उषा प्रियंवदा के उपन्यास ‘नदी’ पर एक संक्षिप्त और सम्यक टिप्पणी की है क्षमा त्रिपाठी ने. पढ़कर देखिये उपन्यास पढने लायक है या नहीं- मॉडरेटर ============================ हिंदी साहित्य के स्त्रियोन्मुख लेखन में उषा प्रियंवदा का लेखन एक अलग प्रकार का लेखन रहा है. जैसा जीवन है वैसी ही है जीवन …
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