कल आर. अनुराधा जी ने ध्यान नहीं दिलाया होता तो उज्जवला ज्योति तिग्गा की कविताओं की तरफ ध्यान ही नहीं गया होता. पी.आर. के तमाम माध्यमों के बावजूद, सोशल मीडिया पर निर्लज्ज आत्मप्रचार के इस दौर में कोई कवि इतनी सच्ची कविता चुपचाप लिखते रह सकता है. सोचकर आश्चर्य होता है. …
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