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‘दिल्लीवाली बस से ही जाना, बिहार वाली बस तुम जैसों के लिए नहीं है…’

सुशील कुमार भारद्वाज बिहार के युवा लेखक हैं. इस बार उन्होंने एक बस यात्रा का संस्मरण लिखा है. बरसों पहले भी बस ट्रेन यात्राओं पर ऐसे ही लिखा जाता था. आज भी वैसे ही. समय के साथ आम आदमी की मुश्किलों का कोई अंत नहीं हुआ है. बहुत रोचक है- …

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पटना पुस्तक मेला की पॉलिटिक्स क्या है?

पटना पुस्तक मेला को किताबों की दुनिया का कुम्भ कहा जा सकता है. बिहार में पुस्तक संकृति को बचाए बनाये रखने में इसका बहुत योगदान रहा है. इसी कारण इससे अपेक्षाएं भी बहुत होती हैं. कल 23 वें पुस्तक मेला का समापन हो गया. एक संतुलित रपट पढ़िए सुशील कुमार …

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खरीद बिक्री के आंकड़े साहित्य के मूल्य तय नहीं करते- ऋषिकेश सुलभ

आज ऋषिकेश सुलभ का जन्मदिन है. वरिष्ठ पीढ़ी के सबसे सक्रिय लेखकों में एक सुलभ जी ने अपने नाटकों, अपनी कहानियों से एक बड़ा पाठक वर्ग बनाया है. सबसे बड़ी बात यह है कि बिहार के वे उन दुर्लभ लेखकों में हैं जिन्होंने समकालीन युवा लेखकों से निरंतर संवाद बनाया …

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