ऐसा नहीं है कि 2015 के पुस्तक मेले में मुझे सिर्फ रवीश कुमार का ‘इश्क में शहर होना’ ही पसंद आया. दूसरी किताब जिसके ऊपर मन रीझ गया वह है ‘बेदाद-ए-इश्क रुदाद-ए-शादी’. प्रेम विवाह करने वालों की इस अनुभव कथा की पोथी बनाने का यह आइडिया जिसका भी था उसको …
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