कविताएं बहुत लिखी जा रही हैं- यह कहने का मतलब यह नहीं है कि अच्छी कविताएं नहीं लिखी जा रही हैं. आज भी ऐसी कविताएं लिखी जा रही हैं, नए कवि भी लिख रहे हैं, जिनमें कविता का मूल स्वभाव बचा हुआ है, झूठमूठ की बयानबाजी या नारेबाजी नहीं है. …
Read More »क्या ग़ज़ब की बात है कि जिंदा हूँ
कविताओं में नयापन कम दिखता है जबकि मार-तमाम कविताएं रोज छपती हैं. इसका एक कारण यह है कि ज्यादातर कवि बनी -बनाई लीकों पर चलते हैं. इसमें एक सहूलियत रहती है कि सफलता का फार्मूला मिल जाता है. कोई सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की तरह नहीं कहता- मुझे अपनी यात्रा से …
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