भुवनेश्वर ने कुछ कविताएँ अंग्रेजी में लिखी थी. बाद में जिनका हिंदी अनुवाद शमशेर बहादुर सिंह ने किया. दोनों शताब्दी कवि-लेखकों की यह जुगलबंदी प्रस्तुत है- जानकी पुल.
1.
रुथ के लिए
मगन मन पंख झड़ जाते यदि
और देखने वाली आँखे झप जाती हैं
शाहीन के अंदर पानी नहीं रहता
उस अमृत जल को पी के भी जो
आंसुओं की धार है
दूसरे पहर की चमक में यदि
अगली रात की झलक है
और रात की कोख भी सुनी
जैसे मछुआरे का झावा
ये सारा मातम है यदि इसीलिए
कि मर जाएँ पर सच ही सच बताएं
तो मर जाना ही बेहतर है उसे बताकर
कान में रुथ के.
2.
खुल सीसामा!
खुल सीसामा!
और खुल गया
द्वार वह
जिसकी मुहरबंद शक्ति में
धन था.
धन! अतिरिक्त और
हो भी क्या सकता भला
उस अली बाबा के लिए
कि जिसका- धनी हुए बिना ही
धन पर अधिकार हो गया था
तो क्या वह बीमार हो गया था?
3.
बौछार पे बौछार
बौछार पे बौछार
सनसनाते हुए सीसे की बारिश का ऐसा जोश
गुलाबों के तख्ते के तख्ते बिछ गए क़दमों में
कायदे से अपना रंग फैलाये मेंह में कुम्हलाये हुए
आग आवश्यकता से अधिक पीड़ा का बदला चुकाने की
पीड़ा निर्जीव करने वाली उस आग से भी अधिक
दल के दल बादल
कि हौले-हौले कानाफूसियाँ है अफवाह की
जो अपशकुन बनकर फैली है
किसी… दीर्घ आगत भयानक यातना की
फौजी धावा हो जैसे, ऐसा अंधड़
बादलों के परे के परे बुहार कर एक ओर कर रहा
ऐसी-ऐसी शक्लों में छोड़ते हुए उनको
कि भुलाये न भूलें
आदमी पर आदमी का तांता
और हरेक के पास
बड़े ही मार्मिक जतन से अलगाई हुई अपनी
एक अलग कहानी
उसी व्यक्ति को लेकर
जो सदा वही कुर्ता पहने
उसी एक दिशा में चला जाता रहा
रहम पर रहम की मार
मरदूद करार देने उसी व्यक्ति को
और साथ उसके मठ के पुजारी को भी
जो शपथ ले-ले के जीती और मुर्दों की
कम से कम आधे पखवाड़े में एक बार तो
झूठ बोलता ही है.
11 Comments
भुवनेश्वर और शमशेर दोनों अपने समय से आगे चल रहे थे शायद ..
वाह!
इन्हें उपलब्ध कराने के लिए जानकी पुल और प्रभात जी को हार्दिक धन्यवाद!
Sir Bhuvaneshvar ji ko padhvane ke liye sadar aabhar ! Achha laga padh ke -एक अलग कहानी
उसी व्यक्ति को लेकर
जो सदा वही कुर्ता पहने
उसी एक दिशा में चला जाता रहा
रहम पर रहम की मार
मरदूद करार देने उसी व्यक्ति को
और साथ उसके मठ के पुजारी को भी
जो शपथ ले-ले के जीती और मुर्दों की
कम से कम आधे पखवाड़े में एक बार तो
झूठ बोलता ही है. Stabdh thi Aajkal patrika Bhuvaneshvar visheshank padh kar ! Ham kitna kadra kar pate hai………….?
prabhat ji,aap shandar cheezen late hain.varshon ke adhyavsaay se hi yh sambhav hi
प्रभात भाई…प्लीज़ इन्हें मेल कर दीजिये…'युवा संवाद' के जनकविता अंक में लेना चाहूंगा जिसके संपादन की ज़िम्मेदारी मुझे दी गयी है
मेरी सोच पर बौछार ही बौछार…
प्रभात भाई, आभार।
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