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भरम हैं रास्ते, चौराहे सत्य और नित्य हैं

कविताएं बहुत लिखी जा रही हैं- यह कहने का मतलब यह नहीं है कि अच्छी कविताएं नहीं लिखी जा रही हैं. आज भी ऐसी कविताएं लिखी जा रही हैं, नए कवि भी लिख रहे हैं, जिनमें कविता का मूल स्वभाव बचा हुआ है, झूठमूठ की बयानबाजी या नारेबाजी नहीं है. उदहारण के तौर पर सुजाता जी की कविताओं को ही देखिये- मॉडरेटर  
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(1)
दुनिया की सबसे दुर्गम सड़कें
भरम हैं रास्ते
चौराहे सत्य और नित्य हैं

मुझे अक्सर पहुंचाया ही है

हर राह ने एक और चौराहे तक ही
उन रास्तों से डरना, जो चलने से पहले
आश्वस्त करते हैं
सुखद सफर के लिए
सजीले साइन बोर्ड लगा कर
ये बोझिल हैं उन मार्गों से
जहाँ लिखा है
दुनिया की सबसे दुर्गम सड़कें
दाएं बाएं और बाएं दाएं का क्रम
कभी याद नही रहा जीवन में मुझे ठीक ठीक 
इसलिए
पसंद ही करना हो
तो मैं चुनूँगी पहाड़ी रास्ते
वे घुमावों से भरे पर सीधे और सच्चे हैं
चौराहे नही आते वहाँ जल्दी जल्दी
वहाँ न तेज़ी स्वभाव की काम आती है
न शहरी दम्भ हुनरमंद होने का
और अक्सर ही मिल जाती है कोई नदी भी
जो भागती आती है
राहों के अकेले चट्टानी सूनेपन को भरने
—-
तुम इसे मूर्खता ही कहोगे
लेकिन कह दूँ
मुझे भय है उन यात्राओं का आदी हो जाने से
जिनमें रास्ते के मोड़ और गड्ढे भी
याद हो जाते हैं ऐसे कि सावधान होकर
कुछ मीटर पहले
स्वतः बदल लेते हैं कदम अपना रास्ता
तुम इसे पागलपन ही कहोगे
फिर भी कहती हूँ
(आखिर कोई तो कहे ऐसा )
चाहती हूँ ऐसा हो एक दिन कि सारे नक़्शे मिट जाएं  
 कोई रास्ता न बचे जाना- बूझा
 भटकें हम साथ साथ सभी
इस तरह होने में भय नही होगा खो जाने का
कितना रोमांच होगा
बिना मानचित्र जब ढूँढ ही लिया जाएगा कोई देश
जिसे अब तक देखा था सपनों में किसी अनबूझ कथा-सा !
(2)
लौट आई हूँ घर से

अब मुझे कहना नहीं था कुछ
कहने को कुछ बचा भी नहीं था शायद
यूँ भी मैंने जीवन में अधिकतर
चुप्पियों से ही काम लिया था
जब मुझे खुश करना था उन्हें
मैं हैरान थी कि चुप्पी से ही
कितने खुश हो जाते थे वे मेरी और
ईनाम में मुझे रहने को दे दिया गया एक घर
एक बेआवाज़ जगह तो थी मेरी भी
और इंतज़ार भी किया था मैंने अरसे तक
बेवजह !
यह जानने के बाद अब मुझे बस यही कहना है
कि मैं लौट आई हूँ घर से !
उतर आई हूँ वादियों मेंनदियो मेंबंजरो में
हवा में रही होगी जो मिठास सदियों से
घुल गयी है त्वचा में पहली बार
उड़ा ले गयी है वस्त्र भी वही हवा
रही होंगी उसमे कुछ कहानियां भी बरसों से
उतार दिए हैं मैंने आँख नाक कान हाथ और जिह्वा भी
रहे होंगे मुझ पर भी ये बोझ की तरह सालों से
और लौट आई हूँ घर से
खालिस
शुद्ध
मौलिक होने !
(3)
प्रेम
—–
कुछ देर ठहरती है पलकों पर बूँद
किसी क्षण में दुनिया की कई यात्राएं
भटकती हैं
और डूब जाते हैं कई जहाज़
किसी अदृश्य रहस्यमय त्रिकोण में
पर्वतों से बर्फ की कई जमी परते
उतनी देर में खिसकती है भीषणता से
धरती उकताई हुई किसी एक पल में
करवटें बदल लेती है जाने कितनी बार
कई ख़त लिख कर फाड़ दिए जाते हैं
असम्भव फैसले टलते हैं कुछ पल और
उतनी देर भर असंपृक्त हो जाती हूँ मैं
जैसे गहरे जल में गोता लगाते
बस बंद कर ले कोई नाक
फिर उबर आए
ऐसे मैं प्रेम में हूँ !
ऐसे मैं प्रेम में निस्संग !
  
(4)

तुम

1.
तुम हार रहे थे
मुस्कुराई थी मैं
खेलने दिया था शिद्दत से
मेरा प्रिय खेल तुम्हे
एक रात बदल रही थी
भोर में धीरे धीरे
सौंप दिए मैंने
टिमटिमाते तारे
और पा लिया
एक समूचा आकाश !

2.
पसीने में भीगते
निपट प्यासा होना-
ऐसे चाहना तुम्हे !

3.
जहाँ दीखती है खूब रोशनी
मुड़ जाना वहाँ से–
तुमने कहा रास्ता बताते
और मुझे सुनाई दिया
रुकना मेरे लिए वहाँ
जहाँ गहन हो अन्धकार !
यह सुनकर कोई आंखों में देखे बिना
कैसे रह सकता होगा
मैं भी नही रही
और देखा पहली बार
तुम्हारी आंखों में सर्द अन्धेरा
मुझे रुकना था वहीं ?
और करना था इंतज़ार !

4.
मिटा कर सारी स्मृतियों को
भर दिया गया है अज्ञात !   
अब तुम ही लौटाना किसी दिन
वे अल्हड़ पल, सौंपना मुझे
वह समय जब मैं प्रेम में थी
दिलाना याद मुझे एक-एक बात  
और वह क्षण भी
जब कहा व्याकुल होकर
हां मैं प्रेम में हूँ
और तुम नहीं थे
कुछ भी सुनने को वहाँ
(5)
साज़िश

ये न कहना कि दम न था पाँवों में मेरे
यह साज़िश हो सकती है रेत और पानी की 
कि जब भी पीछे मुड़ कर देखा मैंने
अपना कोई निशां नही पाया
(6)
नदी और मैं

रात में जबकि नहीं दिखती थी पहाड़ी नदी 
मुझे फिर भी पता था उसका वहाँ होना 
और साथ चलना 
इस तरह कुछ पता होना खतरनाक है
हम दोनों जानते थे
नदी और मैं !

संपर्क-chokherbali78@gmail.com

 
      

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12 comments

  1. बहुत अच्छा लिखने लगी हो । बहुत दिन बाद देखा।

  2. बहुत अच्छा लिखने लगी हो । बहुत दिन बाद देखा।

  3. thank you Subhash ji .

  4. धन्यवाद सर । उम्मीदों पर खरा उतरने की पूरी कोशिश हमेशा रहेगी।

  5. धन्यवाद रमेश जी ।

  6. the greatest ability of a writer is to create vibrant disturbance in the mind of reader- Sujata has done this with great ability- GREAT

  7. उम्मीद बढ़ाती, मार्मिक कविताओं के लिये शुक्रिया

  8. फिलहाल कविता के क्षेत्र में नई नवेली सुजाता जी की कविताएँ आश्वस्त करती हैं . इन कविताओं में एक ऐसा युवा स्वर है जो जमाने के उबड़ खाबड़ रास्तों को पहचानने की कोशिश के साथ-साथ मनुष्य को दुनिया से जोड़ने की कोशिश भी करता है . बहरहाल उन्हें बधाई

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