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कांदुर कड़ाही:  चूल्हे-चौके से बाहर रौशन होती एक दुनिया

नाटककार, अभिनेत्री विभा रानी का उपन्यास आया है ‘कांदुर कड़ाही’। यह हिंदी में अपने ढंग का अनूठा उपन्यास है। कश्मीर और बिहार की दो विस्थापित स्त्रियों की स्मृतियाँ हैं, देश भर की रेसिपी है और अपनापे की एक कहानी। वनिका पब्लिकेशंस से प्रकाशित इस उपन्यास पर सारंग उपाध्याय ने यह …

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विभा रानी के उपन्यास ‘कांदुर- कड़ाही’ का एक अंश

जानी-मानी लेखिका, अनुवादिक, रंगकर्मी, अभिनेत्री विभा रानी का उपन्यास आया है ‘कांदुर- कड़ाही’। वनिका प्रकाशन से प्रकाशित इस उपन्यास का एक अंश पढ़िए- =============================== दिल्ली में काजल कौल को राजमा की आदत पड़ गई। जगह- जगह राजमा चावल की रेहड़ी। लाजवंती देवी का बनाया राजमा उसे पागल कर देता। बाजार …

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विभा रानी की कहानी ‘सीता के सकल देखी’

आज विभा रानी की कहानी पढ़िए। विभा रानी हिन्दी और मैथिली की लेखक, अनुवादक, नाट्य-लेखक, नाट्य व फिल्म कलाकार व फोक प्रेजेंटर हैं। सत्रह नाटक, तीस किताबें (कविता, कहानी, नाटक, अनुवाद, लोक साहित्य, स्त्री विमर्श की), दो फिल्में, एक टीवी सीरियल लिखे हैं। गायक के रूप में फिल्म ‘भोर’ के लिए स्वर दिया है। दो फिल्मों के गीत लिखे हैं। एक्टर के रूप …

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औरतों की संगीतमय दुनिया ‘समरथ’

हुआ यूँ कि जानी मानी थिएटर आर्टिस्ट/लेखिका विभा रानी ब्रेस्ट कैंसर की शिकार हुईं और अपनी मजबूत जिजीविषा के कारण इस बीमारी से उबर भी गईं। लेकिन बीमारी के दौरान वो अपने मन की बात काग़ज़ों पर दर्ज़ करती रहीं। वो बातें, एक कविता संग्रह के रूप में प्रकाशित हुई …

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गाँठ जीवन से जितनी जल्दी निकले उतना अच्छा

ब्रेस्ट कैंसर को लेकर हमने पहले भी कई कवितायेँ पढ़ी हैं, उन कविताओं को लेकर लम्बी-लम्बी बहसों की भी आपको याद होगी. आज कुछ कविताएं प्रसिद्ध रंगकर्मी, लेखिका विभा रानी की. कैंसर पर जीत हासिल करने के बाद उन्होंने यह ताजा कविताएं आपके लिए भेजी हैं. रोग का शोक नहीं …

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ढो रहे हैं अपने पूर्वजों का रक्‍त और वीर्य

हाल में ‘तहलका’ में आए एक लेख के कारण हिन्दी में स्त्री विमर्श फिर से चर्चा में है। प्रसिद्ध रंगकर्मी, लेखिका विभा रानी का यह लेख हालांकि उस संदर्भ में नहीं लिख गया है लेकिन समकालीन स्त्री विमर्श को लेकर इस लेख में कई जरूरी सवाल उठाए गए हैं- जानकी …

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विभा रानी की कविताएँ

प्रसिद्ध रंगकर्मी, लेखिका विभा रानी कभी-कभी कवितायेँ भी लिखती हैं. और खूब लिखती हैं. आज उनकी नई कविताओं की सौगात जानकी पुल को मिली. जानकी पुल आपसे साझा कर रहा है- जानकी पुल. ======== प्रतीक्षा ! मेरे सूखे पपड़ाए होठों पर पड़ते ही तुम्‍हारे होठों की नम ओस पूरी देह …

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