आलोचक संजीव कुमार इन दिनों किसी ‘सबलोग’ नामक पत्रिका में व्यंग्य का एक शानदार स्तम्भ लिखते हैं ‘खतावार’ नाम से. अब चूँकि वह पत्रिका कहीं दिखाई नहीं देती है इसलिए हमारा कर्त्तव्य बनता है कि अनूठी शैली में लिखे गए इन व्यंग्य लेखों को आप तक पहुंचाएं. यह नया है …
Read More »साहित्यकरवा सब फ्रॉड है!
शीर्षक से कुछ और मत समझ लीजियेगा. असल में यह एक मारक व्यंग्य लेख है. संजीव कुमार को आलोचक, लेखक के कई रूपों में जानता रहा हूँ, लेकिन पिछले कुछ अरसे से उनके व्यंग्य लेखन का कायल हो गया हूँ. भाषा का खेल, रामपदारथ भाई जैसा किरदार. यह व्यंग्य का …
Read More »गागर में मौलिक स्थापनाओं का सागर
पिछले सप्ताह कवि-आलोचक, ‘समास’ जैसी कल्पनाशील पत्रिका के संपादक उदयन वाजपेयी का लेख नई सरकार की संस्कृति नीति को लेकर ‘जनसत्ता’ में प्रकाशित हुआ था, जिसे हमने जानकी पुल पर भी लगाया था. इस सप्ताह उस लेख पर टिप्पणी करते हुए प्रखर युवा आलोचक, कथाकार संजीव कुमार का लेख ‘जनसत्ता’ …
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