जगरनॉट प्रकाशन की एक किताब पढने को मिली, अरुंधति रॉय और जॉन क्यूजैक के बीच बातचीत की: बातें जो कही जा सकती हैं और नहीं कही जा सकती हैं. अरुंधति रॉय 2014 की सर्दियों में एडवर्ड स्नोडेन से मिलीं। उनके साथ में थे अभिनेता और लेखक जॉन क्यूज़ेक और डेनियल एल्सबर्ग, जिन्हें 60 के दशक का स्नोडेन कहा जाता है। उनकी बातचीत में शामिल थे हमारे वक्त के सभी बड़े विषय – राज्य की प्रकृति, एक बेमियादी जंग के दौर में खुफिया निगरानी, और देशभक्ति का मतलब। यह गैरमामूली, ताकतवर किताब बेचैन भी करती है और उकसाती भी है। जिसमें राष्ट्र-राज्य को लेकर, अमेरिका को लेकर, अलग अलग तरह की अवधारणाओं को लेकर कुछ बिखरी-बिखरी सी बातें हैं. किताब का अनवाद रेयाजुल हक़ ने किया है. इसमें भारत के बारे में अरुंधति रॉय के विचार पढने को मिले सोचा साझा किया जाए, “जब लोग कहते हैं भारत के बारे में बताइए, मैं कहती हूँ, ‘मैं कहती हूँ कौन सा भारत… कविताओं और जुनूनी बगावतों की धरती? वो धरती जहाँ यादगार संगीत और मन को मोह लेने वाली पोशाकें बनती हैं? वो मुल्क जिसने जाति व्यवस्था ईजाद की और जो मुसलमानों और सिखों के नस्ली सफाए और दलितों को पीट-पीट कर होने वाली हत्याओं का जश्न मनाता है? अरबों डॉलर की दौलत वाले अमीरों का देश? या वह मुल्क जिसमें 80 करोड़ लोग रोजाना आधे से भी कम डॉलर पर जीवन गुजारते हैं? कौन सा भारत? जब लोग कहते हैं अमेरिका तो कौन सा अमेरिका? बॉब डिलन का या बराक ओबामा का? न्यू ऑर्लियंस या न्यू यॉर्क का? बस कुछ साल पहले भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश एक ही देश थे… फिर ब्रिटिशों ने एक लकीर खींच दी और अब हम तीन देश हैं, उनमें से दो एक दूसरे पर परमाणु बमों से निशाना साधे हुए हैं- एक ओर रेडिकल हिन्दू बम है और दूसरी ओर रेडिकल मुस्लिम बम.”
Tags arundhati roy John Cusack juggernaut books Reyazul Haque
Check Also
शिरीष खरे की किताब ‘नदी सिंदूरी’ की समीक्षा
शिरीष खरे के कहानी संग्रह ‘नदी सिंदूरी’ की कहानियाँ जैसे इस बात की याद दिलाती …
3 comments
Pingback: 토렌트
Pingback: สล็อตเว็บตรง
Pingback: see this website