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‘मंथर होती प्रार्थना’ की समीक्षा

पिछले वर्ष ही सुदीप सोहनी का काव्य-संग्रह ‘मन्थर होती प्रार्थना’ प्रकाशित हुआ है । इस किताब की समीक्षा कर रही हैं डॉ. रेखा कस्तवार । रेखा कस्तवार मुख्यत: स्त्री-केंद्रित विषयों पर लेखन के लिए जानी जाती हैं । ‘किरदार ज़िन्दा है’, ‘स्त्री चिंतन की चुनौतियाँ’ उनकी दो प्रमुख किताबें हैं …

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आशुतोष प्रसिद्ध की कविताएँ

युवा कवि आशुतोष प्रसिद्ध की कविताएँ विभिन्न प्रतीकों के जरिए बहुत सी बातें कहती चली जाती हैं । समाज की विभिन्न गड़बड़ियों पर ध्यान ले जाना इन कविताओं की बड़ी विशेषता है । ‘नैहर का मोह छूटता नहीं’ कविता बरसात और नदी के रिश्ते को बताते हुए अचानक स्त्री जीवन …

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‘बहुजन स्कालर्स फोरम’ द्वारा आयोजित गोष्ठी की रपट

‘बहुजन स्कॉलर्स फोरम‘ विभिन्न शोधार्थियों व विद्यार्थियों का एक संगठन है जिसके माध्यम से यह समय-समय पर सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक प्रयास करता रहता है। कल, 14 अप्रैल 2024 ई. को, बाबा भीमराव अंबेडकर की 133वीं  जयंती के उपलक्ष्य में ‘फोरम’ द्वारा एकदिवसीय गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी …

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2023 की यादगार भारतीय अंग्रेज़ी पुस्तकें

2023 में प्रकाशित भारतीय अंग्रेज़ी की कुछ प्रमुख पुस्तकों पर यह लेख लिखा है चर्चित युवा लेखक किंशुक गुप्ता ने। आप भी पढ़ सकते हैं- =============================    रोमन स्टोरी’ज, झुंपा लाहिड़ी झुंपा लाहिड़ी भारत मूल की लेखिका हैं जो अपनी कहानियों के लिए जानी जाती हैं। अपने पहले संग्रह द …

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गद्य की गहन ऐंद्रिकता में किसी इंटीमेट पेंटिंग की तरह डूबी कृति

इस साल जिस उपन्यास ने अपनी भाषा, अपनी कहन से मुझे बेहद प्रभावित किया वह सारंग उपाध्याय का उपन्यास ‘सलाम बॉम्बे व्हाया वर्सोवा डोंगरी’ है। क्यों प्रभावित किया डॉ शोभा जैन ने अपनी समीक्षा में तक़रीबन वही बातें लिखी हैं जो मैं सोच रहा था। आपने उपन्यास न पढ़ा हो …

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‘हिन्दी को नहीं, फ़र्क़ हमें पड़ता है’

कल दिनांक 12 सितम्बर को इंडिया हैबिटेट सेंटर में ‘सभा’ का आयोजन हुआ जिसमें ‘हिंदी को फ़र्क़ पड़ता है’ विषय पर चर्चा का आयोजन किया गया। ‘सभा’ राजकमल प्रकाशन समूह और इंडिया हैबिटेट सेंटर की साझा पहल के तहत विचार-बैठकी की मासिक शृंखला है। इसके तहत हर महीने साहित्य, संस्कृति, …

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केशव भारद्वाज की कहानी ‘रेडलाइट’

आज पढ़िए केशव भारद्वाज की कहानी- रेडलाईट। केशव भारद्वाज डिप्लोमेटिक सिक्योरिटी फ़ोर्स में अधिकारी हैं। लम्बे समय तक अलग अलग देशों में रहे हैं। उनकी कहानियों में उन अनुभवों की छाप दिखाई देती है। लेकिन दिलचस्प है- =============== उस दिन बूँदाबाँदी दोपहर से ही हो रहा था। मेरे गांव में …

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‘रूदादे-सफ़र’ उपन्यास जीवन-सबंधों का मानक है

पंकज सुबीर का उपन्यास ‘रुदादे सफ़र’ जब से प्रकाशित हुआ है लगातार चर्चा में है। आज पढ़िए इस उपन्यास पर लेखिका लक्ष्मी शर्मा की टिप्पणी- ===================================== हमारे समय के महत्त्वपूर्ण लेखक पंकज सुबीर के नए उपन्यास ‘रूदादे-सफ़र’ को हाथ में लेकर पृष्ठ पलटने से पहले ही आवरण पर Erzebet S की पेंटिंग ‘father with daughter’ के …

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ओएमजी-2: संवेदनशील मुद्दा रोचक फ़िल्म

फ़िल्म ओएमजी-2 पर यह टिप्पणी पढ़िए। लिखी है निवेदिता सिंह ने– =================== Covid-19 ने बहुत कुछ बदला हमारी ज़िंदगी में। covid से पहले पसंदीदा फ़िल्में रिलीज होने का इंतजार किया करती थी और फर्स्ट डे फर्स्ट शो की बजाय सेकंड डे सेकंड शो देख आती थी। फ़िल्म देखने के लिए …

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जयंती रंगनाथन की कहानी ‘चौथा मुसाफिर’

आज पढ़िए चर्चित लेखिका संपादक जयंती रंगनाथन की कहानी ‘चौथा मुसाफ़िर’, जो ममता कालिया द्वारा संपादित ‘वर्तमान साहित्य’ के अंक में प्रकाशित हुआ है। जिन लोगों ने उस अंक में नहीं पढ़ा वे यहाँ पढ़ सकते हैं- ======================= उस रात में कोई तो बात थी। तूफानी, बर्फीली, अजूबी और अकेली… वो …

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