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Tag Archives: garima shrivastava

आउशवित्ज़- एक प्रेम कथा: प्रेम कथाओं की धारा

गरिमा श्रीवास्तव के चर्चित उपन्यास ‘आउशवित्ज़- एक प्रेम कथा‘ पर पढ़िए कवि-समीक्षक यतीश कुमार की यह विस्तृत टिप्पणी। युद्ध के इस दौर में प्रेम के आख्यान पर यतीश कुमार ने खूब लिखा है। उपन्यास का प्रकाशन वाणी प्रकाशन से हुआ है- ================== दूसरों को सँभालने से मुश्किल होता है ख़ुद …

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यह कथा नहीं, बल्कि जीवन है!

गरिमा श्रीवास्तव का उपन्यास ‘आउशवित्ज: एक प्रेम कथा’ को पढ़कर यह पत्र लिखा है प्रोफ़ेसर रामेश्वर राय ने। गरिमा जी का यह उपन्यास निस्संदेह इस साल प्रकाशित दो श्रेष्ठ उपन्यासों में एक है। उथल-पुथल दौर में प्रेम की हूक की यह कथा आपको विचलित भी कर देती है और आनंद …

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गरिमा श्रीवास्तव के उपन्यास ‘आउशवित्ज़: एक प्रेम कथा’ का एक अंश

आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर पढ़िए गरिमा श्रीवास्तव के उपन्यास ‘आउशवित्ज़: एक प्रेम कथा’ का एक अंश। प्रेम और स्त्रीत्व की एक बड़े विजन की कथा वाले इस उपन्यास का प्रकाशन वाणी प्रकाशन से किया है। आप एक अंश पढ़िए-  ==============================   एक भ्रम ही जीवन काट देने के लिए …

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‘आउशवित्ज़: एक प्रेम कथा’ पर अवधेश प्रीत की टिप्पणी

‘देह ही देश’ जैसी चर्चित किताब की लेखिका गरिमा श्रीवास्तव का पहला उपन्यास प्रकाशित हुआ है ‘आउशवित्ज़: एक प्रेम कथा’। वाणी प्रकाशन से प्रकाशित अपने ढंग के इस अनूठे उपन्यास की समीक्षा लिखी है जाने-माने लेखक अवधेश प्रीत ने। आप भी पढ़ सकते हैं- ================= गरिमा श्रीवास्तव की क्रोएशिया-प्रवास डायरी …

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ब्राज़ीली लेखक दुइलियू गोम्स की कहानी ‘केला’

आज पोर्तगीज भाषा की एक कहानी पढ़िए जिसे लिखा है ब्राज़ील के युवा लेखक दुइलियू गोम्स ने। अनुवाद किया है प्रोफ़ेसर गरिमा श्रीवास्तव ने- ====================== आदमी ने हाथ के इशारे से टैक्सी को रोका– ‘बस स्टैंड चलो’ बात करते-करते वह टैक्सी की पिछली सीट पर पीठ टिकाकर आराम से बैठ …

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समानता का नया यूटोपिया रचती है देह ही देश- अनामिका  

कल दोपहर दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज में गरिमा श्रीवास्तव की पुस्तक ‘देह ही देश’ पर परिचर्चा का आयोजन हुआ. जिसकी रपट डॉ. रचना सिंह की कलम से- मॉडरेटर ============================================== दिल्ली।  ”देह ही देश” केवल यूरोप की स्त्री का संसार नहीं है बल्कि दर्द और संघर्ष का यह आख्यान अपनी …

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‘ देह ही देश ‘ स्त्री यातना का लोमहर्षक दस्तावेज़ है

गरिमा श्रीवास्तव की किताब ‘देह ही देश’ पर यह टिप्पणी कवयित्री स्मिता सिन्हा ने लिखी है. यह किताब राजपाल एंड संज से प्रकाशित है- मॉडरेटर ================ कुछ किताबें अप्रत्याशित रुप से आपको उन यात्राओं पर ले चलती है जहां यातनायें हैं , हत्यायें हैं , क्रूरता है ,सिहरन है ,  …

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‘बनमाली गो तुमि पर जनमे होइयो राधा’

  गरिमा श्रीवास्तव प्रोफ़ेसर हैं और बहुत अच्छी लेखिका हैं. यह उनके इस यात्रा वृत्तान्त को पढ़ते हुए अहसास होता है. क्रोएशिया का यह यात्रा वृत्तान्त रचनात्मक गद्य का एक शानदार नमूना है. पढियेगा- मॉडरेटर  ==========  दिल्ली से मास्को की हवाई यात्रा बहुत सुखद नहीं रही है, शेरमेट हवाई अड्डे पर …

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