प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे बच्चों को न सुनाने लायक बाल कथायें लिख रही हैं, हर कथा में एक सीख होती है, कोई सूझ, जो राज-समाज के बारे में हमें कुछ बता जाती है सिखा जाती है। यह 24 वीं कथा है। आप भी पढ़िए- ================================== (गढवाल की यह लोककथा मूल …
Read More »प्रेम की ड्योढी का संतरी: मृणाल पाण्डे
बच्चों को न सुनाने लायक बाल कथाएँ सीरिज़ की यह 23 वीं कथा है। लव-जिहाद के शोर के इन दिनों में प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे ने इस बार लोक की एक प्रेम कहानी उठाई है और उसकी हूक का बयान किया है। आप भी पढ़िए- ================================== (हिंदी में बेहतरीन प्रेमकथायें …
Read More »मृणाल पाण्डे की कथा ‘नकाबपोश नकटापंथ की उत्थान-पतन कथा’
पुरानी लोककथाओं की शैली में प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे कथा सीरिज़ लिख रही हैं ‘बच्चों को न सुनाने लायक़ बालकथाएँ’। यह सोलहवीं कथा है जो साधू के वेश में रह रहे एक ठग की कथा है। रोचक और प्रासंगिक। आप भी आनंद उठाइए- =================== बहुत दिन हुए एक शहर में …
Read More »शेर, आदमी और ज़ुबान का घाव: मृणाल पाण्डे
बच्चों को न सुनाने लायक बालकथा की यह ग्यारहवीं किस्त है। जानी मानी लेखिका मृणाल पाण्डे लोककथाओं को नए सिरे से लिख रही हैं और वे कथाएँ हमें अपने आसपास की लगने लग रही हैं। आइए इस कथा में जानते हैं कि शेरों ने मनुष्य के ऊपर कब भरोसा करना …
Read More »चतुर मूर्ख और बेवकूफ राजा की कथा: मृणाल पाण्डे
बच्चों को न सुनाने लायक बालकथा-10 में इस बार पढ़िए प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे की लेखनी से निकला एक नई कथा। यह कथा गढ़वाली लोककथा पर आधारित है। लेकिन आज भी समकालीन लगने वाला रोचक और प्रासंगिक- ============================= हे गोल्ल देवता पहले तेरा सिमरन। दरिद्रता हर, दु:खों का अंत कर, …
Read More »मृणाल पाण्डे की कथा ‘राजा की खोपड़ी उर्फ अग्रे किं किं भविष्यति?’
प्रसिद्ध लेखिका, संपादक मृणाल पाण्डे आजकल प्रत्येक सप्ताह एक बोध कथा लिख रही हैं जो बच्चों को न सुनाने लायक़ हैं। यह आठवीं कड़ी है। इन पारम्परिक बोधकथाओं को पढ़ते हुए समकालीन समाज की विडंबनाओं का तीखा बोध होता है। जैसे यह कहानी देखिए इनमें किस भविष्य की आहट है- …
Read More »खीर: एक खरगोश और बगुलाभगत कथा: मृणाल पाण्डे
प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे आजकल बच्चों को न सुनाने लायक़ बालकथाएँ लिख रही हैं। आज सातवीं कड़ी में जो कथा है उसको पढ़ते हुए समकालीन राजनीति का मंजर सामने आ जाता है। आप भी पढ़कर राय दें- ============================ एक बार की बात है, एक था बगुला, एक था खरगोश। दोनो …
Read More »मृणाल पाण्डे की नई कथा ‘राजा का हाथी’
बहुत सारी बोध कथाएँ या तो प्रतापी राजाओं की लिखी गई या अताताई राजाओं की। ऐसी ही कुछ बोध कथाओं का प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे द्वारा पुनर्लेखन किया जा रहा है। लेकिन वे कथाएँ बच्चों को नहीं बड़ों को बोध करवाने वाली हैं। ‘बच्चों को न सुनाने लायक बाल कथा’ …
Read More »मृणाल पाण्डे की कथा: लोल लठैत और विद्या का घड़ा
बच्चों को न सुनाने लायक बालकथा -3 प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पांडे अपने लेखन में निरंतर प्रयोग करती रहती हैं। हाल के वर्षों में जितने कथा प्रयोग मृणाल जी ने किए हैं उतने कम लेखकों ने ही किए होंगे। बच्चों को न सुनाने लायक बालकथा उनकी नई सीरिज़ है जिसमें वह …
Read More »बच्चों को न सुनाने लायक एक बालकथा: मृणाल पाण्डे
जानी-मानी लेखिका मृणाल पांडे पारम्परिक कथा-साँचों में आधुनिक प्रयोग करती रही हैं। इस बार उन्होंने एक पारम्परिक बाल कथा को नए बोध के साथ लिखा है और महामारी, समकालीन राजनीति पर चुभती हुई व्यंग्य कथा बन गई है। एक पाठक के तौर पर यही कह सकता हूँ कि महामारी काल …
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