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Tag Archives: kalawanti singh

कलावंती की कविताएं

जानकी पुल पर साल की शुरुआत करते हैं कुछ सादगी भरी कविताओं से. कलावंती की कविताओं से. कलावंती जी की कविताओं में हो सकता है शिल्प का चमत्कार न दिखे, भाषा का आडम्बर न दिखे लेकिन जीवन में, जीवन के अनुभवों में गहरे रची-बसी हैं उनकी कविताएं. पढ़कर देखिये- मॉडरेटर  …

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वह मेरी बेटी है वह मेरी माँ भी है.

कुछ कविताएं अपनी कला से प्रभावित करती हैं, कुछ विचारों से, कुछ अपनी सहज भावनाओं से. कलावंती की ‘बेटी’ श्रृंखला ऐसी ही कविताओं में आती हैं. पढ़िए 5 कविताएं- मॉडरेटर  ======================================================= बेटी –1 वह नटखट मेरी चप्पलें पहने खटखट चलती है रूनझुन   मैं फिर से बड़ी हो रही हूँ …

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दुःख में हो मोनालिसा?

कुछ दिनों पहले वरिष्ठ कवयित्री सुमन केसरी ने मोनालिसा को लेकर कुछ कवितायेँ लिखी थी. आज समकालीन कवयित्री कलावंती की कुछ कवितायेँ, एकदम अलग रंग-ढंग में- जानकी पुल.   ———————————————————————————————++++++++++++++++++++++++++++         मोनालिसा  (सात चित्र) एक मोनालिसा लोग सदियों से ढूंढ रहे हैं तुम्हारी मुस्कान का अर्थ! मुस्कान में ख़ुशी …

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जिंदगी तुम्हारी शुभाकांक्षाओं के उजास से

आज कलावंती की कविताएँ. कलावंती जी कविताएँ तो लिखती हैं लेकिन छपने-छपाने में खास यकीन नहीं करतीं. मन के उहापोहों, विचारों की घुमडन को शब्द भर देने के लिए. इसलिए उनकी कविताओं में वह पेशेवर अंदाज नहीं मिलेगा जो समकालीन कवियों में दिखाई देता है, लेकिन यही अनगढता, यही सादगी …

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