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Tag Archives: sushil kumar bhardwaj

हजारों वर्ष बाद भी स्त्रियों की स्थिति में बहुत बदलाव नहीं आया है

आशा प्रभात मेरे गृह नगर सीतामढ़ी में रहती हैं और अपने लेखन से उन्होंने बड़ी पहचान बनाई है। सीता पर उनका उपन्यास ‘जनकनंदिनी’ हो या ‘साहिर समग्र’ का संपादन आशा जी के लेखन-संपादन से हिंदी समाज अच्छी तरह परिचित है,उर्मिला पर उनका उपन्यास जल्द ही आने वाला है उनसे बातचीत …

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‘आयाम’ पटना के तीसरे वार्षिकोत्सव की रपट

पटना में लेखिकाओं की संस्था ‘आयाम’ का तीसरा वार्षिकोत्सव संपन्न हुआ. उसकी एक बहुत अच्छी रपट भेजी है युवा लेखक सुशील कुमार भारद्वाज ने- मॉडरेटर ================================== आयाम का तीसरा वार्षिकोत्सव गत दिनों पटना के ए एन कॉलेज के सभागार में साहित्यिक गहमागहमी के बीच सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। आयोजन जितना …

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सुशील कुमार भारद्वाज की कहानी “जाति बदल लीजिए”

सुशील कुमार भारद्वाज ने बहुत कम समय में पटना के साहित्यिक परिदृश्य पर अपनी उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज की है. पेशे से अध्यापक हैं और उनकी कहानियों में बिहार के सामाजिक जीवन के ‘स्लाइसेज‘ होते हैं. उनको पढ़ते हुए बिहार का समकालीन समाज समझ में आता है. जानकीपुल पर आज है …

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बिहार संवादी ने बिहार साहित्य में खींच दी एक दीवार

बिहार की राजधानी पटना में संपन्न हुए ‘जागरण संवादी’ अनेक कारणों से वाद-विवाद में बना रहा. तमाम चीजों के बावजूद मैं यह कह सकता हूँ कि पहले ही साल बिहार में ‘जागरण संवादी’ ने खुद को एक ब्रांड के रूप में स्थापित कर लिया है. अगर मैथिली के प्रति आयोजकों …

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सुशील कुमार भारद्वाज की कहानी ‘मंझधार’

सुशील कुमार भारद्वाज युवा लेखक हैं, हाल में उन्होंने कुछ अच्छी कहानियां लिखी हैं. उनकी कहानियों का एक संकलन किन्डल पर ईबुक में उपलब्ध है. यह उनकी एक नई कहानी है- मॉडरेटर ===========================================  चाहकर भी मैं खुश नहीं रह पाता हूँ. हंसता हूँ पर आत्मा से एक ही आवाज आती- “क्या …

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पटना पुस्तक मेला 2017: नया माहौल नया जोश

पटना पुस्तक मेला 2017 का समापन हो गया. एक नए माहौल में पटना पुस्तक मेला का आयोजन इस बार कुछ अलग रहा. युवा लेखक सुशील कुमार भारद्वाज की रपट- मॉडरेटर ================================ पटना पुस्तक मेला 2017 कई कारणों से इस बार चर्चा में रहा. यह मेला न सिर्फ ऐतिहासिक रूप से पहली बार …

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सुशील कुमार भारद्वाज की कहानी ‘उस रात’

सुशील कुमार भारद्वाज ने हाल कई अच्छी कहानियां लिखी हैं. अभी किन्डल ईबुक से उनकी कहानियों का संकलन जनेऊ आया है. यह उनकी एक नई कहानी है- मॉडरेटर =============================== उस रात दिल और दिमाग दोनों में ही भयंकर हलचल मचा हुआ था.नैतिकता और जिम्मेवारी के सवाल अंदर तक धंसे हुए …

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सुशील कुमार भारद्वाज की कहानी ‘जनेऊ’

  सुशील कुमार भारद्वाज ने अपने लेखन से इधर ध्यान खींचा है. उनकी इस कहानी ने मेरा भी ध्यान खींचा. पढ़कर देखिये- मॉडरेटर रात में लोग सारी चिंताओं को दरकिनार कर सिर्फ गहरी नींद में सोना चाहते हैं. दिनभर की शारीरिक और मानसिक थकान को बिस्तर में ही छोड़ एक …

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नागार्जुन मुक्तिबोध से बड़े कवि :खगेन्द्र ठाकुर    

पटना अक्सर राजनीति के लिए चर्चा में रहता है। साहित्य की राजनीति भी वहाँ की खूब है। पिछले दिनों प्रगतिशील लेखक संघ ने मुक्तिबोध की याद में आयोजन किया था। उसमें भी लेखकों की राजनीति प्रकट हुई है। इस कार्यक्रम की एक संतुलित रपट भेजी है युवा लेखक सुशील कुमार …

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‘दिल्लीवाली बस से ही जाना, बिहार वाली बस तुम जैसों के लिए नहीं है…’

सुशील कुमार भारद्वाज बिहार के युवा लेखक हैं. इस बार उन्होंने एक बस यात्रा का संस्मरण लिखा है. बरसों पहले भी बस ट्रेन यात्राओं पर ऐसे ही लिखा जाता था. आज भी वैसे ही. समय के साथ आम आदमी की मुश्किलों का कोई अंत नहीं हुआ है. बहुत रोचक है- …

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