प्रभाष जोशी की 75 वीं जयंती पर यशस्वी पत्रकार प्रियदर्शन का यह आलेख उस परंपरा की बात करता है जिसने हिंदी पत्रकारिता में बहुत से ‘एकलव्यों’ को प्रेरित किया. उन्होंने जनसत्ता नामक एक अखबार की शुरुआत की जो अपने आप में एक परंपरा बन गई, सच्चाई और विवेक की परंपरा- …
Read More »तात, बंधु, सखा, चिर सहचर
प्रभाष जोशी आज होते तो ७५ साल के होते. ओम थानवी का यह लेख ‘जनसत्ता’ और प्रभाष जोशी के संबंधों को लेकर ही नहीं पत्रकारिता की उस परंपरा की भी याद दिलाती है, जो बाजार के चमक-दमक के इस दौर में भी अपनी जिद पर कायम है. ‘जनसत्ता’ में आज …
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