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समीक्षा

विहाग वैभव और ‘मोर्चे पर विदागीत’

विहाग वैभव लंबें समय से कविताएँ लिख रहे हैं, जो समय-समय पर विभिन्न पत्रिकाओं आदि में पढ़ी जाती रहीं । पिछले वर्ष राजकमल प्रकाशन से उनकी कविताओं का संग्रह प्रकाशित हुआ है ‘मोर्चे पर विदागीत’। इस किताब में तमाम तरह की कविताएँ हैं जिन्हें विद्रोह की कविताएँ कहा जा सकता …

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आम जन के विद्रोह की रूपक कथा है ‘नौकर की कमीज’

हिन्दी कथा-साहित्य में जब भी शिल्प के नए प्रयोगों पर बात होती है तो उनमें एक नाम बहुत ही प्रमुखता से आता है, विनोद कुमार शुक्ल । उन्हीं का एक बहुचर्चित उपन्यास है ‘नौकर की कमीज़’ , इस उपन्यास का प्रथम प्रकाशन 1979 ई. में हुआ । प्रत्येक साहित्य का …

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‘मंथर होती प्रार्थना’ की समीक्षा

पिछले वर्ष ही सुदीप सोहनी का काव्य-संग्रह ‘मन्थर होती प्रार्थना’ प्रकाशित हुआ है । इस किताब की समीक्षा कर रही हैं डॉ. रेखा कस्तवार । रेखा कस्तवार मुख्यत: स्त्री-केंद्रित विषयों पर लेखन के लिए जानी जाती हैं । ‘किरदार ज़िन्दा है’, ‘स्त्री चिंतन की चुनौतियाँ’ उनकी दो प्रमुख किताबें हैं …

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शिरीष खरे की किताब ‘नदी सिंदूरी’ की समीक्षा

शिरीष खरे के कहानी संग्रह ‘नदी सिंदूरी’ की कहानियाँ जैसे इस बात की याद दिलाती हैं कि हम नदी सभ्यता के लोग हैं। नर्मदा की सहायक नदी ‘सिंदूरी’ के किनारे बसे एक गाँव के जीवन की धड़कन इन कहानियों में सुनाई देती है। निश्चित रूप से शिरीष समकालीन लेखकों में …

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‘वर्षावास’ की काव्यात्मक समीक्षा

‘वर्षावास‘ अविनाश मिश्र का नवीनतम उपन्यास है । नवीनतम कहते हुए प्रकाशन वर्ष का ही ध्यान रहता है (2022 ई.) लेकिन साथ ही तुरंत उपन्यास के शिल्प पर ध्यान चला जाता है जो अपने आप में बिल्कुल ही नया है । अब तक हिंदी उपन्यासों में डायरी (नदी के द्वीप), पत्र …

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अक्षि मंच पर सौ सौ बिम्ब की समीक्षा

‘अक्षि मंच पर सौ सौ बिम्ब’ अल्पना मिश्र का यह उपन्यास हाल ही (2023 ई.) में  प्रकाशित हुआ है, जिसके केंद्र में है नीली, जिसके माध्यम से स्त्री-संघर्ष के विभिन्न रूप हमारे सामने आते हैं और पुन: यह बात स्पष्ट होती है कि पितृसत्ता एक ही है लेकिन उसके माध्यम …

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‘बोरसी भर आँच’ की उष्मा

आज पढ़िए यतीश कुमार की मार्मिक संस्मरण पुस्तक ‘बोरसी भर आँच’ की यह समीक्षा जिसे लिखा है कवि-तकनीकविद सुनील कुमार शर्मा ने। यह पुस्तक राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित है- ============================  कवि-कथाकार यतीश कुमार की सद्य प्रकाशित संस्मरण की किताब ‘बोरसी भर आँच’ पढ़ते हुए बशीर बद्र साहब का यह मानीखेज …

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सुरेश पंत की किताबों ‘शब्दों के साथ-साथ’ व ‘शब्दों के साथ-साथ-2’ की समीक्षा

भाषा, जिसमें हम हर वक्त जीते हैं। एक बात जो बहुत ज़्यादा महसूस होती है कि भाषा के बारे में शुरुआती स्तर पर हर कोई यही कहते आए हैं कि ‘भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है’ लेकिन क्या यह बस इतना ही है? क्या ऐसा नहीं कि भाषा जितनी अभिव्यक्ति का …

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पुतिन की नफ़रत, एलेना का देशप्रेम

इस साल डाक्यूमेंट्री ‘20 डेज़ इन मारियुपोल’ को ऑस्कर दिया गया है। इसी बहाने रूसी पत्रकार एलेना कोस्त्युचेंको की किताब ‘आई लव रशिया : रिपोर्टिंग फ्रॉम अ लॉस्ट कंट्री’ पर यह लेख लिखा है जाने माने कलाकार-लेखक रवींद्र व्यास ने। आप भी पढ़ सकते हैं- ============================== सत्ता में बने रहने …

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‘बेहयाई के बहत्तर दिन’ और यतीश कुमार

बरसों पहले प्रमोद सिंह की एक किताब आई थी ‘अजाने मेलों में’। उनकी भाषा, उनकी शैली ने सबको प्रभावित किया था। अब उनकी किताब आई है ‘बेहयाई के बहत्तर दिन’। हिन्द युग्म से प्रकाशित इस किताब पर कवि-लेखक यतीश कुमार की समीक्षा पढ़िए- ============================================ लेखक की कलम पहले ही पन्ने में …

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