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Tag Archives: आशुतोष भारद्वाज

अगर पेरिस बेहतरीन रेड वाइन है तो रोम बहुत ही पुरानी व्हिस्की

आशुतोष भारद्वाज हिंदी-अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में समान रूप से लेखन करते हैं और उन समकालीन दुर्लभ लेखकों में हैं जो समय के चलन से हटकर लिखते हैं और इसके लिए समादृत भी हैं। इंडियन एक्सप्रेस की पत्रकारिता के बूते चार बार रामनाथ गोयनका पुरस्कार से नवाज़े जा चुके आशुतोष शिमला …

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अर्चना जी के व्यक्तित्व में गरिमा और स्वाभिमान का आलोक था

विदुषी लेखिका अर्चना वर्मा का हाल में ही निधन हो गया. उनको याद करते हुए युवा लेखक-पत्रकार आशुतोष भारद्वाज ने यह लिखा है, उनके व्यक्तित्व की गरिमा को गहरे रेखांकित करते हुए- मॉडरेटर =========== कृष्णा सोबती और अर्चना वर्मा उन बहुत कम लेखकों में थीं जिनके साथ मेरा लंबा संवाद …

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उपन्यास की स्त्री: अपूर्णता का विधान 

आशुतोष भारद्वाज शिमला के उच्च अध्ययन संस्थान में अपनी फ़ेलोशिप के दौरान भारतीय उपन्यास की स्त्री पर एक किताब लिख रहे हैं। उसका एक अंश- मॉडरेटर ========================================== उपन्यास की भारत में यात्रा कई अर्थों में भारत की खोज में निकली एक साहित्यिक विधा की यात्रा है। पिछले डेढ़ सौ वर्षों …

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रामचंद्र गुहा की पुस्तक ’गांधी: द इयर्स दैट चेंज्ड द वर्ल्ड’ की समीक्षा

हिंदी में पुस्तकों की अच्छी समीक्षाएं कम पढने को मिलती हैं. रामचंद्र गुहा द्वारा लिखी महात्मा गांधी की जीवनी के दूसरे और अंतिम भाग,’गांधी: द इयर्स दैट चेंज्ड द वर्ल्ड’ की यह विस्तृत समीक्षा जाने माने पत्रकार-लेखक आशुतोष भारद्वाज ने लिखी है. कुछ समय पहले ‘दैनिक जागरण’ में प्रकाशित हुई थी. …

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आशुतोष भारद्वाज की पुस्तक ‘मृत्यु कथा’ के कुछ अंश

आशुतोष भारद्वाज ने कई साल मध्य भारत के नक्सल प्रभावित इलाक़ों में पत्रकारिता की है.  फ़र्ज़ी मुठभेड़, आदिवासी संघर्ष, माओवादी विद्रोह पर नियमित लिखा जिसके लिए उसे पत्रकारिता के तमाम पुरस्कार मिले, जिनमें चार बार प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका पुरस्कार भी शामिल है. किताब मृत्यु-कथा के कुछ अंश— ख़्वाब एक पिछली सदी का सबसे विलक्षण रूसी तोहफा क्या था? …

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प्रेम की ही तरह बर्फ से अधिक सम्मोहक बर्फ का ख्वाब होता है

प्रसिद्ध पत्रकार, युवा लेखक आशुतोष भारद्वाज आजकल शिमला एडवांस्ड स्टडीज में शोध कार्य कर रहे हैं. शिमला के बदलते मौसम पर उनका यह सम्मोहक गद्य देखिये- मॉडरेटर ====================== शिमले में इन दिनों कहीं भूले से भटक आयी बूंदें गिर रही हैं. हाल ही शिमले में कुछ इन्सान नीचे मैदानों से …

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पाठ और पुनर्पाठ के बीच दो उपन्यास

आजकल सबसे अधिक हिंदी में समीक्षा विधा का ह्रास हुआ है. प्रशंसात्मक हों या आलोचनात्मक आजकल अच्छी किताबें अच्छे पाठ के लिए तरस जाती हैं. लेकिन आशुतोष भारद्वाज जैसे लेखक भी हैं जो किताबों को पढ़कर उनकी सीमाओं संभावनाओं की रीडिंग करते हैं. इस बार ‘हंस’ में उन्होंने प्रियदर्शन के …

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‘लता सुर-गाथा’- आलोचना नहीं श्रद्धा की कथा

इस साल निस्संदेह यतीन्द्र मिश्र की किताब ‘लता: सुर गाथा’ हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब रही. लेकिन इस किताब को लेकर कोई विस्तृत टिप्पणी या समीक्षा पढने में नहीं आई है. आज कल समीक्षा की जगह पर प्रोमोशन चलने लगा है. किताब चाहे कितनी भी बड़ी हो, उसका विषय कितना …

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आशुतोष भारद्वाज के उपन्यास का अंश ‘प्रूफरीडर के नाम खत’

इन्डियन एक्सप्रेस के पत्रकार आशुतोष भारद्वाज को बस्तर पर अपनी रपटों के लिए याद किया जाता है. उनको चार बार प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका पुरस्कार मिल चुका है.रायटर्स के अंतरराष्ट्रीय कुर्त शोर्क अवार्ड के लिए दुनिया भर से शॉर्टलिस्ट किये गए आठ पत्रकारों में उनका नाम भी शामिल है. लेकिन वे एक …

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