आज कुछ कविताएँ रामजी तिवारी की. समय-समाज की कुछ सच्चाइयों के रूबरू उनकी कविताएँ हमें हमारा बदलता चेहरा दिखाती हैं- जानकी पुल. ================================ 1…. मुखौटे मुखौटे तब मेले में बिकते, राक्षसों और जानवरों के अधिकतर होते जो भारी, उबड़ खाबड़ और बहुत कम देर टिकते| पहनते …
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