इस साल एक महत्वपूर्ण किताब आई यतींद्र मिश्र की लिखी ‘गुलज़ार साब: हज़ार राहें मुड़ …
Read More »नश्तर खानकाही की चार ग़ज़लें
नश्तर ख़ानकाही की शायरी में फ़कीराना रक्स है। कुछ-कुछ लोकगीतों की सी छंद, खयाल की सादगी। हिन्दी में उनकी ग़ज़लें हो सकती है पहले यदा-कदा कहीं छपी हो। इस गुमनाम शायर की चुनिंदा ग़ज़लें पढ़िए और खयालों में खो जाइए- =============================== 1. धड़का था दिल कि प्यार का मौसम गुज़र …
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