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Tag Archives: प्रत्यक्षा

दुनिया को अपने नीले हरे से देखने का सुख भरा कौतुक

पिछले दिनों मैंने प्रत्यक्षा जी के अनुवाद में बुकोव्स्की की कवितायें पढ़ी। उनसे आग्रह किया कुछ चुनिन्दा कविताओं के अनुवाद का। उन्होने देशी-विदेशी कविताओं का अंग्रेजी से अनुवाद करके हमें भेजा है जानकी पुल के पाठकों के लिए। इनमें अरविंद कृष्ण महरोत्रा हैं, तो फ्रैंक ओ हारा भी। कविताओं का एक एक …

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