पंकज दुबे न्यू एज लेखक हैं, हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखते हैं. वे संभवतः अकेले लेखक हैं जो स्वयं अंग्रेजी-हिंदी में एक साथ उपन्यास लिखते हैं. अब तक दो उपन्यास प्रकाशित हैं- लूजर कहीं का और इश्कियापा. समकालीन लोकप्रिय लेखकों में उनकी कामयाब पहचान है. हाल में ही …
Read More »बिहार चुनाव के तनाव से बचना चाहते हैं तो पढ़िए ‘इश्कियापा’
बिहार में चुनाव का मौसम है, आरोप-प्रत्यारोप का मौसम है, मान-मनुहार का मौसम है, जय बिहार का मौसम है! ऐसे में अपने उपन्यास ‘इश्कियापा’में पंकज दुबे बिहारी(पटनिया) प्यार का मौसम लेकर आये हैं. स्वीटी-लल्लन की प्रेम कहानी. स्वीटी जिसके होंठ मेजेंटा रेड हैं, जिसका सपना है ब्रिटनी स्पीयर्स बनना, लल्लन …
Read More »मन की बात के दौर में तन की बात
जिन्होंने भी पंकज दुबे का उपन्यास ‘लूजर कहीं का’ पढ़ा है वे यह जानते हैं कि उनके लेखन में गहरा व्यंग्य बोध है. अभी हाल में एआईबी रोस्ट नमक एक नए शो को लेकर खूब चर्चा-कुचर्चा हो रही है, श्लीलता-अश्लीलता को लेकर बहसें हो रही हैं. एक करारा व्यंग्य पंकज …
Read More »ग़ैरपाठकों को भी पाठक बनाना मेरा उद्देश्य है- पंकज दुबे
‘बिहार-यूपी के किसी छोटे गाँव से सत्तू-अचार भरी पेटी लिए, अपने पिता से पाए गए आईएएस बनने के सपने के साथ अधिकतर लोग दिल्ली यूनिवर्सिटी पढ़ाई करने आते हैं। इनमें से बहुतों का एक निज़ी सपना होता है: एक दूधिया गोरी पंजाबी लड़की के साथ सोना।’ इसी प्लॉट पर लिखे …
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