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नेताजी का सच और गुमनामी बाबा का मिथक!

गुमनामी बाबा नेताजी थे- इस बारे में सबसे पहले ‘गंगा’ नामक पत्रिका में पढ़ा था. बात 1985-86 की है. तब फैजाबाद में गुमनामी बाबा की मृत्यु हो गई थी और वहां के एक स्थानीय पत्रकार अशोक टंडन ने कमलेश्वर के संपादन में निकलने वाली पत्रिका ‘गंगा’ में धारावाहिक रूप से लिखना शुरू किया था- ‘वे नेताजी नहीं तो कौन थे’. उसके करीब 25 साल बाद अनुज धर की किताब प्रकाशित हुई है, जिसके हिंदी अनुवाद का नाम है ‘नेताजी रहस्य गाथा’. मुझे अच्छा लगा कि इस किताब में अनुज धर ने मय तस्वीर अशोक टंडन के बारे में लिखा है कि किस तरह उनकी वजह से गुमनामी बाबा की मृत्यु के बाद उनके नेताजी होने का मुद्दा चर्चा में आया था. हालाँकि इसमें कोई शक नहीं कि अनुज धर ने अधिक विस्तार से अपनी पुस्तक में भगवन के बारे में लिखा है, उनको ही गुमनामी बाबा कहा गया. सिर्फ उनके बारे में ही नहीं बल्कि इस बारे में भी विस्तार से लिखा है कि किस तरह 18 अगस्त 1945 को विमान दुर्घटना में तथाकथित मृत्यु के कुछ दिनों बाद से ही यह बात जोर पकड़ने लगी कि असल में नेताजी मरे नहीं थे.

अनुज धर ने लिखा है कि नेताजी की तथाकथित मृत्यु के सात दिन बाद ही एक अमेरिकी पत्रकार अल्फ्रेड वैग ने यह दावा किया कि नेताजी जिन्दा हैं और चार दिन पहले उनको साईगोन नामक जगह में देखा गया है. कहते हैं कि नेताजी के जीवित होने को महात्मा गाँधी ने भी हवा दी. उन्होंने एक भाषण में कहा कि कोई मुझे अस्थियाँ दिखा दे तब भी मैं इस बात को नहीं मानूंगा कि सुभाष जीवित नहीं बचे.

18 अगस्त 1945 तक नेताजी एक इतिहासपुरुष थे उसके बाद के सालों में वे एक मिथक में बदलते गए.

जब गाँधी जी की मृत्यु हुई तो अनेक लोगों ने यह दावा किया कि शवयात्रा में उन्होंने नेताजी को देखा था. नेहरु की मृत्यु के बाद एक तस्वीर वायरल हुई जिसमें साधू वेश में एक आदमी उनके दर्शन कर रहा है. उस आदमी के गोलाकार चश्मे की वजह से यह कहा गया वह और कोई नहीं सुभाष चन्द्र बोस ही थे. अनुज धर ने यह लिखा है नेताजी सुभाष चन्द्र के जीवित होने की बात को इससे भी बल मिला क्योंकि ब्रिटिश और अमेरिकी खुफिया विभाग लगातार उनकी तलाश करते रहे. उनकी मृत्यु के कुछ दिनों बाद ही उनके रूस में होने के दावे किये जाने लगे. अभी हाल में ही हर बात की सच्चाई जानने का दावा करने वाले सुब्रमनियम स्वामी ने तो यहाँ तक कहा है कि नेताजी को रूस में स्टालिन ने मरवा दिया था. हालाँकि इस बात का दूर दूर तक कोई प्रमाण नहीं है.

हाँ, जिस बात के प्रमाण 60 के दशक से सबसे अधिक मिलने लगे वह भगवन नामक एक साधू के नेताजी होने के बारे में है. 1970 के शुरुआत में एक पुस्तक प्रकाशित हुई बंगला में ‘ओई महामानव आसे’. इसमें भगवन के कथनों को अंग्रेजी में शामिल किया गया था. कई उद्धरणों को अनुज धर ने अपनी पुस्तक में जगह भी दी है. लेखक ने लिखा है इस किताब में या तो भगवन को महामानव का दर्जा दिया गया या सुभाष चन्द्र बोस के रूप में. एक उद्धरण देखिये- ‘अभी तक आप मुझे राय बहादुर के बेटे के रूप में जानते हैं. फिर आपको पता लगा कि देशबंधु की जादुई छड़ी से वह राजनीति में आ गया. कुछ को तो यह भी पता चला कि वह गुपचुप साधना भी करता है. दूसरे देशों और काल में तांत्रिकों से मेलजोल कर वह उनसे सलाह भी लेता था. वह विदेश गया और गुम हो गया और मृत हो गया. फिर आपको पता चला कि वह जीवित है- वह मरा नहीं था.’

गुमनामी बाबा की मृत्यु के बाद फैजाबाद में राम भवन से, जहाँ गुमनामी बाबा रहते थे, एक ख़त बरामद हुआ था जिसमें भगवन ने लिखा था- ‘तुम और तुम्हारी सरकार भी अजीब है… बार-बार आयोग बनाती है ताकि जान सके कि वह मरा है या नहीं! इस सबके पीछे तुम्हीं हो… बेवकूफ बनना तुम्हारी इच्छा में भ्रम है.’

अकारण नहीं है कि भगवन की मौत के बाद सुभाष चन्द्र बोस की भतीजी ललिता बोस ने उनके सामानों को सुरक्षित रखवाने के लिए सरकार से लम्बी लड़ाई लड़ी थी. उनको लगता था कि वे उनके चाचा हो सकते थे. भगवन के सामानों में ललिता बोस के पिता यानी सुभाष के भाई सुरेश चन्द्र बोस की तस्वीर के अलावा नेताजी के माता-पिता की तस्वीरें भी मिली थी. हालाँकि ललिता बोस के चचेरे भाई शिशिर बोस ने यह कहा कि जो लोग उस रहस्यमयी बाबा के बारे में यह कह रहे थे कि वे नेताजी थे, असल में वे नेताजी के नाम को बेच रहे थे. जवाब में ललिता जी ने कहा था कि शिशिर बोस सरकारी जुबान इसलिए बोल रहे थे क्योंकि वे सरकार से फायदा चाहते थे. बहरहाल, नेताजी के परिवार के सुगत बोस द्वारा नेताजी के ऊपर लिखी गई किताब के बारे लेखक अनुज धर ने भी यही सवाल उठाया है कि उस किताब में और कुछ नहीं सरकारी जुबान है. असल में नेताजी के परिवार में भी दो मत रहे हैं. एक मत सरकारी जुबान बोलता रहा दूसरे, यह मानते रहे कि नेताजी मरे नहीं थे.
बहरहाल, ललिता बोस और स्थानीय लोगों के प्रयासों के कारण 23 मार्च 1986 से 23 अप्रैल 1987 के दौरान भगवन के सामानों की सूची बनाई गई. आज भी फैजाबाद के सरकारी कोषागार में उनके करीब 2673 सामान रखे हुए हैं. जिसमें उनका दांत भी है. सरकार डीएनए जांच क्यों नहीं करवाती है? उस रहस्यमयी साधू के बारे में सच क्यों नहीं सामने लाना चाहती है जिसके बारे में यह कहा जाता रहा कि वियतनाम युद्ध में उन्होंने वियतनाम की मदद की, और अमेरिकियों को वहां से बाहर निकालने में कामयाबी दिलवाई. बंगला देश युद्ध में मुजीब उनकी ही मदद से विजयी रहे. भगवन ने खुद अपने शिष्यों को मुसोलिनी और हिटलर के किस्से सुनाये थे.

भगवन यानी गुमनामी बाबा अपने आप में ऐसे मिथकीय चरित्र हैं जिनको उनके शिष्य देश-विदेश की हर बड़ी घटना से जोड़ते रहे. नेताजी का सच जो भी हो गुमनामी बाबा का सच सामने आना चाहिए. आखिर महंगे विदेशी सिगार पीने वाला, महंगे महंगे लाइटर रखने वाला, रोलेक्स घड़ी बंधने वाला वह साधू कौन था, जो हमेशा अपना चेहरा ढँक कर रखता था, गिने-चुने लोगों से मिलता था. हमेशा स्थान बदल बदल कर रहता था. जिसके पास नेताजी से जुड़ी छोटी छोटी सामग्रियां तक मिली?

उस साधू का नेताजी से क्या सम्बन्ध था? क्या वे नेताजी ही थे जो 1985 में 88 साल की उम्र में स्वर्ग सिधार गए? अनुज धर का कहना है कि सरकार सब जानती है लेकिन इस सच को सामने नहीं लाना चाहती है. मिथक और इतिहास के द्वंद्व को बनाए रखना चाहती है! जो मरकर भी नहीं मरा उसे जनता की नजरों में अचानक नहीं मारना चाहती है.
प्रभात रंजन  

 
      

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9 comments

  1. all know this but my gov is not understood she thinks bad

  2. all know this but my gov is not understood she thinks bad

  3. भगवानजी उर्फ़ गुमनामी बाबा से जुड़े कुछ नजदीकी लोगो का इंटरव्यू देखिये। रहस्य काफी हद तक साफ है..no doubt..gumnami baba was himself netaji subhash chandra bosh!
    https://youtu.be/-tG2A2Gstss

  4. जितना समय बीतता जायेगा धारणाएं और ज्यादा मजबूत होती जाएगी कि मौनी बाबा ही नेता जी थे .

  5. सच उजागर होना चाहिये

  6. शायद यही कुछ सुना होगा मेरे पिताजी ने ( जो नेताजी के भक्त थे ) जो दृढ़ता से कहते थे कि नेताजी के हवाईजहाज का दुर्घटनाग्रस्त होना एक साजिश थी . नेताजी ,जैसाकि वे करते आए थे ,इस बार भी सरकार की आँखों में धूल झोंककर बच निकले . और वे साधू वेष में हिमालय में रहते हैं . जो भी हो गुमनाम बाबा का रहस्य उजागर होना ही चाहिए .

  7. नेताजी एक इतिहासपुरुष थे ! बहुत अच्छा आर्टिकल लिखा आपने हमारे देश के नेताओ के बारेमे जानकारी हमारी नयी पिढीके के लिए बहुत लाभदायक होगी.
    धन्यवाद

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