ज्योति नंदा ने पिछले साल के आखिर में आई दो फिल्मों पर एक पठनीय लेख लिखा है- मॉडरेटर ============================================================== “बाजीराव मस्तानी” दर्शन से पहले “तमाशा” देखी थी। “तमाशा” देखने के बाद इतना कुछ कहने को मन हुआ कि शब्दों की तरतीब ही न बन सकी, सो कुछ नहीं कहा। कभी किसी फिल्म; किसी …
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