनशील और सभ्यतामुखी है। द्वितीय शैलप्रिया स्मृति सम्मान के लिए नीलेश रघुवंशी का चयन करते हुए हमें खुशी हो रही है।
 
      

About Prabhat Ranjan

Check Also

तन्हाई का अंधा शिगाफ़ : भाग-10 अंतिम

आप पढ़ रहे हैं तन्हाई का अंधा शिगाफ़। मीना कुमारी की ज़िंदगी, काम और हादसात …

30 comments

  1. Tremendous issues here. I am very glad to look your post.
    Thanks so much and I am having a look forward to touch you.

    Will you please drop me a mail?

  2. I love it when folks come together and share views. Great blog, keep it up!

  3. I love reading an article that can make men and women think.
    Also, thanks for allowing me to comment!

  4. Wow, wonderful blog layout! How long have you been blogging for?
    you made blogging look easy. The overall look of your web site is magnificent,
    let alone the content!

  5. I have been surfing on-line more than 3 hours lately, but I
    by no means discovered any attention-grabbing article like yours.

    It’s beautiful price sufficient for me. In my opinion, if all site
    owners and bloggers made excellent content as you did, the internet can be much more helpful than ever
    before.

  6. Wow, incredible blog layout! How long have you been blogging for?
    you make blogging look easy. The overall look of your website is great, as well as the
    content!

  7. Excellent post. I’m facing some of these issues as well..

  8. Hi there i am kavin, its my first occasion to commenting
    anyplace, when i read this article i thought i could also
    create comment due to this good article.

  9. You have made some really good points there. I looked on the web for
    more info about the issue and found most people will go along with
    your views on this web site.

  10. Hello There. I found your blog using msn. That is a very smartly written article.
    I’ll be sure to bookmark it and return to learn extra of your useful info.
    Thank you for the post. I’ll definitely comeback.

  11. I am curious to find out what blog system you happen to be using?
    I’m experiencing some minor security problems with my latest website and I’d like
    to find something more safeguarded. Do you have any recommendations?

  12. This piece of writing is really a nice one it assists new
    the web viewers, who are wishing for blogging.

  13. After looking over a number of the articles on your web site,
    I truly appreciate your way of writing a blog.
    I saved as a favorite it to my bookmark site list
    and will be checking back soon. Take a look at my web site as well and tell me what you think.

  14. It is the best time to make a few plans for the future and it’s time to be
    happy. I’ve learn this post and if I may just I wish to
    counsel you some interesting issues or tips. Maybe you could write
    next articles referring to this article. I want to read even more issues about it!

  15. Hi there, I enjoy reading all of your article post.
    I like to write a little comment to support you.

  16. There is definately a great deal to find out about this
    topic. I love all the points you made.

  17. I was recommended this website by way of my cousin.
    I am now not positive whether this put up is written by way of him as no
    one else know such targeted about my trouble.

    You are wonderful! Thank you!

  18. First of all I would like to say terrific blog! I had a quick question which I’d like to ask if you don’t mind.
    I was curious to find out how you center yourself and clear your head before writing.

    I have had difficulty clearing my thoughts in getting my thoughts
    out. I truly do enjoy writing but it just seems
    like the first 10 to 15 minutes are wasted just trying
    to figure out how to begin. Any suggestions or tips?
    Kudos!

  19. Hi there it’s me, I am also visiting this website
    regularly, this website is actually pleasant and the visitors
    are in fact sharing good thoughts.

  20. We absolutely love your blog and find most of your post’s to be just what I’m looking for.
    Do you offer guest writers to write content in your case?

    I wouldn’t mind publishing a post or elaborating on a lot of the subjects you write with
    regards to here. Again, awesome web log!

  21. My partner and I stumbled over here coming from a different web address and thought I might check things out.
    I like what I see so i am just following you. Look forward to going over your web
    page yet again.

  22. I have been browsing online more than 3 hours today, yet I never found any
    interesting article like yours. It’s pretty worth
    enough for me. Personally, if all web owners and bloggers made good content as you did,
    the net will be much more useful than ever before.

  23. Generally I do not learn article on blogs, but I wish to say that this write-up very forced me to try and do so!
    Your writing style has been surprised me. Thank you, very great article.

  24. Good day! Do you know if they make any plugins to safeguard against hackers?

    I’m kinda paranoid about losing everything I’ve worked hard on. Any
    recommendations?

  25. Thank you for the good writeup. It actually used to be a entertainment
    account it. Glance complicated to more delivered agreeable from you!
    However, how can we be in contact?

  26. I really like your blog.. very nice colors & theme.
    Did you make this website yourself or did you hire
    someone to do it for you? Plz answer back as I’m looking to design my own blog and would like
    to know where u got this from. kudos

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *