जानकी पुल – A Bridge of World's Literature.

गाब्रियल गार्सिया मार्केज़ के साथ पीटर एच. स्टोन की बातचीत का सम्पादित अंश   जिसका अनुवाद मैंने किया है- प्रभात रंजन.
प्रश्न- टेपरिकार्डर के उपयोग के बारे में आप क्या सोचते हैं?
मार्केज़- मुश्किल यह है कि जैसे ही आपको इस बात का पता चलता है कि इंटरव्यू को टेप किया जा रहा है, आपका रवैया बदल जाता है. जहाँ तक मेरा सवाल है मैं तो तुरंत रक्षात्मक रुख अख्तियार कर लेता हूँ. एक पत्रकार के रूप में मुझे लगता है कि हमने अभी यह नहीं सीखा है कि इंटरव्यू के दौरान टेपरिकार्डर किस तरह से उपयोग किया जाना चाहिए. सबसे अच्छा तरीका जो मुझे लगता है कि पत्रकार लंबी बातचीत करे जिसके दौरान वह किसी प्रकार का नोट नहीं ले. बाद में उस बातचीत के आधार पर उसे वह लिखना चाहिए जैसा उसने उस साक्षात्कार के दौरान महसूस किया, ज़रूरी नहीं है कि वह हुबहू वही लिखे जिस तरह से इंटरव्यू देने वाले ने बोला. टेपरिकार्डर से जो भान होता है वह यह कि वह उस व्यक्ति के प्रति ईमानदार नहीं होता जिसका इंटरव्यू लिया जा रहा हो क्योंकि यह उसको भी रिकॉर्ड करके दर्ज कर लेता है जब सामने वाला अपना मजाक उड़ा रहा होता है. इसीलिए जब सामने टेपरिकार्डर होता है तो मैं इसको लेकर सजग होता हूँ कि मेरा इंटरव्यू लिया जा रहा है; लेकिन जब टेपरिकार्डर नहीं होता है मैं सहज और स्वाभाविक रूप से बात करता हूँ.
प्रश्न- तो आपने इंटरव्यू के लिए कभी टेपरिकार्डर का इस्तेमाल नहीं किया?
मार्केज़- पत्रकार के तौर पर तो मैंने कभी उसका उपयोग नहीं किया. मेरे पास एक बहुत बढ़िया टेपरिकार्डर है लेकिन मैं उसका उपयोग केवल संगीत सुनने के लिए करता हूँ. लेकिन यह भी है कि पत्रकार के रूप में मैंने कभी इंटरव्यू नहीं किया, मैंने रिपोर्ट किए लेकिन सवाल-जवाब वाला इंटरव्यू तो कभी नहीं किया.
प्रश्न- मैंने आपके एक मशहूर इंटरव्यू के बारे में सुना है, जो एक जहाजी से था जिसका जहाज़ टूट गया था…
मार्केज़- वह सवाल-जवाब के रूप में नहीं था. उस जहाजी ने मुझे अपने अनुभव बताये थे, मैंने उसे लिखा और यह कोशिश की उसी के शब्दों में लिखूं. मैंने कोशिश कि कि प्रथम पुरुष में लिखूं, ताकि यह लगे कि वही लिख रहा है. बाद में वह एक समाचारपत्र में धारावाहिक छपा, दो सप्ताह तक रोज उसका एक-एक खंड प्रकाशित हुआ, तो वह उसके नाम से छपा था, मेरे नाम से नहीं. जब २० सालों बाद जब वह पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुआ तब लोगों को इस बात की जानकारी हुई कि उसे मैंने लिखा था. किसी संपादक को तब तक ऐसा नहीं लगा था कि वह अच्छा है जब तक कि मैंने ‘वन हंड्रेड इयर्स ऑफ सालीटयूड’ नहीं लिखा था.
प्रश्न- हमने बातचीत की शुरुआत पत्रकारिता के बारे में बात करने से आरम्भ की थी, फिर से पत्रकारिता से जुड़ना कैसा लगता है, जबकि इतने दिन से आप उपन्यास लिख रहे हैं? क्या कुछ अलग तरह का महसूस होता है, क्या नजरिया कुछ बदल जाता है?
मार्केज़- मुझे हमेशा से इस बात का भरोसा रहा है कि मेरा असली पेशा पत्रकारिता ही है. पहले इसके बारे में जो बात मुझे अच्छी नहीं लगती थी वह काम करने की स्थितियां थीं, साथ ही, मुझे अपने सोच-विचारों को अखबार के हितों के मुताबिक़ ढालना पड़ता था. अब उपन्यास लिखकर मैंने आर्थिक स्वतंत्रता अर्जित कर ली है. अब मैं अपनी रूचि और विचारों के मुताबिक़ लिख सकता हूँ. वैसे भी, पत्रकारिता के माध्यम से जब भी मुझे कुछ अच्छा लिखने अवसर मिलता है तो मुझे बहुत आनंद आता है.
प्रश्न- पत्रकारिता का अच्छा नमूना क्या है आपके लिए?
मार्केज़- जॉन हर्सी का ‘हिरोशिमा’ पत्रकारिता का असाधारण नमूना है.
प्रश्न- क्या आपको लगता है कि उपन्यास कुछ ऐसा कर सकता है जो पत्रकारिता नहीं कर सकती?
मार्केज़- कुछ भी नहीं. मुझे नहीं लगता कि इनमें कोई अंतर है. इनके स्रोत एकसमान होते हैं, सामग्री समान होती है, संसाधन और भाषा भी समान ही होती है. डेनियल डेफो का ‘जर्नल ऑफ द प्लेग इयर्स’ एक महान उपन्यास है जबकि ‘हिरोशिमा’ पत्रकारिता का बेहतरीन नमूना.
प्रश्न- सत्य बनाम कल्पना के बीच संतुलन बनाने में पत्रकारों और उपन्यासकारों की अलग-अलग तरह की जिम्मेदारियां होती हैं?
मार्केज़- पत्रकारिता में अगर एक तथ्य भी गलत हो तो वह पूरे लेख को संदिघ्ध बना देता है. इसके विपरीत अगर उपन्यास में अगर एक तथ्य भी सही हो तो वह पूरी कृति को वैध बना देता है. यही एक अंतर है और यह लेखक के कमिटमेंट पर निर्भर करता है. एक उपन्यासकार जो चाहे वह कर सकता है जब तक कि लोग उसमें विश्वास करें.
वैसे अब उपन्यास और पत्रकारिता दोनों के लिए लिख पाना मुझे पहले से मुश्किल लगने लगा है. जब मैं अखबार में काम करता था तो मैं अपने लिखे प्रत्येक शब्द को लेकर उतना सजग नहीं रहता था, जबकि अब रहता हूँ. जब मैं बोगोटा में ‘एल स्पेक्टादोर’ में काम कर रहा था तब मैं सप्ताह में कम से कम तीन ‘स्टोरी’ करता था, रोज तीन सम्पादकीय लिखता था, फिर मैं सिनेमा के रिव्यू लिखता था. फिर रात में जब सब चले जाते थे तब मैं वहीँ रुककर उपन्यास लिखता था. मुझे लिनोटाइप मशीनों की आवाजें अच्छी लगती थी, जो सुनने में बारिश की तरह लगती थी. अगर वे थम जाते तो मैं ख़ामोशी के साथ तनहा रह जाता था, फिर मैं लिख नहीं पाता था. अब उसके मुकाबले मैं कम लिखता हूँ. जिस दिन सुबह के ९ बजे से दोपहर के दो या तीन बजे तक अच्छी तरह काम कर लूं तो मैं मुश्किल से चार-पांच पंक्तियों का एक पैराग्राफ लिख पाता हूँ, जिसे अक्सर अगले दिन मैं फाड़ देता हूँ.
प्रश्न- क्या आपके लेखन में यह परिवर्तन इसलिए आया है क्योंकि आपकी कृतियों को काफी सराहना मिली है या किसी राजनीतिक प्रतिबद्धता के कारण?
मार्केज़- ऐसा दोनों कारणों से हुआ है. मुझे लगता है कि यह विचार कि मैं उससे कहीं अधिक लोगों के लिए लिख रहा हूँ जितनी कि मैंने कभी कल्पना की थी, ने खास तरह की ज़िम्मेदारी मेरे ऊपर डाल दी है जो सहित्यिक भी और राजनीतिक भी.
प्रश्न- आपने लिखना कैसे शुरू किया?
मार्केज़- रेखांकन बनाने से. कार्टून बनाने से. जब मैं पढ़ना-लिखना नहीं जानता था तो मैं घर और स्कूल में कॉमिक्स बनाया करता था. मजेदार बात यह है कि जब मैं हाईस्कूल में पढता था तो उस समय मेरी ख्याति एक लेखक के रूप में थी जबकि तब तक मैंने कुछ भी नहीं लिखा था. कोई परचा लिखना होता था या किसी तरह का पिटीशन तो मुझे याद किया जाता था क्योंकि मुझे लेखक के तौर पर जाना जाता था. जब मैं कॉलेज में गया तो सामान्य तौर पर मेरे दोस्तों के मुकाबले मेरी साहित्यिक पृष्ठभूमि अच्छी मानी जाती थी. बोगोटा में विश्वविद्यालय के दिनों में मेरी कुछ ऐसे लोगों से दोस्ती हुई जिन्होंने मेरा परिचय समकालीन लेखकों से करवाया. एक रात मेरे एक दोस्त ने मुझे फ्रांज़ काफ्का की कहानियों की  किताब पढ़ने को दी. उसमें उनकी कहानी ‘मेटामौर्फोसिस’ भी थी. उसकी पहली पंक्ति पढते ही मैं अपने बिस्तर से उछल पड़ा- ‘उस सुबह जब ग्रेगरी साम्सा असहज सपने से जगा तो उसने पाया कि वह बिस्तर पर एक बहुत बड़े कीड़े में बदल गया है.’ इस लाइन को पढकर मैंने यह सोचा कि यह तो मुझे पता ही नहीं था कि कोई इस तरह से भी लिख सकता था, किसी को इस तरह से लिखने की इजाज़त भी मिल सकती थी. अगर मुझे पता होता तो मैंने बहुत पहले ही लिखना शुरू कर दिया होता. फिर मैंने तत्काल कहानियां लिखनी शुरू कर दी. वे पूरी तरह से बौद्धिक कहानियां थी जो मेरे साहित्यिक अनुभवों पर आधारित थी और तब तक जीवन और साहित्य के बीच का सूत्र मुझे नहीं मिला था. वे कहानियां उस दौर में ‘एल स्पेक्टादोर’ के साहित्यिक परिशिष्ट में छपी और उस दौर में उनको कुछ सफलता भी मिली- उसका कारण शायद यह था कि उस ज़माने में कोलंबिया में कोई बौद्धिक कहानियां नहीं लिख रहा था. मेरी आरंभिक कहानियों के बारे में कहा गया कि उनके ऊपर जेम्स जॉयस का प्रभाव है.
प्रश्न- आपने तब तक जॉयस को पढ़ा था?
मार्केज़- मैंने तब तक उनको पढ़ा नहीं था, इसलिए मैंने ‘यूलिसिस’ पढ़ना आरम्भ कर दिया. उनसे मैंने आतंरिक एकालाप की तकनीक सीखी. बाद में मैंने वह तकनीक वर्जीनिया वुल्फ में भी देखी और मुझे अच्छा लगा, वे उस तकनीक का जॉयस से भी अच्छी तरह उपयोग करती थी. हालाँकि मैंने बाद में पाया कि आंतरिक एकालाप की तकनीक को इजाद करनेवाला लेखक ‘लाजरिलो दे तोर्म्स’ का गुमनाम लेखक था.
प्रश्न- उस समय आप किसके लिए लिख रहे थे? आपके पाठक कौन थे?
मार्केज़- ‘लीफ स्टोर्म’ उपन्यास मैंने मैंने अपने उन दोस्तों के लिए लिखा था जो मेरी मदद कर रहे थे, मुझे किताबें उधार देते थे और सामान्य तौर पर मेरे लेखन को लेकर प्रोत्साहित रहते थे. मुझे लगता है कि आप सामान्य तौर पर किसी न किसी के लिए लिखते हैं. जब मैं लिख रहा होता हूँ तो मुझे लिखते हुए इस बात का अहसास हो जाता है कि फलां को यह पसंद आएगा, अमुक दोस्त इस अनुच्छेद को पसंद करेगा, मैं उन अलग-अलग खास लोगों के बारे में सोचता रहता हूँ. आखिरकार सभी पुस्तकें अपने दोस्तों के लिए ही तो लिखी जाती हैं. ‘वन हंड्रेड इयर्स ऑफ सालीट्यूड’ लिखने के बाद यह हुआ है कि लाखों-करोड़ों पाठकों में मैं किसके लिए लिख रहा हूँ इस बात का मुझे पता नहीं होता, इससे मैं असहज हो जाता हूँ. यह कुछ वैसे ही है लाखों आँखें आपको देख रही हों और आपको पता नहीं चले कि वे क्या सोच रहे हैं.
प्रश्न- आपके गल्प-लेखन पर पत्रकारिता के प्रभावों के बारे में आपका क्या कहना है?
मार्केज़- मुझे यह दोतरफा लगता है. उपन्यासों ने मेरे पत्रकारिता-लेखन की इस दिशा में मदद की है उसके कारण उसमें साहित्यिक मूल्य पैदा हुआ. पत्रकारिता ने मेरे उपन्यासों की इस तरह मदद की है कि उसने मुझे हमेशा यथार्थ के करीब रखा है.
प्रश्न- लीफ स्टोर्म से लेकर ‘वन हंड्रेड इयर्स ऑफ सालीट्यूड’ शैली की जो तलाश आपकी रही, उसको आप किस तरह देखते हैं?
मार्केज़- लीफ स्टोर्म लिखने के बाद मुझे लगा कि गांव और अपने बचपन के बारे में लिखना असल में देश के राजनीतिक यथार्थ से पलायन है. मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं देश के राजनीतिक हालात से भागने के क्रम में एक प्रकार के नॉस्टेल्जिया के पीछे छिप रहा हूँ. वही समय था जब साहित्य और राजनीति के संबंधों को लेकर खूब चर्चा होती थी. मैं उन दोनों के बीच की दूरी को पाटने की कोशिश करता रहा. पहले मैं फौकनर से प्रभावित था, बाद में हेमिंग्वे का प्रभाव पड़ा. मैंने ‘नो वन राइट्स टू कर्नल’, ‘इन एविल आवर’, ‘द फ्यूनरल ऑफ ग्रेट मैट्रियार्क’ लिखे, जो कमोबेश एक ही दौर में लिखे गए थे और उनमें काफी समानताएं थीं. ‘लीफ स्टोर्म’ और ‘वन हंड्रेड इयर्स ऑफ सालीट्यूड’ के मुकाबले उनका परिवेश अलग था. वह एक ऐसा गांव था जहाँ कोई जादू नहीं था. वह पत्रकारीय साहित्य था. लेकिन जब मैंने ‘इन एविल आवर’ लिखा तो मैंने पाया कि मेरे सारे दृष्टिकोण गलत साबित हुए. मैंने पाया कि बचपन को लेकर लिखते हुए मैंने जो लिखा उसका सम्बन्ध राजनीति से अधिक और मेरे देश के यथार्थ से अधिक था जितना मैंने सोचा था. ‘इन एविल आवर’ के बाद मैंने पांच सालों तक कुछ नहीं लिखा. मुझे इसकी कुछ समझ तो थी कि मैं क्या लिखना चाहता था, लेकिन कुछ था जो उनमें रह जाता था, नहीं आ पाता था. आखिरकार मैंने वह स्वर पा लिया, जिसका मैंने बाद में ‘वन हंड्रेड इयर्स ऑफ सालीट्यूड’ में उपयोग किया. वह उस पर आधारित था जिस तरह कि मेरी नानी मुझे कहानियां सुनाती थीं. वे जो बातें बताती थी वे पराभौतिक और काल्पनिक प्रतीत होती थीं, लेकिन उनको पूरे स्वाभाविकता के साथ सुनाया करती थीं. जब मुझे वह स्वर मिल गया जिसमें मैं लिखना चाहता था तो उसके बाद मैं १८ महीनों तक बैठकर लिखता रहा, हर दिन.
 
प्रश्न- उस तकनीक में कुछ पत्रकारीय भंगिमा भी लगती है. आप कल्पनाजनित घटनाओं का भी इतनी गहराई से वर्णन करते हैं कि वह उनको एक तरह का यथार्थ प्रदान कर देता है. यह कुछ ऐसा है जो लगता है आपने पत्रकारिता से सीखा?
मार्केज़- यह एक पत्रकारीय युक्ति है जिसको आप साहित्य में आजमा सकते हैं. उदाहरण के लिए, अगर आप कहें कि आकाश में हाथी उड़ रहे हैं तो कोई विश्वास नहीं करनेवाला. लेकिन अगर आप कहें कि आकाश में कुल ४२५ हाथी हैं तो शायद लोग आपका विश्वास कर लें. ‘वन हंड्रेड इयर्स ऑफ सालीट्यूड’ इस तरह की चीज़ों से भरा हुआ है. यह ठीक वही तकनीक है जिसका मेरी नानी उपयोग किया करती थीं. मुझे वह कहानी खास तौर पर याद है जो एक ऐसे आदमी के बारे में है जो पीली तितलियों से घिरा रहता था. जब मैं बहुत छोटा था तो हमारे घर में एक बिजली का काम करनेवाला आता था. मुझे उसको लेकर बहुत उत्सुकता रहती थी क्योंकि वह अपने साथ एक बेल्ट लेकर आता था जिससे वह खुद को बिजली के खम्भे से बाँध लेता था. मेरी नानी कहतीं कि जब यह आदमी आता है घर तितलियों से भर जाता है. जब मैं इस बात को लिख रहा था तो मुझे लगा कि अगर मैंने नहीं कहा कि तितलियाँ पीली थीं तो लोग विश्वास नहीं करेंगे.
प्रश्न- ‘वन हंड्रेड इयर्स ऑफ सालीट्यूड’ के ‘बनाना फीवर’ के बारे में आपका क्या कहना है? यूनाइटेड फ्रूट कंपनी के कारनामों से उसका कितना संबंध है?
मार्केज़- ‘बनाना फीवर’ का काफी कुछ सम्बन्ध यथार्थ से है. वास्तव में, मैंने कुछ ऐसी साहित्यिक युक्तियों का प्रयोग किया है जिनको ऐतिहासिक रूप से सिद्ध नहीं किया जा सकता. उदाहरण के लिए, चौक में हुए नरसंहार की घटना बिलकुल सत्य है, मैंने उसे दस्तावेजों और बयानों के आधार पर लिखा है, लेकिन इस बात का कभी पता नहीं चल पाया कि कितने लोग उस घटना में मारे गए. मैंने मरनेवालों की संख्या ३००० लिखी, जो ज़ाहिर है अतिरंजना थी. लेकिन मेरी बचपन की स्मृतियों में उस ट्रेन को देखना भी है जो बहुत लंबी थी जो बागानों से केले भरकर लौटी थी. उसमें तीन हज़ार मृत हो सकते थे, जिनको समुद्र में फेंक दिया गया. लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि अब संसद और अखबारों में ३००० मृतकों की बात होने लगी है. मुझे लगता है कि हमारा आधा इतिहास इसी तरह से बना हुआ है. ‘ऑटम ऑफ द पैट्रियार्क’ में तानाशाह कहता है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह अभी सत्य नहीं है, लेकिन आनेवाले समय में यह बात सच साबित होगी. आनेवाले समय में जनता सरकार के बजाय लेखकों पर अधिक भरोसा करेगी.
प्रश्न- क्या आपको अंदाजा था कि ‘वन हंड्रेड इयर्स ऑफ सालीट्यूड’ को ऐसी अप्रत्याशित सफलता मिलने वाली है?
मार्केज़- मैं इतना तो जानता था कि यह किताब मेरे दोस्तों मेरी अन्य किताबों के मुकाबले अच्छी लगेगी. लेकिन जब मेरे स्पेनिश प्रकाशक ने कहा कि वह इसकी आठ हज़ार प्रतियाँ छापने जा रहा है तो मैं सन्न रह गया, क्योंकि मेरी अन्य किताबें ७०० प्रतियों से ज्यादा नहीं बिकी थीं. मैंने उनसे कहा कि शुरुआत कम से करनी चाहिए, उसने जवाब दिया कि उसे पक्का विश्वास है कि यह एक अच्छी किताब है और मई से दिसंबर के दरम्यान सभी प्रतियाँ बिक जाएंगी. वास्तव में ब्यूनस आयर्स में वे सभी एक सप्ताह के अंदर बिक गईं.
प्रश्न- आपको क्या लगता है ‘वन हंड्रेड इयर्स ऑफ सालीट्यूड’ इनती पसंद क्यों की गई?
मार्केज़- इसका मुझे बिलकुल अंदाज़ नहीं है क्योंकि मैं अपनी रचनाओं का बहुत बुरा आलोचक हूँ. इसकी एक व्याख्या जो मैंने अक्सर सुनी है वह यह है यह किताब लैटिन अमेरिका के लोगों की निजी जिंदगियों के बारे में है, तथा यह अंतरंगता से लिखी गई है. इस व्याख्या से मुझे आश्चर्य होता है क्योंकि जब मैंने इसे लिखने का पहला प्रयास किया था तब इसका नाम ‘द हाउस’ होनेवाला था. मैं यह चाहता था कि इस उपन्यास की घटनाएँ घर के अंदर ही घटित हों तथा बाहरी संसार का इसमें वही कुछ आये जो इस बात को दिखाने के लिए हो कि उसका घर पर क्या प्रभाव पड़ा. इसकी एक और व्याख्या मैंने यह सुनी है कि प्रत्येक पाठक इसके पात्रों में से किसी न किसी के साथ अपनी छवि देख सकता है. मैं नहीं चाहता कि इसके ऊपर कोई फिल्म बने क्योंकि फिल्म देखने वाले एक चेहरा देखेंगे, जिसके बारे में हो सकता है कि उन्होंने कल्पना भी नहीं की हो.
प्रश्न- क्या इसके ऊपर फिल्म बनाने को लेकर आपकी कोई रूचि है?
मार्केज़- मेरी एजेंट ने इसके फिल्म अधिकार के दस लाख डॉलर की दर तय की थी ताकि कोई इसके ऊपर फिल्म बनाने की न सोचे. लेकिन जब कुछ प्रस्ताव आये तो उसने इसे बढ़ाकर ३० लाख डॉलर कर दिया. मेरी कोई रूचि नहीं है कि इसके ऊपर किसी तरह की फिल्म बने और जब तक मैं रोक सकता हूँ तब तक इसके ऊपर फिल्म बनने से मैं रोकूँगा. मैं तो यही चाहूँगा कि पाठकों और इस किताब के बीच एक तरह का निजी रिश्ता बना रहे.
प्रश्न- क्या आपको लगता है कि किसी किताब का फिल्म में अच्छी तरह रूपांतरण हो सकता है?
मार्केज़- मुझे किसी ऐसी फिल्म का ध्यान नहीं आता जो किसी अच्छे उपन्यास से अच्छी बनी हो लेकिन मुझे कई ऐसी अच्छी फिल्मों का ख्याल आता है जो बुरे उपन्यासों पर बनी हैं.
प्रश्न- क्या आपने कभी खुद फिल्म बनाने के बारे में सोचा?
मार्केज़- एक समय में मैं फिल्म निर्देशक बनना चाहता था. मैंने रोम में फिल्म निर्देशन की पढ़ाई भी पढ़ी. मैं सोचता था कि सिनेमा एक ऐसा माध्यम है जिसकी कोई सीमा नहीं है और जिसमें कुछ भी संभव है. मैं मेक्सिको इसीलिए रहने आया क्योंकि मैं फिल्मों में पटकथा लेखक के रूप में काम करना चाहता था. लेकिन सिनेमा की एक बड़ी सीमा यह है कि यह यह एक औद्योगिक कला है, उद्योग है. फिल्मों में जो आप कहना चाहते हैं उसकी अभिव्यक्ति बहुत मुश्किल है. मैं अभी भी इसके बारे में सोचता हूँ, लेकिन अब यह मुझे विलासिता लगती है, जिसे आप दोस्तों के साथ करना चाहें बिना इस बात कि उम्मीद किये कि मैं स्वयं को अभिव्यक्त कर पाउँगा. इसलिए मैं सिनेमा से दूर बहुत दूर होता चला गया. इसके साथ मेरा सम्बन्ध उस जोड़े की तरह है जो अलग-अलग नहीं रह सकते लेकिन वे साथ-साथ भी नहीं रह सकते. मुझे फिल्म कंपनी और जर्नल में से एक चुनने को कहा जाए तो मैं जर्नल को ही चुनूंगा.
प्रश्न- क्या आपको लगता है कि किसी लेखक के जीवन में सफलता या प्रसिद्धि का बहुत ज़ल्दी आ जाना अच्छा नहीं होता?
मार्केज़- यह तो किसी भी उम्र में बुरा ही होता है. मैं तो यह चाहता कि मेरी किताबें मेरी मृत्यु के बाद प्रसिद्ध हुई होती, कम से कम पूंजीवादी देशों में, जहां आप एक तरह से माल में बदल दिए जाते हैं.
प्रश्न- अपनी प्रिय पुस्तकों के अलावा आप इन दिनों क्या पढ़ रहे हैं?
मार्केज़- मैं अजीब-अजीब तरह की किताबें पढता हूँ. एक दिन मैं मोहम्मद अली के संस्मरण पढ़ रहा था. बरम स्टोकर का ‘ड्राकुला’ बड़ी अच्छी किताब है, अगर मैंने उसे कुछ साल पहले नहीं पढ़ा होता तो हो सकता है कि मैं कहता कि उसे पढ़ना समय बर्बाद करना है. लेकिन मैं किसी किताब को तब तक नहीं पढता जब तक उसके बारे में मुझे कोई ऐसा आदमी नहीं बताता जिसके ऊपर मैं विश्वास करता हूँ. मैं अब उपन्यास नहीं पढता. मैंने अनेक संस्मरण और दस्तावेज़ पढ़े हैं, चाहे वे जाली दस्तावेज़ ही क्यों न हों. और मैं अपनी पसंदीदा किताबों को फिर-फिर पढता हूँ. पुनर्पठन का एक फायदा यह होता है कि आप किसी भी पेज को खोलकर अपने मनपसंद हिस्से को पढ़ सकते हैं. अब मैं केवल ‘साहित्य’ पढ़ने के पवित्र विचार को खो चुका हूँ. मैं कुछ भी पढ़ लूँगा. मैं अपने आपको अपटुडेट रखने की कोशिश करता हूँ. मैं हर् सप्ताह दुनिया भर की सारी महत्वपूर्ण पत्रिकाओं को पढ़ जाता हूँ. जब मैं दुनिया की सारी गंभीर और महत्वपूर्ण पत्रिकाओं को पढ़ जाता हूँ तो मेरी पत्नी आकर कोई ऐसा समाचार सुनती है जिसके बारे में मैंने नहीं सुना होता है. जब मैं उससे पूछता हूँ कि उसने कहाँ से पढ़ा तो वह कहती है कि उसने ब्यूटी पार्लर में एक मैगज़ीन में पढ़ा. इसलिए मैं फैशन मैगजीन्स तथा औरतों की हर तरह की पत्रिकाएं, गॉसिप की पत्रिकाएं, सारी पढता हूँ. और मैं बहुत कुछ सीखता हूँ जो केवल उनको पढ़ने से ही सीखा जा सकता है. इसके कारण मैं बहुत व्यस्त रहता हूँ. 
         
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175 Comments

  1. …आखिरकार मैंने वह स्वर पा लिया, जिसका मैंने बाद में ‘वन हंड्रेड इयर्स ऑफ सालीट्यूड’ में उपयोग किया. वह उस पर आधारित था जिस तरह कि मेरी नानी मुझे कहानियां सुनाती थीं. वे जो बातें बताती थी वे पराभौतिक और काल्पनिक प्रतीत होती थीं, लेकिन उनको पूरे स्वाभाविकता के साथ सुनाया करती थीं. जब मुझे वह स्वर मिल गया जिसमें मैं लिखना चाहता था….
    …और मैं अपनी पसंदीदा किताबों को फिर-फिर पढता हूँ. पुनर्पठन का एक फायदा यह होता है कि आप किसी भी पेज को खोलकर अपने मनपसंद हिस्से को पढ़ सकते हैं. ..
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  2. जीवन को सही तरीके से समझना है तो सब तरह की चिजे पढनी चाहिये…मारकेजजी की यह बात बहुत अछी लगी.

  3. बहुत सुंदर। काश हिन्दी के लेखक-आलोचक फैशन और महिला पत्रिकाएं पढ़ पाते ?

  4. बहुत ही बढियां. मजा आ गया. अनुवाद मैं भी जबरदस्त प्रवाह है और बात में तो खेर दम है ही, हो भी क्यूँ नहीं. आखिर मार्केज जो कह रहे हैं.

  5. आप अकेले में कितनी विविध प्रतिभाएं हैं, उन्हें पहचानना,जानना और सामने लाना भी एक प्रतिभा है एक पत्रकार सिर्फ़ पत्रकार ही नहीं होता..

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  103. Почему главный мошенник «Телетрейда» Сергей Сароян до сих пор не за решеткой?
    Читати українською

    Почему главный мошенник «Телетрейда» Сергей Сароян до сих пор не за решеткой?
    Четверть века обманывать народ – это надо уметь. В этом деле настоящий эксперт – мошенник Сергей Сароян, главарь грандиозного схематоза под названием «Телетрейд» в Украине. Почему же этот «крупнокалиберный» аферист до сих пор гуляет на свободе, а не сидит в тюрьме, как положено? И как о нем отзываются бывшие сотрудники и клиенты: радостного мало…

    На данный момент главарем форексной аферы под неймингом «Телетрейд» на территории Украины является мошенник Сергей Сароян. Он же директор всех местных подразделений компании. Ранее «Телетрейд» возглавлял и «руководил» всеми аферами Владимир Чернобай, который скрываясь от правоохранительных органов, скончался в Европе. Его «дело» наследовали вдова Анна Чернобай и племяш Олег Суворов, а также остальные пособники.

    Сергея Сарояна называют хитрым, одиозным и амбициозным. И это неспроста. Двуличный руководитель «с пеной у рта» раздает обещания, как клиентам, так и сотрудникам. Кстати, об отзывах, как первых, так и вторых, мы расскажем чуть позже в нашем материале, поэтому рекомендуем дочитать до конца.

    Что известно о Сергее Сарояне: коротко

    В 2001 году он закончил Одесскую национальную академию связи им.Попова. На старте своей карьере работал в телекоммуникациях. Женат.

    А на своем фейсбуке, как видите, не скрывает, что он «в теме» и работает в «Телетрейд»… Интересно, что на своей странице в Фейсбуке, а именно в разделе «Информация», он разместил такой «скромный» философский текст «обо всем и ни о чем»:

    Ну, смешно, ей богу… Хотя, с другой стороны, грустно… Ведь люди читают этот бред, а многие ведутся на «профи»… Только вот потом жалуются… правда без толку, как показывает опыт многих пострадавших.

    На протяжении с 2005-го по 2006-й года Сароян курировал региональные направления «Телетрейда» по стране. Под его «крылом» было свыше 30 офисов. Здесь и столица, и мама-Одесса, Харьков, город-Лев, Черновцы и т.д… Стоит отметить, что «повезло» с руководителем «Телетрейда» не только украинским городам. Так же под раздачу Сарояна попали европейские и азиатские офисы: Италия, Португалия, Польша, и т.д. Как понимаете, бабло «лилось рекой» в карманы остервенелым аферистам.

    Кстати, «трудился» товарищ Сароян не за идею. Ему доставалось 3 процента от той самой «идеи»… Ну, вы поняли. Если озвучить простым языком, нам так не жить. Дорого. Богато. Красиво… Для понимания, Сароян получал на выходе свыше 30 тысяч баксов ежемесячно. И это не сейчас! А тогда… давным-давно, как говорится…. Без комментариев. Все подробности – здесь.

    Кстати, вот интересное видео, где Сароян озвучивает, что он глава этой компании аферистов «Телетрейд» в Украине …

    А вот и еще одно занимательное видео о том, как «Телетрейд» общается с реальными клиентами…

    Телетрейд: что известно грандиозном схематозе

    Печально известная на многих континентах мира форексная компания был зарегистрирована в оффшорах на Карибах. Еще три года назад в 2018-м бренд «Телетрейд» был лишен лицензии, а также ему запретили работать на территории Российской Федерации и в Беларуси. Уже в 2019-м МВД России в отношении компании были возбуждены уголовные дела по части 4 статьи 159 УК РФ. Речь идет о мошенничестве в особо крупных размерах. А вот, что касается руководства сей распрекрасной компании, то Владимир Чернобай с племянником Олегом Суворовым смотались за бугор, а также были объявлены в розыск. Кстати, в следующем 2020-м, уголовные дела на эту компанию завели и в Казахстане. Отметим, что там товарищи-руководители уже за решеткой, в отличии от наших…

    Подробности «Синхронной торговли» от Телетрейда

    В сентябре 2020-го в пресс-центре «Интерфакса» прошла пресс-конференция по поводу того, как «давят» масс-медиа в связи со скандальными событиями вокруг трейдерской банды «Телетрейд». Бойня, в прямом смысле этого слова, уже давно продолжается между пострадавшими клиентами и мошенниками.

    На «Телетрейд» уже заведено уйма криминальных дел и не в одной стране. Так, уголовки по мошенничеству в особо крупных размерах открыты в Российской Федерации (ч.4 ст.159 УК РФ). В Казахстане уголовные дела на компанию открыты по статье 190 УК РК.

    Во время пресс-конференции спикеры заявили о том, что на масс-медиа оказывают давление, запугивая. Делают это «защитники», остаивающие интересы «Телетрейда» с целью «закрыть рты» свободным СМИ.

    О мошеннических схематозах проекта «Синхронная торговля» рассказал подробно бизнес-эксперт, глава РК «Амиллидиус» Богдан Терзи.

    Он озвучил, что если раньше за аферы компании «Телетрейд» отвечали реальные люди-трейлеры с подачи руководства, то сейчас этот функционал выполняют роботизированные системы, которые контролируют программисты компании. Ясное дело, что все эти бото-роботы оформлены как «люди» с виртуальным баблом на счетах. Только вот проблема в том, что народ, который подключается к таким «товарищам», вполне реален и не подозревает о «зраде». По итогу люди теряют свои деньги, которые «уплывают» в карманы мошенников. Кстати, у этого «проекта» есть много названий, так как зараза распространилась по всему земному шару: «Sync trading», «Copy trading», «Teletrade invest», ну а в Украине – «Синхронная торговля».

    Невероятно, но факт: по распоряжению Сергея Сарояна бандиты похитили сотрудника «Телетрейд» и требовали 5 тысяч баксов, дабы «не похоронить в болоте»

    Вроде бы мы все живем в реалиях 21 века, в свободном современном обществе, но оказывается, не все так просто. Резонансный случай произошел с одним из сотрудников «Телетрейда». И это только один пример, который придали огласке. А сколько их на самом деле? Вопрос риторический, а теперь подробнее о скандале, который просто «взорвал» информационное пространство.

    Итак, о «похищении с мешком на голове» рассказал сам пострадавший, служащий украинского подразделения Центра биржевых технологий «Телетрейда» Олег Фурдуй, уже бывший…

    Управляющего офисом в Одессе и кризис-менеджера киевского офиса «Телетрейда» Олега Фурдуя выкрали, надели мешок на голову, вывезли в дебри и требовали 5 тысяч баксов, угрожая «похоронить в болоте». Мотивировали тем, что он «давал подсказки» клиентам по выводу бабла.

    Как видим, за помощь клиентам по актуальным вопросам, связанным с выводом своих средств, глава «Телетрейда» Сергей Сароян при помощи своей банды похитил своего сотрудника и даже отобрал выкуп за него у жены Олега.

    И, кстати, в Украине, «дочка» главной мошеннической структуры «Центра Биржевых Технологий», а именно «Телетрейд» признана мошеннической, а сотрудниками СБУ и Генеральной прокуратуры Украины были проведены обыски, в ходе которых изъята техника и ведется следствие.

    Отзывы сотрудников Сарояна и его «Телетрейд»: без комментариев

    Отзывы клиентов Сарояна и «Телетрейд»: здесь вообще аншлаг

    Не будем ничего комментировать, размещаем исключительно комментарии клиентов этой «шарашкиной конторы», позиционирующей себя как «международная компания»…

    Отзывы клиентов, которых «поимела» форекс-компания во главе с Сергеем Сарояном:

    – Наталье Лячиной, клиентке Центра Биржевых Технологий, отказала компания Телетрейд в выводе ее личных средств…

    – клиент Никита Лебединский попал в ситуацию, когда ему под разными предлогами отказывали в выведении средств…

    – еще одна жертва обстоятельств – Ольга Король…

    – компания «Телетрейд» также против того, чтобы вернуть деньги, принадлежавшие клиентке Светлане Клубковой…

    – еще одна жертва мошенников – Ольга Круглякова…

    – а вот Абдулатиф Хашим Альбаргави вообще вложил в «Телетрейд» свыше 500 000 миллиона баксов, а уже через полгода потерял порядка 50 000. При попытке вывести оставшиеся средства, а именно 465 000 долларов, ему доступ к счету заблокировали. Далее деньги со счета вообще пропали. Форексная компания «Телетрейд» украла у своего клиента полмиллиона баксов за ночь. Добиться справедливости вип-клиент не смог.

    Также есть и другие отзывы клиентов «Телетрейда» на разных сайтах:

    Что здесь сказать… Крайне непонятно, почему аферист и мошенник Сергей Сароян до сих пор на свободе, если против него собрано столько компрометирующих материалов? Уже всему миру понятно, что эта «шарашкина контора», то есть «Телетрейд» – это мошенническая организация, которая сливает счета клиентов на собственные оффоры преступным путем. Всем понятно, а нам нет? Что не так с нашей правоохранительной системой? Или этот вопрос можно считать риторическим?

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    Автор статьи :
    Михаил Соколов
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    26 февраля 2021 г., 11:00 Просмотров: 22757 Комментарии : 0
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  104. ОСНОВИ БІРЖОВОЇ СПРАВИ
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    Хочу на курс
    Кому підходить курс?
    Боїтеся відкривати депозити, бо гроші під час війни забрати проблемно
    Хочете інвестувати, але не знаєте, з чого почати
    Розумієте, що потрібно захищати гроші від величезної інфляції
    Мрієте про стабільний пасивний дохід
    Не сподіваєтеся на державну пенсію й хочете накопичити на життя у старості
    Хочете почуватися спокійніше та розуміти, що криза – це не катастрофа для вас
    Особливості навчання
    ТРИВАЛІСТЬ

    2 тижні навчання

    ТИП ЗАНЯТЬ

    Відеоуроки по 15-20 хвилин

    ПРЯМІ ЕФІРИ

    6 практичних воркшопів

    НЕТВОРКІНГ

    Чат студентів у Telegram

    ФОРМАТ НАВЧАННЯ

    Інтенсиви зі зворотним зв’язком

    АКТУАЛЬНА ІНФОРМАЦІЯ

    Про інвестиції в сучасних реаліях

    БОНУСИ ДО УРОКІВ

    Додаткові матеріали та чек-листи

    СКЛАДНІСТЬ

    Прості пояснення, практика, д/з

    Хочу на курс
    Програма курсу
    Вступний модуль. Цілі інвестування
    Уроки

    Цілі інвестування на фондовому ринку
    Перший крок до інвестицій ? брокерський рахунок
    Бонуси

    перелік із цілями інвестування
    трекер студента курсу
    Питання прямого ефіру

    Порівняння інвестицій в нерухомість, золото, бізнес та цінні папери.
    Цінні папери на фондовому ринку України й США.
    Акції та сектори економіки, які можуть принести дохід в поточних реаліях.
    Ваш результат
    Ви визначили свої цілі в інвестуванні. Зрозуміли, які є перспективи інвестування та як максимально ефективно дійти до кінця навчання. Відкрили брокерський рахунок.
    Модуль 1. Інвестування на фондовому ринку
    Уроки

    Що таке фондовий ринок і фондова біржа?
    Банківський депозит VS Цінні папери. 5 міфів в інвестуванні.
    Де ваші гроші, якщо ви інвестуєте в цінні папери?
    Бонуси

    Список бірж, до яких маєте доступ, та огляд інструментів
    Розрахунок середнього річного доходу інвесторів у різні інструменти
    Питання прямого ефіру

    Порівняння інвестицій в нерухомість, золото, бізнес та цінні папери.
    Цінні папери на фондовому ринку України й США.
    Акції та сектори економіки, які можуть принести дохід в поточних реаліях.
    Ваш результат
    Ви чітко знаєте, як працює фондовий ринок та як на ньому можна заробляти. Ви точно розумієте, на яку дохідність можна розраховувати та маєте основу для побудови своєї стратегії.
    Модуль 2. Основні інвестиційні інструменти
    Уроки

    Облігації, як основа інвестиційного портфеля.
    Акції. Інвестиційний і дивідендний дохід.
    Біржові торгові фонди (ETF).
    Агресивне інвестування. Участь в IPO.
    Бонуси

    Розбір головних сфер для інвестування (як циклічно які зростають)
    Порівняльна таблиця інвестиційних інструментів
    Питання прямого ефіру

    Облігації, акції та ETF, як основа інвестиційного портфеля.
    Основні відмінності, переваги та недоліки інструментів.
    Знайомство із сайтами etf.com та dividend.com
    Ваш результат
    Ви розумієте, які є види інвестиційних активів та який дохід приносять. Знаєте, які облігації, акції та ETF будете додавати у свій інвестиційний портфель та у якому співвідношенні.
    Модуль 3. Основи формування інвестиційного портфеля
    Уроки

    Що таке інвестиційний портфель? Типи портфелів.
    Основні підходи до формування інвестиційного портфеля.
    Фактори, які обов’язково потрібно враховувати.
    Помилки, яких потрібно уникати, формуючи портфель.
    Бонуси

    Типи інвестиційних портфелів
    Принципи роботи довгострокового інвестора
    Питання прямого ефіру

    Розбір реальних інвестиційних портфелів та аналіз помилок.
    Як вам сформувати свій інвестиційний портфель у сьогоднішніх умовах.
    Ваш результат
    Ви розумієте, які є види інвестиційних активів та який дохід приносять. Знаєте, які облігації, акції та ETF будете додавати у свій інвестиційний портфель та у якому співвідношенні.
    Модуль 4. Основи технічного аналізу. Аналіз графіка ціни
    Уроки

    Основні ідеї та постулати технічного аналізу.
    Ідентифікація тренду. Як розпізнати зміну тренду.
    Основні інструменти технічного аналізу: рівні та трендові лінії.
    Торгові сигнали для відкриття позиції
    Питання прямого ефіру

    Використання рівнів і трендових ліній. Розгляд прикладів.
    Аналіз графіків ціни. Пошук торгових сигналів.
    Ваш результат
    Ви вмієте за графіком ціни активу визначати, куди буде рухатися ринок далі та коригувати на основі цього свій інвестиційний план на найближчий час. Розумієте різницю між різними типами графіків і знаєте, як використовувати кожен із них для аналізу інвестиційної привабливості активу в конкретний момент.
    Модуль 5. Купівля цінних паперів
    Уроки

    Типи графіків ціни: лінійний, бари і японські свічки.
    Інструменти аналізу графіка ціни. Сервіс Tradingview.
    Типи наказів: ринковий, лімітний, стоп- і стоп-лімітний наказ.
    Бонуси

    Шаблон щоденника інвестора на щодень
    Питання прямого ефіру

    Розбір графіків

    Ваш результат

    Купуєте цінні папери й починаєте інвестувати.
    Модуль 6. Психологія інвестування. Підсумкове практичне заняття
    Уроки

    Реальні емоції трейдерів та інвесторів. Приклад угоди.
    Основні емоційні помилки інвесторів-новачків.
    Питання прямого ефіру

    Аналіз фондового ринку. Підготовка до торгівлі
    Технічний аналіз. Пошук торгових сигналів. Відповіді на запитання.
    Ваш результат

    Ви знаєте в обличчя основних ворогів інвестора, а, отже, будете краще контролювати свої емоції у реальних угодах. Ви складете у єдиний пазл знання, одержані на попередніх заняттях.
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    На навчальній платформі

    Навчальні відео, роздаткові матеріали, бонусні файли, домашні завдання та фідбеки від леткора — все в одному місці.

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    14 – 26 квітня

    Після оплати отримаєте деталі по навчанню на email. Доступ до уроків на платформі відкриється у день старту потоку.

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    Розумієте, як влаштований фондовий ринок і всі його нюанси

    Розібралися, які інвестиційні інструменти підходять саме вам

    Склали інвестиційну стратегію та почали формувати інвестиційний портфель

    Оцінюєте ризики та розумієте, як діяти в умовах кризи

    Купили свої перші цінні папери, які вибрали на основі технічного аналізу

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