‘हर तरफ ऐतराज होता है मैं अगर रौशनी में आता हूँ- लगता है दुष्यंत कुमार ने यह शेर चेतन भगत के लिए ही लिखा था. हालाँकि जितना ऐतराज होता है वे उतनी अधिक रौशनी में आते हैं. वे मुझे बहुत पसंद हैं- इसलिए नहीं कि वे बहुत अच्छा लिखते हैं. …
Read More »जहाँ फ़नकार को हर तरह की आज़ादी हो जहाँ हर एक को हासिल ख़ुशी बुनियादी हो
दिल्ली विश्वविद्यालय में विचारधाराओं की जंग के कारण माहौल बिगड़ रहा है, दूषित होता जा रहा है. इस माहौल में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र त्रिपुरारि ने एक नज़्म लिखी है- मुल्क– मॉडरेटर ==================================== हम ऐसे मुल्क में पैदा हुए हैं, ऐ लोगों जहाँ ईमान की क़ीमत लगाई जाती है …
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