आज प्रेम रंजन अनिमेष की गज़लों के साथ आप सभी को जानकी पुल की तरफ से नए साल की शुभकामनाएं
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( 1 )
(ग़ालिब से थोड़ी गुस्ताखी की हिमाकत करते हुए)
कोई उम्मीद लौट कर आये
कोई सूरत कहीं नज़र आये
प्यार बनकर जुनूँ चढ़ा सर पर
इक भरोसे सा दिल के दर आये
सुब्ह के भूले से कोई कह दे
शाम से पहले दोपहर आये
जाता बादल क्यों मुड़ के देखेगा
लौटते वक्त तो इधर आये
कोई जि़द ले के घर में बैठा है
उसके दर तकये रहगुज़र आये
ख़ुशनुमा दिन है साल का पहला
कोई अच्छी भली ख़बर आये
हाथ दिल पर है होंठ होंठों पर
बात कैसे ज़बान पर आये
सर्द आँखों पे धूप का चश्मा
जि़दगी किस तरह नज़र आये
आगे आती थी हाले दिल पे हँसी
अब यही बात सोच कर आये
उसके आने का दिन कहाँ मंसूब
जाने किस वक्त और किधर आये
हम वहाँ हैं जहाँ नहींहम ही
और दुनिया की हर ख़बर आये
ले के सारा जहान फिरताहै
तब तो घर में रहे जो घर आये
नींद आये तो किस तरह आखि़र
नींद से पहले आँख भरआये
देखता राह कबमैं मंजि़लकी
हूँ सफ़र कि हमसफ़र आये
आदमीयत जहाँ नहीं जि़दा
हो शजर भी तो क्या समर आये
वरना जम जायेगा रगों में ही
अब लहू आँख में उतर आये
जान जाने के हर तरफ़ चर्चे
कुछ तो आने की भी ख़बर आये
स्याह मंज़र है दूरतक फैला
सुर्ख़ सूरज कहीं उभर आये
खोलकर नामाबर ही पढ़ लेता
ख़त क्यों ‘अनिमेष’ लौट कर आये
( 2 )
अच्छी ख़बर कहीं से आये
झोंका इधर कहीं से आये
उसके लिए न जाना उस तक
सूरज नज़र कहीं से आये
घर की हर दीवार में खिड़की
बाहर नज़र कहीं से आये
लड़की पानी पाती बानी
ख़ुशबू डगर कहीं सेआये
ठहरा जल है फेंको कंकड़
दिल में लहर कहींसे आये
इतना सूना सा है गूँजे
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