शर्मिला बोहरा जालान नए दौर की लेखिका हैं लेकिन पुराने शिल्प में सिद्धहस्त हैं. उनकी यह कहानी कैंसर से मरती एक माँ की कहानी है जिसमें संवेदना का उजास है, राग से मुक्त होते विराग की कथा है. कहानी कुछ लाबी है लेकिन अपने साथ बांधे लिए चली जाती है. …
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