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Tag Archives: alka saraogi

मेरी माँ बढ़िया जलेबी बनाती थी, मैं कहानियों की जलेबियाँ उतारती हूँ- अलका सरावगी

आज पढ़िए प्रसिद्ध लेखिका अलका सरावगी और कवि-कथाकार अर्पण कुमार की बातचीत- =============================================== अपनी दादी से गहरे जुड़ी अलका के भीतर पीढ़ियों से जुड़ाव के सूत्र दरअसल उनके बचपन से जुड़ते हैं। लीक से हटकर सोचने-चलने वाली कथाकार की कथा पुरानी है और अपने आसपास की साधन-संपन्नता और उसकी चकाचौंध …

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कलिकथा: मंज़िल वाया बाइपास: यतीश कुमार

यतीश कुमार ने काव्यात्मक समीक्षा की अपनी विशेष शैली विकसित की और इस शैली में वे अनेक पुस्तकों की समीक्षाएँ लिख चुके हैं। इसी कड़ी में आज पढ़िए अलका सरावगी के उपन्यास ‘कलि कथा वाया बाइपास’(राजकमल प्रकाशन) की समीक्षा। 1990 के दशक के आख़िरी सालों में जिस उपन्यास ने बड़े पैमाने …

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समय से परे अपने समाज को देखने को उम्दा कोशिश

पिछले 25 साल के उपन्यास लेखन की सबसे बड़ी पहचान अलका सरावगी के नए उपन्यास ‘एक सच्ची झूठी गाथा’ पर सुधांशु गुप्त की यह टिप्पणी. अलका सरावगी का यह उपन्यास राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है- मॉडरेटर ====================================================== रियल और अनरियल दुनिया की एक सच्ची झूठी गाथा सुधांशु गुप्त उपन्यास …

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अलका सरावगी के नए उपन्यास का अंश

अलका सरावगी मेरी सबसे प्रिय लेखिकाओं में हैं. उनका हर उपन्यास जीवन को, समाज को समझने की एक नई खिड़की खोलता है. हर बात वही चिर परिचित किस्सागोई, वही कोलकाता लेकिन लेकिन एक नई छवि. समकालीन लेखकों में ऐसा किस्सागो दूसरा नहीं. फिलहाल उनके नए उपन्यास का अंश. अंश से …

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अलका सरावगी के नए उपन्यास का अंश

अलका सरावगी के उपन्यासों में बतकही के अंदाज में हमारे समय का जटिल यथार्थ बहुत सहजता से आता है. मेरे जैसे पाठक उनके उपन्यास का इंतज़ार करते हैं. आज अगर हिंदी उपन्यासों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा होती है तो उसमें अलका जी के उपन्यासों का भी योगदान है. आपके …

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