आज ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में पढ़ा कि मीर की परम्परा के आखिर बड़े शायर कलीम आजिज़ का निधन हो गया. वे 95 साल के थे. इमरजेंसी के दौरान कहते हैं उन्होंने श्रीमती गाँधी के ऊपर एक शेर लिखा था- रखना है कहीं पाँव तो रखो हो कहीं पाँव/ चलना जरा आया …
Read More »दिन एक सितम, एक सितम रात करो हो
पटना लिटरेचर फेस्टिवल में जो लोग शामिल हुए उनके लिए शायर कलीम आजिज़ को सुनना भी एक यादगार अनुभव रहा. शाद अज़ीमाबादी की परंपरा के इस शायर ने उर्दू के पारंपरिक छंदों में कई ग़ज़लें कही हैं और वे बेहद मशहूर भी हुई हैं. उनकी कुछ ग़ज़लें इमरजेंसी के दौरान …
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