Home / Tag Archives: mohan rakesh

Tag Archives: mohan rakesh

 प्राचीन कथानक में आधुनिक भावबोध

जब युवा क्लासिक कृतियों पर लिखते हैं तो अच्छा लगता है कि वे परंपरा को समझना चाहते हैं। युवा लेखिका अनु रंजनी ने मोहन राकेश के कालजयी नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन’ पर यह लेख लिखा है, जिसमें कई नई बातें मुझे दिखाई दीं। आप भी पढ़ सकते हैं- ============== …

Read More »

मेरे पापा और मैं: शालीन राकेश

प्रसिद्ध नाट्य समीक्षक जयदेव तनेजा की किताब आई है ‘मोहन राकेश: अधूरे रिश्तों की पूरी दास्तान’। इस किताब में उनके जीवन से जुड़े प्रसंग हैं और उन प्रसंगों के बीच उनकी मुकम्मल छवि देखने की कोशिश है। लेकिन इस किताब में सबसे विशेष मुझे लगा मोहन राकेश के पुत्र शालीन …

Read More »

मोहन राकेश का निबंध ‘नाटककार और रंगमंच’

आज अंतरराष्ट्रीय रंगमंच दिवस है. इस अवसर पर आज मोहन राकेश का यह प्रसिद्ध लेख जिसमें उन्होंने नाटककार के नजरिये से रंगमंच को देखने की कोशिश की है. उनके उठाये सवाल आज भी प्रासंगिक लगते हैं- मॉडरेटर =================================================== और लोगों की बात मैं नहीं जानता, केवल अपने लिए कह सकता …

Read More »

बहुत उलझन होती है अपने से

आज मोहन राकेश का जन्मदिन है. नाटक, कहानी के साथ-साथ मोहन राकेश की डायरी का भी अपना महत्व है. जिन दो लेखकों की डायरी मैंने बार-बार पढ़ी है उनमें मोहन राकेश के अलावा दिनकर की डायरी. लेकिन आज पेश हैं मोहन राकेश की डायरी के कुछ अंश-  बम्बई…? दिन-भर परिभाषाएँ घड़ते …

Read More »

जीवन को छलता हुआ, जीवन से छला गया

आज मोहन राकेश का जन्मदिन है. हिंदी को कुछ बेजोड़ नाटक और अनेक यादगार कहानियां देने वाले मोहन राकेश ने यदा-कदा कुछ कविताएं भी लिखी थीं. उनको स्मरण करने के बहाने उन कविताओं का आज वाचन करते हैं- जानकी पुल. १. कुछ भी नहीं  भाषा नहीं, शब्द नहीं, भाव नहीं, कुछ …

Read More »