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एक लगभग अलक्षित चली गई किताब के बारे में कुछ जरूरी बातें

2016 में सिनेमा, मीडिया की भाषा पर एक ठोस किताब आई ‘मीडिया की भाषा लीला’. इतिहासकार रविकांत की इस किताब पर किसी प्रोमो राइटर ने लिखा, इसको कहीं कोई पुरस्कार नहीं मिला. लेकिन बरसों तक सन्दर्भ पुस्तक के रूप में इसको संदर्भित किया जायेगा. इसके गहरे शोध और इसमें व्यक्त …

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रविकांत की किताब और उनकी भाषा लीला

मीडिया की भाषा-लीला– यह इस साल की सबसे सुसज्जित पुस्तक है. प्रकाशक वाणी प्रकाशन है. रविकांत की यह हिंदी में पहली प्रकाशित पुस्तक है. महज इससे रविकांत का महत्व नहीं समझा जा सकता है. पिछले करीब तीन दशकों में इतिहासकार रविकांत ने दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी पढने वाले विद्यार्थियों को …

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‘रिमझिम’ की समीक्षा की समीक्षा

कुछ दिनों पहले जाने-माने चित्रकार और लेखक अखिलेश ने स्कूलों में पढ़ाई जा रही हिंदी को लेकर एक सुदीर्घ और सुचिंतित लेख लिखा था. उसका जवाब शिक्षाविद रविकांत ने दिया है. यह बहस जारी रहेगी- मॉडरेटर  ============== अखिलेश जी ने बहुत लंबा लेख लिखा है –”हम अपने बच्‍चों को कैसी …

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भाषा का सवाल: फ़िल्मी सदी का पैग़ाम

हिंदी सिनेमा की भाषा को लेकर हाल के वर्षों में रविकांत न महत्वपूर्ण काम किया है. उनका यह ताजा लेख पढ़ा तो तुरंत साझा करने का मन हुआ- मॉडरेटर. ======================================== हालाँकि फ़िल्म हिन्दी में बन रही है, लेकिन (ओंकारा के) सेट पर कम–से–कम पाँच भाषाएँ इस्तेमाल हो रही हैं। निर्देशन …

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अपुन का मंटो: पाकदिल, सियाहक़लम, अपूर्व, अप्रतिम, अखंड

रविकांत मूलतः इतिहासकार हैं लेकिन साहित्य की गहरी समझ रखते हैं. मंटो की जन्मशताब्दी के अवसर पर उनका एक यादगार लेख आपके लिए- जानकी पुल. ========================================= मंटो ने रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए कला की कोई भी दिशा चुनी हो, हंगामा किसी न किसी तरह अवश्य हुआ।                                                                          – –बलराज मेनरा व …

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हिन्दी फ़िल्म अध्ययन: ‘माधुरी’ का राष्ट्रीय राजमार्ग

इतिहासकार रविकांत सीएसडीएस में एसोसिएट फेलो हैं, ‘हिंदी पब्लिक स्फेयर’ का एक जाना-माना नाम जो एक-सी महारत से इतिहास, साहित्य, सिनेमा के विषयों पर लिखते-बोलते रहे हैं. उनका यह लेख प्रसिद्ध फिल्म-पत्रिका ‘माधुरी’ पर पर एकाग्र है, लेकिन उस पत्रिका के बहाने यह लेख सिनेमा के उस दौर को जिंदा …

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