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Tag Archives: anushakti singh

अणुशक्ति सिंह की कहानी ‘आय’म अ गुड बॉय, मै’म’

आज पढ़िए युवा लेखिका अणुशक्ति सिंह की एक संवेदनशील कहानी। यह कहानी ‘परिंदे’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई है। आप लोगों के लिए यहाँ दी जा रही है- ============= बस की खिड़की से बाहर देखना उसे अच्छा लगता था। कंडक्टर ने कई बार बस की खिड़की बंद करने की ताक़ीद …

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कठिन विषय का बेहतर निर्वाह

देवेश पथ सारिया उन कुछ युवा कवियों में हैं जो अच्छा गद्य भी लिखते हैं। ख़ासकर आलोचनात्मक गद्य। यह टिप्पणी उन्होंने युवा लेखिका अणुशक्ति सिंह के उपन्यास ‘शर्मिष्ठा’ के ऑडियो बुक को सुनकर लिखी है। वाणी प्रकाशन से प्रकाशित यह उपन्यास ऑडियो बुक में स्टोरीटेल पर उपलब्ध है। आप युवा …

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अणुशक्ति सिंह की कहानी ‘नो स्मेल, येट नेगेटिव…’

आज पढ़िए युवा लेखिका अणुशक्ति सिंह की कहानी। अणुशक्ति सिंह का उपन्यास ‘शर्मिष्ठा’ चर्चित रहा है। यह उनकी नई कहानी है- ======================   ओडोनिल की एकदम मद्धिम पड़ चुकी ख़ुशबू, टिपिर टिपिर चूता वाश बेसिन का नल, खिड़की की दूसरी तरफ़ रखा मोतिये के फूलों का गमला। ‘बाथरूम के बाहर …

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‘स्व’ रहित स्वाभिमान और स्त्री-विमर्श के मूलभूत सिद्धांतो की जुगलबंदी की कहानी

वरिष्ठ लेखिका गीताश्री का उपन्यास ‘वाया मीडिया – एक रोमिंग रिपोर्टर की डायरी’ इस साल विश्व पुस्तक मेले में आया था। कुछ महिला पत्रकारों के कामकाज पर आधारीय यह उपन्यास बहुत अलग ज़मीन का उपन्यास है। आज इसकी समीक्षा लिखी है युवा लेखिका अणुशक्ति सिंह ने- मॉडरेटर =========================== लफ़्ज़ों की …

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मैं उनका शबाब ले बैठी…

शिव कुमार बटालवी आज होते तो 81 साल के होते. पंजाबी के इस अमर कवि को याद करते हुए युवा लेखिका अणुशक्ति सिंह का लेख- मॉडरेटर =========== माये नी माये मैं एक शिकरा यार बनाया उदे सर दे कलगी, ते उदे पैरी झांझर… इन पंक्तियों को लिखने वाला मेरा वह …

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पद्मावत – ऐतिहासिक गल्पों की सबसे मज़बूत नायिका की कहानी

पद्मावत फिल्म को अपने विरोध-समर्थन, व्याख्याओं-दुर्व्यख्याओं के लिए भी याद किया जायेगा. इस फिल्म पर एक नई टिप्पणी लिखी है युवा लेखिका अणुशक्ति सिंह ने- मॉडरेटर ======================= पद्मावत- एक महाकाव्य – जिसे पंद्रहवीं/सोलहवीं सदी के घुम्मकड़ कवि मलिक मुहम्मद जायसी के कवित्त ह्रदय ने रचा था. यह दिल्ली सल्तनत और …

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अणुशक्ति सिंह की कहानी ‘बदलते करवटों के निशां’

अणुशक्ति सिंह की यह कहानी स्त्रीत्व-मातृत्व के द्वंद्व को बहुत संतुलन के साथ सामने रखती है। पढ़कर बताइएगा- मॉडरेटर ——————————- कभी दायीं ओर, कभी बायीं… चर्र-मर्र करते उस बिस्तर पर उसका करवटें बदलना ज़ारी था. लेटते वक़्त ऐसा लगा था जैसे नींद पलकों पर बैठी हो, फट से आगोश में आ …

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‘चीखती हुई चीं-चीं ‘दुश्चरित्र महिलाएं, दुश्चरित्र महिलाएं…’

अनामिका जी को देखता हूँ, उनसे मिलता हूँ तो करुणा शब्द का मतलब समझ में आता है. इतनी करुणामयी महिला मैंने जीवन में नहीं देखी. उनके लिए जो भी अपमानजनक भाषा का प्रयोग करेगा वह अपना चरित्र ही दिखाएगा. हिंदी में इतनी विराट और विविधवर्णी उपस्थिति किसी लेखिका का नहीं …

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नेहरु, जो गुलाब थे अब कांटे बनकर खटकने लगे हैं!

पिछले कुछ वर्षों में नेहरु को खूब याद किया जा रहा है. बीच में तो उनको लोग भूलने से लगे थे. हाँ, यह बात अलग है कि पहले उनको सीने पर लगे गुलाब के गुलाब के लिए याद किया जाता था. आज देश की एक बड़ी आबादी को उस गुलाब …

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अनुशक्ति सिंह की (अ)कविताएँ

रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हम हज़ारों तरह की परिस्थितियों से गुज़रते हैं। लेकिन एक वक़्त आता है, जब यह ‘गुज़रना’ हमारा अनुभव बन जाता है। उन अनुभवों को लिखना उतना ही मुश्किल है, जितना एक रूह को पैकर देना। अनुशक्ति की कविताएँ ज़िंदगी के नए ‘डायमेंशन’ की तरफ़ इशारा करती …

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