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Tag Archives: aparna manoj

मैं औरत हूँ एक जिसके दिल में समय थम सा गया है

निजार कब्बानी की कुछ कविताओं के बहुत आत्मीय अनुवाद कवयित्री-कथाकार अपर्णा मनोज ने किये हैं. कुछ चुने हुए अनुवाद आपके लिए- मॉडरेटर. =============================  निज़ार को पढ़ना केवल डैमस्कस को पढना नहीं है या एक देश की त्रासदी को पढना भी  नहीं -यह हर अकेले व्यक्ति की मुक्ति की जिजीविषा का …

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अपर्णा मनोज की कहानी ‘सारंगा तेरी याद में’

अपर्णा मनोज ने कम कहानियां लिखकर कथा-जगत में अपना एक अलग भूगोल रचा है. अछूते कथा-प्रसंग, भाषा की काव्यात्मकता, शिल्प के निरंतर प्रयोग उनकी कहानियों को विशिष्ट बनाते हैं. जीवन के अमूर्तन को स्वर देने की एक कोशिश करती उनकी एक नई कहानी- जानकी पुल.  ============================================= सारंगा तेरी याद में:: …

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अपर्णा मनोज की कहानी ‘द ब्लू प्रिंट’

उपसंहार से शुरु होने वाली इस कहानी के बारे में वाचिका का कहना है कि यह कहानी नहीं बस उसका खाका है, ‘ब्लू प्रिंट’. कितना कुछ तो होता है जो अनकहा रह जाता है, कितना कुछ अनाम रह जाता है. टुकड़ों-टुकड़ों में, कभी डायरी, कभी जर्नल की शक्ल में जो …

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अपर्णा मनोज की ‘द अनटाईटल्ड स्टोरी’

जैसे अपर्णा मनोज की कविताओं का अपना ही मुहावरा है, उसी तरह उनकी इस कहानी का स्वर. साधा हुआ शिल्प, गहरी संवेदना. उनकी इस ‘लगभग पहली कहानी’ को प्रकाशित करते हुए जानकी पुल को गर्व महसूस हो रहा है. आप भी पढ़िए. आज फिर वह दर्पण छ : रास्ते  पर …

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सब ठीक-ठाक ही दीखता है इस अल्लसुबह…

अपर्णा मनोज की कविताओं का मुहावरा एकदम अलग से पहचान में आता है. दुःख और उद्दाम भावनाओं के साथ एक गहरी बौद्धिकता उनकी कविताओं का एक अलग ही मुकाम बनाती हैं.  कई-कई सवाल उठाने वाली ये कविताएँ मन में एक गहरी टीस छोड़ जाती हैं. आज प्रस्तुत हैं उनकी पांच …

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‘इस्ताम्बुल’ पढ़ने से ईस्ट और वेस्ट का अपना विजन बनता है

सुपरिचित कवयित्री, अनुवादिका और लेखिका अपर्णा मनोज ने ओरहान पामुक की प्रसिद्ध पुस्तक ‘इस्ताम्बुल’ पर लिखा है. पूर्व और पश्चिम की सभ्यता के संगम स्थल को लेकर पामुक ने स्मृति-कथा लिखी है और उसका विश्लेषण अपर्णा जी ने डायरी की शैली में किया है. बहुत मार्मिक और रोचक- जानकी पुल. …

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