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Tag Archives: फणीश्वरनाथ रेणु

रेणु के साहित्य से परिचित हुआ तो लगा खजाना मिल गया!

यह फणीश्वरनाथ रेणु की जन्मशताब्दी के साल की शुरुआत है। वरिष्ठ लेखक और रेणु की परम्परा के समर्थ हस्ताक्षर शिवमूर्ति जी का लेख पढ़िए रेणु की लेखन कला पर- मॉडरेटर ============= रेणु: संभवामि युगे युगे…             रेणु के साहित्य से परिचित हुआ तो लगा खजाना मिल गया। लिखने का कीड़ा …

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फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी ‘पहलवान की ढोलक’

कल रात प्रधानमंत्री जी ने रविवार की रात थाली-ताली बजाने का आह्वान किया। कुछ समझ पाता कि सुबह देखा सत्यानंद निरुपम ने फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी ‘पहलवान की ढोलक’ की याद दिलाई थी। महामारी की आशंका और घर से काम करने के बीच इस कहानी का आनंद लें, इसके लक्ष्यार्थ, व्यंग्यार्थ …

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यतीश कुमार द्वारा ‘मैला आँचल’ की काव्यात्मक समीक्षा

युवा कवि यतीश कुमार की काव्यात्मक समीक्षाओं के क्रम में इस बार पढ़िए रेणु के उपन्यास ‘मैला आँचल’ पर उनकी यह टिप्पणी। यह रेणु जी की जन्म शताब्दी का साल है। उनकी रचनाओं को नए सिरे से पढ़ने, नए संदर्भों में समझने का साल है- ===========================   मैला आँचल -पढ़ते …

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रेणु के ‘लोकल’ का फलक दरअसल ‘ग्लोबल’ है

फणीश्वरनाथ रेणु के उपन्यासों, कहानियों में आंचलिकता कोई सीमा नहीं थी बल्कि वह आज़ाद भारत के ग्रामीण समाज के विराट स्वप्न के लेखक थे, जो शहरीकरण को विकास का एकमात्र पैमाना नहीं मानते थे न ही गाँवों को पिछड़ेपन का प्रतीक। उनके लेखन पर हिमाचल में रहने वाली लेखिका, अनुवादिका …

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रेणु, आज़ादी के स्वप्न और मैला आँचल:हृषीकेश सुलभ

आज फणीश्वरनाथ रेणु जयंती है। आज से उनकी जन्म शताब्दी का साल भी शुरू हो रहा है। वे एक बड़े विजन के लेखक थे। उनकी अमर कृति ‘मेला आँचल’ की चर्चा के बिना आधुनिक हिंदी साहित्य की कोई भी चर्चा अधूरी ही मानी जाएगी। आज उनकी इस कृति का सम्यक् …

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रेणु के उपन्यास ‘परती परिकथा’ पर आलोचक मदन सोनी का लेख

अभी कुछ दिनों पहले लन्दन में रहने वाले एक तथाकथित लेखक ने फणीश्वरनाथ रेणु का मजाक उड़ाते हुए लिखा कि उनकी भाषा का अनुवाद होना चाहिए क्योंकि उनकी बिहार के बाहर के लोगों को समझने में मुश्किल होती है. मुझे याद आया कि निर्मल वर्मा ने रेणु जी के ऊपर …

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प्रेम में डूबी सब स्त्रियाँ महुआ घटवारिन क्यों हो जाती हैं?

फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी पर बनी फिल्म ‘तीसरी कसम’ के ऊपर बहुत अच्छा लेख लिखा है युवा लेखिका उपासना झा ने- मॉडरेटर ============ मीता! पहली कसम याद है न तुमको। कोई चोरी-चकारी का माल नहीं ले जाना था क्योंकि तुम जानते थे कि ‘ये महल, चौबारे यही रह जाएंगे सारे’। …

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फणीश्वरनाथ रेणु की कविता ‘साजन! होली आई है!’

यूपी चुनाव में जनता ने ऐसी होली खेली है कि किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा है. होली के इस माहौल में फणीश्वरनाथ रेणु की यह कविता याद आ गई- =============== साजन! होली आई है! सुख से हँसना जी भर गाना मस्ती से मन को बहलाना पर्व हो …

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‘मैला ‘आँचल’ बड़ी रचना है या ‘परती परिकथा’

फणीश्वरनाथ रेणु और मार्केज़ दोनों के जन्मदिन आसपास पड़ते हैं. दोनों के लेखन में एक समानता थी कि दोनों ने ही ग्लोबल के बरक्स लोकल को स्थापित किया. यह अलग बात है कि रेणु जी हिंदी के लेखक थे इसलिए उनकी व्याप्ति वैसी नहीं हो पाई. लेकिन पाठकों के बीच …

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‘रेणु’ हिन्दी साहित्य के संंत लेखक थे – निर्मल वर्मा

इस बात में कोई दो राय नहीं कि फणीश्वरनाथ रेणु हिंदी साहित्य के संत लेखक थे। लेकिन जब यही बात निर्मल वर्मा जैसे लेखक की क़लम कहती है तो बात में वजन आ जाता है। निर्मल वर्मा लिखते हैं– “रेणु जी पहले कथाकार थे जिन्होंने भारतीय उपन्यास की जातीय सम्भावनाओं …

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