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Tag Archives: premchand gandhi

लियो री बजंता ढोल

कवि-लेखक प्रेमचंद गाँधी ने अपने इस लेख में यह सवाल उठाया है कि लेखिकाएं साहित्य में अपने प्रेम साहित्य के आलंबन का नाम क्यों नहीं लेती हैं? एक विचारोत्तेजक लेख- जानकी पुल. ====================== मीरा ने जब पांच शताब्‍दी पहले अपने प्रेमी यानी कृष्‍ण का नाम पुकारा था तो वह संभवत: …

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बहन के सहारे भाई खोजते रहे जीवन की नायिकाएं

आज भाई दूज पर कुछ कविताएँ बहनों के लिए. कवि हैं प्रेमचंद गाँधी- जानकी पुल. बहन बहन मां की कोख से पैदा हुई लड़की का ही नाम नहीं है उस रिश्‍ते का भी नाम है जो पुरुष को मां के बाद पहली बार नारी का सामीप्‍य और स्‍नेह देता है …

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‘पैन इंडियन राइटर’ थे अरुण प्रकाश

अरुण प्रकाश नहीं रहे. लंबी बीमारी के बाद का दोपहर उनका देहांत हो गया. उनको याद कर रहे हैं प्रेमचंद गाँधी– जानकी पुल. ——————————– परंपरा और आधुनिकता के संगम के अपूर्व शिल्‍पी, संवेदना से लबरेज और भारतीय समाज की गहरी जातीय चेतना के विशिष्‍ट चितेरे अरुण प्रकाश का हमारे बीच …

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सुरों के शहंशाह थे मेहदी हसन

मेहदी हसन नहीं रहे. जिस दौर में गजल गायकी शोर-शराबे में बदलती जा रही थी मेहदी हसन ने उसे  अदब और तहजीब बख्शी. आज ‘जनसत्ता’ ने सम्पादकीय में उचित ही लिखा है कि उनकी गायकी में केवल रागों को साधने का कौशल ही नहीं था बल्कि उसे सुनने वालों तक …

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जन्‍म से मृत्‍यु तक कितने होते हैं जीवन में चुंबन

प्रेमचंद गांधी– जयपुर में 26 मार्च, 1967 को जन्‍म। एक कविता संग्रह ‘इस सिंफनी में’ और एक निबंध संग्रह ‘संस्‍कृति का समकाल’ प्रकाशित। समसामयिक और कला, संस्‍कृति के सवालों पर निरंतर लेखन। कई नियमित स्‍तंभ लिखे। सभी पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। कविता के लिए लक्ष्‍मण प्रसाद मण्‍डलोई और राजेंद्र बोहरा …

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देहयात्रा ही बन गई गेहयात्रा

प्रेमचंद गाँधी मूलतः कवि हैं. एक कविता संग्रह ‘इस सिंफनी में’ और एक निबंध संग्रह ‘संस्‍कृति का समकाल’ प्रकाशित। समसामयिक और कला, संस्‍कृति के सवालों पर निरंतर लेखन। कई नियमित स्‍तंभ लिखे। सभी पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। कविता के लिए लक्ष्‍मण प्रसाद मण्‍डलोई और राजेंद्र बोहरा सम्‍मान। अनुवाद, सिनेमा और …

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