फ़िल्में आती हैं, हफ्ते-दो हफ्ते उनके ऊपर चर्चा होती है, फिर फिल्म विमर्शकार भी उस फिल्म को भूल जाते हैं और किसी अगली फिल्म के हो-हल्ले में लग जाते हैं. लेकिन असली मूल्यांकन तो वह होता है जो उस फिल्म के प्रचार-प्रसार, हो-हल्ले के थम जाने के बाद किया जाए. …
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