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Tag Archives: सदफ़ नाज़

भारत में शादी विषय पर 1500-2000 शब्दों में निबंध लिखें

अभी दो दिन पहले नोएडा जाते वक्त जाम में फंस गया. कारण था शादियाँ ही शादियाँ. तब मुझे इस व्यंग्य की याद आई. सदफ़ नाज़ ने लिखा था शादियों के इसी मौसम में- मॉडरेटर =============================================== भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकतर देशों में शादी एक सामाजिक और नैतिक ज़िम्मेदारी मानी जाती है। …

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 आप सब को हैप्पी यौम-ए-मोहब्बत डे!

आज वैलेंटाइन डे है. सदफ़ नाज़ अपने पुराने चुटीले अंदाज़ में लौटी हैं. कुछ मोहब्बत की बातों के साथ, कुछ तहजीब-संस्कृति की बातों के साथ-मॉडरेटर ================== 14 फ़रवरी के दिन डंडे वाले बिग्रेड के नुमाइंदे मोहब्बत के मारों पर यूं पिल पड़ते हैं मानों ये जोड़े शीरीं फ़रहाद के नक्शे-ए-क़दम …

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खदेरू की चिंगचांग और जुब्बा ख़ाला के चीनी बर्तन

चीनी सामानों के बहिष्कार की देशभक्ति का दौर है, दीवाली आ गई है मन मेन ऊहापोह है बिजली के चीनी झालर लगाएँ या न लगाएँ, न लगाएँ तो क्या लगाएँ? इसी ऊहापोह के दौर में बहुत दिनों बाद सदफ़ नाज़ अपने नए व्यंग्य के साथ लौटी हैं। पढ़िये- मॉडरेटर  ================================ …

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पाकिस्तान ना हुआ मानो सगी ख़ाला घर हो गया

बहुत दिनों बाद सदफ़ नाज़ ने व्यंग्य लिखा है. और क्या लिखा है! तंजो-ज़ुबान की कैफियत पढने लायक है- मॉडरेटर  =======  ये जो पुरजोश-छातीठोक,धर्म-राष्ट्र बचाओ किस्म के लोग हैं, आए दिन किसी न किसी को पाकिस्तान भेज रहे हैं। वह भी बिना बैग-बैगेज और वीज़ा-पासपोर्ट के। यह सब देख कर …

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भारत में शादी विषय पर 1500-2000 शब्दों में निबंध लिखें

आजकल शादियों का मौसम चल रहा है. कल बहुत अच्छा व्यंग्य मैंने बारातियों पर पढ़ा था. प्रसिद्ध व्यंग्यकार राजेंद्र धोड़पकर ने लिखा था. लेकिन शादी पर सदफ नाज़ का यह व्यंग्य तो अल्टीमेट है. जितनी बार पढ़ा हँसने के नए मायने मिले. आपका दिन शुभ और शाम को जिस भी …

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स्याह दौलत(काला धन) और उम्मीद के अनुलोम-विलोम

लोकसभा चुनावों से पहले काला धन वापस लाने का ऐसा शोर था कि कई लोग तो सपने देखने लगे कि उनके बैंक खातों में 3 से 15 लाख तक रुपये आ जायेंगे. बड़े बड़े मंसूबे बंधे जाने लगे. मियां बुकरात, बटेशर, खदेरू भी कुछ ऐसी उलझनों में खोये हैं सदफ नाज़ …

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पड़ोसी की इमारत और कल्लन ख़ालू का दुख

सदफ नाज़ के व्यंग्य की अपनी ख़ास शैली है. व्यंग्य चाहे सियासी हो, चाहे इस तरह का सामाजिक- उनकी भाषा, उनकी शैली अलग से ही नजर आ जाती है. आप भी पढ़िए और बताइए- मॉडरेटर  ================================================================ हमारी मुंह-भोली पड़ोसन पिछले दिनों हमारे घर आईं तो काफी दुखी लग रही थीं। …

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मई महीने से तरक्की की चिड़िया ने पंख फड़फड़ाए

सदफ नाज़ फिर हाज़िर हैं. समकालीन राजनीतिक हालात पर इतना गहरा व्यंग्य शायद ही कोई लिखता हो. आम तौर पर लेखिकाओं के बारे में यह माना जाता है कि उनको राजनीति की समझ जरा कम होती है, तो मेरा कहना है कि उनको सदफ नाज़ के व्यंग्य पढने चाहिए- प्रभात …

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खदेरू का पिंगपौंग ख़दशा (आशंका)

सदफ नाज़ फिर हाज़िर हैं. उनके व्यंग्य लेख ‘लव जेहाद बनाम दिलजलियाँ’ को पाठकों का खूब प्यार मिला था. इस बार उनके व्यंग्य की ज़द में कुछ आशंकाएं हैं. चीन के सदर आये और दिल्ली की जगह सीधा अहमदाबाद गए. इतनी सादगी से व्यंग्य बाण छोडती हैं कि हँसते हँसते …

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