हिंदी कहानी की समकालीन चुनौतियों पर पढ़िए जाने माने कथाकार मनोज कुमार पांडेय का यह लेख- ========================== सबसे पहले तो यही सवाल उठता है कि आज के संकट कौन से हैं जिनसे हमारे लोग दो-चार हैं। इनका स्वरूप क्या है? इनका इतिहास भूगोल क्या है? वे अभी-अभी पैदा हुए हैं …
Read More »विमलेश त्रिपाठी का स्तम्भ ‘एक गुमनाम लेखक की डायरी’-1
आज युवा कवि विमलेश त्रिपाठी का जन्मदिन है। आज के दिन वे जानकी पुल के लिए एक साप्ताहिक स्तम्भ लिखेंगे। ‘एक गुमनाम लेखक की डायरी’ नामक स्तम्भ की पहली किस्त पढ़िए- ======================= मेरा जन्म ऐसे परिवेश में हुआ जहां लिखने-पढ़ने की परम्परा दूर-दूर तक नहीं थी। कहने को हम ब्राह्मण …
Read More »उर्मिला गुप्ता का लेख ‘आधा आसमान’
आज पढ़िए उर्मिला गुप्ता का यह लेख जो अनुवाद के बहाने आधी आबादी की बात को बड़ी गम्भीरता से उठाने वाली है। उर्मिला गुप्ता अनुवादक, संपादक हैं। आइए उनका लेख पढ़ते हैं- =================================== बात शुरू हुई माओ की लाइन ‘women hold up half the sky’ के हिंदी समानांतर से। शाब्दिक …
Read More »मैं ‘बसंती हवा’ होना चाहती हूँ
आज पढ़िए रक्षा गीता का यह लेख। बसंत को स्त्री संदर्भों से जोड़ता हुआ। रक्षा गीता दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिन्दी कॉलेज में पढ़ाती हैं। लेख पढ़कर राय दीजिएगा- ========================= जी हाँ, मैं बसंती हवा बनना चाहती हूँ और इसके लिए मुझे बसंत की दरकार नहीं है, ऋतुओं के राजा बसंत …
Read More »अद्वैतवाद के हामी शायर ग़ालिब
आज महान शायर ग़ालिब की पुण्यतिथि है। आज पढ़िए प्रसिद्ध सितारवादक और संगीत के प्राध्यापक असित गोस्वामी का यह लेख- ========================== कोई शख्स़ एक ही वक़्त में मुसलमान भी हो और काफ़िर भी हो, यह बात थोड़ी विचित्र लग सकती है. परन्तु ग़ालिब जैसी शख़्सियत के मामले में यह तज़ाद …
Read More »श्यौराज सिंह ‘बेचैन’ की कविता
प्रसिद्ध लेखक-कवि श्यौराज सिंह बेचैन की कविताओं पर यह लम्बा लेख लिखा है युवा आलोचक सुरेश कुमार ने। आप भी पढ़ सकते हैं- ================================ प्रसिद्ध दलित साहित्यकार श्यौराज सिंह ‘बेचैन’ के रचना संसार को पढ़ना मेरे लिए दलित सभ्यता के विविध पड़ाव और जीवन की संघन यात्रा करने जैसा है। …
Read More »कोई हयात ज़माने को है अज़ीज़ बहुत: फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की जीवनी
पंकज पराशर को पढ़ना हर बार कुछ सीखना होता है। इस बार उन्होंने बीसवीं सदी के संभवतः सबसे बड़े शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ पर लिखा है। कुछ समय पहले उनकी जीवनी का हिंदी अनुवाद प्रकाशित हुआ था। उसी बहाने यह सहेजने लायक लेख पढ़िए- ====================================== “इससे पहले कि इस आलेख …
Read More »‘दोआबा’ का अहिल्या आख्यान और साहित्य की कसौटी
पटना से प्रकाशित दोआबा का ताजा अंक (जनवरी-मार्च, 2022) लगभग 600 पन्नों का है। इनमें से 533 पन्नों में नीलम नील की दो ‘कथा-डायरी’ प्रकाशित हैं, जिनके शीर्षक क्रमश: ‘आंगन में आग’ और ‘अहिल्या आख्यान’ हैं। शेष पृष्ठों पर उन्हीं पर केंद्रित संपादकीय, संस्मरण आदि हैं। साहित्य की पहचान यह …
Read More »माधव हाड़ा का लेख ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की भारतीय संस्कृति और परंपरा’
प्रसिद्ध आलोचक माधव हाड़ा के आलेखों का संकलन सेतु प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है ‘देहरी पर दीपक’। उसी संग्रह से एक लेख पढ़ते हैं- =============================== अभिव्यक्ति मनुष्य अस्तित्व की नैसर्गिक ज़रूरत है। मनुष्य अस्तित्व की संभावनाओं के पल्लवन और संपूर्ण विकास के लिए अभिव्यक्ति की निर्बाध और अकुंठ आज़ादी बहुत …
Read More »लड़की के भीतर का ‘एकलव्य’ पाठक: प्रियंका दुबे
प्रियंका दुबे के लेखन से हम सब अच्छी तरह परिचित हैं। गद्य हो या पद्य उनके लेखन में एक शब्द भी अतिरिक्त नहीं होता। आज उनका एक बहुत ही सुंदर पीस लिखा है, पढ़ने को लेकर, लिखने के जुनून को लेकर। साल बीतते बीतते एक अच्छा लेख पढ़ा सो आप …
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