आज हृषीकेश सुलभ 60 साल के हो गए. जब हम साहित्य की दुनिया में शैशवकाल में थे तब तब पत्र-पत्रिकाओं में लेखकों की षष्ठी पूर्ति मनाई जाती थी. हिंदी साहित्यकारों का तब एक परिवार जैसा था. अब भारतीय समाज की सामाजिकता ही नहीं हिंदी की अपनी पारिवारिकता भी ख़त्म होती …
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