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Tag Archives: ashutosh bhardwaj

मौत के साये में जीवन कथा

आशुतोष भारद्वाज की पुस्तक ‘मृत्यु कथा’ पर यह टिप्पणी लिखी है दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय की शोधार्थी अनु रंजनी ने। बस्तर में चल रहे संघर्ष को लेकर यह अपने ढंग की अकेली किताब है। हम दूर बैठे लोगों को वह जीवन बहुत करीब से दिखाती है जिसको हम नक्सल समस्या …

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मृत्यु कथा की उत्तर कथा: द डेथ स्क्रिप्ट’ की समीक्षा

प्रसिद्ध पत्रकार-लेखक आशुतोष भारद्वाज ने बस्तर पर अंग्रेज़ी में किताब लिखी है ‘द डेथ स्क्रिप्ट’, जो बस्तर पर लिखी एक बेहतरीन किताब है। हार्पर कोलिंस से प्रकाशित इस किताब की समीक्षा लिखी है दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय, गया के छात्र महेश कुमार ने। महेश कुमार वहाँ से हिंदी में एमए …

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‘पितृ-वध’ से निकलता स्त्री-स्वर

आशुतोष भारद्वाज की पुस्तक ‘पितृवध’ हाल के दिनों में प्रकाशित मेरी प्रिय पुस्तकों में एक रही है। इसी पुस्तक पर दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की छात्रा अनुरंजनी ने एक उल्लेखनीय टिप्पणी की है। आप लोगों से साझा कर रहा हूँ- ============================================ ‘पितृ-वध’ आशुतोष भारद्वाज की ऐसी पुस्तक है …

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आशुतोष भारद्वाज का लेख ‘मंगलेश का प्रदाय’

आज मंगलेश डबराल जी की जयंती है। उनके जाने के बाद पहली जयंती। उनके रचनात्मक अवदान पर यह लेख प्रसिद्ध लेखक-पत्रकार-आलोचक आशुतोष भारद्वाज ने लिखा है। ============= एक किसी आलोचक और रचनाकार की आलोचना में एक फ़र्क यह है कि कोई कवि या कथाकार जिन मानकों को प्रस्तावित करता है, …

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सोशल मीडिया ने लेखन को एक अभिनय, परफॉर्मेंस में बदल दिया है: आशुतोष भारद्वाज

आज हिंदी आलोचना के लिए दिया जाने वाला प्रतिष्ठित देवीशंकर अवस्थी सम्मान युवा लेखक-आलोचक आशुतोष भारद्वाज को दिया जा रहा है। यह पुरस्कार समारोह वर्चुअल दिया जाएगा। इस अवसर पर जानकी पुल ने आशुतोष से बातचीत की है। मेरे प्रश्नों के बहुत मानीखेज जवाब आशुतोष भारद्वाज ने दिए हैं। आप …

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वैद प्रश्न, प्रतिवाद और प्रति-प्रतिवाद के लेखक हैं

आज अनूठे लेखक कृष्ण बलदेव वैद की जयंती है। जीवित होते तो 92 साल के होते। उनके लेखन पर एक सूक्ष्म अंतर्दृष्टि वाला लेख लिखा है आशुतोष भारद्वाज ने। उनका यह लेख ‘मधुमती’ पत्रिका के नए अंक में प्रकाशित उनके लेखक का विस्तारित रूप है। आशुतोष जाने माने पत्रकार-लेखक हैं …

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अगर पेरिस बेहतरीन रेड वाइन है तो रोम बहुत ही पुरानी व्हिस्की

आशुतोष भारद्वाज हिंदी-अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में समान रूप से लेखन करते हैं और उन समकालीन दुर्लभ लेखकों में हैं जो समय के चलन से हटकर लिखते हैं और इसके लिए समादृत भी हैं। इंडियन एक्सप्रेस की पत्रकारिता के बूते चार बार रामनाथ गोयनका पुरस्कार से नवाज़े जा चुके आशुतोष शिमला …

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अर्चना जी के व्यक्तित्व में गरिमा और स्वाभिमान का आलोक था

विदुषी लेखिका अर्चना वर्मा का हाल में ही निधन हो गया. उनको याद करते हुए युवा लेखक-पत्रकार आशुतोष भारद्वाज ने यह लिखा है, उनके व्यक्तित्व की गरिमा को गहरे रेखांकित करते हुए- मॉडरेटर =========== कृष्णा सोबती और अर्चना वर्मा उन बहुत कम लेखकों में थीं जिनके साथ मेरा लंबा संवाद …

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उपन्यास की स्त्री: अपूर्णता का विधान 

आशुतोष भारद्वाज शिमला के उच्च अध्ययन संस्थान में अपनी फ़ेलोशिप के दौरान भारतीय उपन्यास की स्त्री पर एक किताब लिख रहे हैं। उसका एक अंश- मॉडरेटर ========================================== उपन्यास की भारत में यात्रा कई अर्थों में भारत की खोज में निकली एक साहित्यिक विधा की यात्रा है। पिछले डेढ़ सौ वर्षों …

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रामचंद्र गुहा की पुस्तक ’गांधी: द इयर्स दैट चेंज्ड द वर्ल्ड’ की समीक्षा

हिंदी में पुस्तकों की अच्छी समीक्षाएं कम पढने को मिलती हैं. रामचंद्र गुहा द्वारा लिखी महात्मा गांधी की जीवनी के दूसरे और अंतिम भाग,’गांधी: द इयर्स दैट चेंज्ड द वर्ल्ड’ की यह विस्तृत समीक्षा जाने माने पत्रकार-लेखक आशुतोष भारद्वाज ने लिखी है. कुछ समय पहले ‘दैनिक जागरण’ में प्रकाशित हुई थी. …

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