मैं आरा को नहीं धरहरा, आरा को जानता था, क्योंकि वहां मधुकर सिंह रहते थे. अपने गाँव में रहते हुए जब उनकी कहानियां पढता था तो लगता था अपने गाँव के टोले-मोहल्ले की कहानियां पढ़ रहा हूँ. बाद में जब कहानियां लिखना शुरू किया तो उसके पीछे कहीं न कहीं …
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