रज़ा फाउंडेशन, दिल्ली की एक लघु परियोजना के अन्तर्गत कवि-सम्पादक मित्र पीयूष दईया हिन्दी और अंग्रेजी भाषा की अप्राप्त रचना-सामग्री एकत्र कर रहे हैं—-विभिन्न विद्यानुशासनों और विधाओं की रचनाएँ। इसी सिलसिले में उन्हें अज्ञेय जी के कुछ आलेख मिले हैं। उन्हीं में से एक अप्राप्त निबन्ध जो (आजकल’ में प्रकाशित …
Read More »पुरानी लुगदी, नया पॉपुलर और सोशल मीडिया
‘आजकल’ पत्रिका के जुलाई अंक में मेरा यह लेख प्रकाशित हुआ है जो सोशल मीडिया के बहाने हिंदी के नए बनते पॉपुलर साहित्य कि पड़ताल करता है- मॉडरेटर ============================================ हिंदी में सोशल मीडिया, विशेषकर फेसबुक को लेकर दो तरह के विचार सक्रिय हैं- एक तरफ ऐसे लोग हैं जिनका यह …
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