महान रोमांटिक कवि पी बी शेली की कविताओं पर यह लेख लिखा है युवा कवि अंचित ने। आप भी पढ़ सकते हैं- मॉडरेटर
========================================================
कविता क्यों लिखी जाये या कविता का इस्तेमाल क्या है या कविता और समाज के बीच क्या संबंध है, ये कोई नए प्रश्न नहीं हैं बल्कि ये इतने पुराने प्रश्न हैं कि ग्रीक और रोमन दार्शनिकों एवं सौन्दर्यशास्त्रियों के बीच भी हमेशा गंभीर विमर्श का विषय बने रहे और वहाँ से एक ऐसी धारा की शुरुआत हुई जो फिर विभिन्न पश्चिमी भाषाओं में फैली और पुष्ट होती गई। अंग्रेज़ी साहित्य में भी कविता के उपयोग और उसकी प्रासंगिकता पर प्रश्न उठाने वाले लोग कम नहीं रहे और अंग्रेज़ी नवजागरण के समय से ही जैसे जैसे कविता समृद्ध हुई वैसे-वैसे उसपर हमले भी बढ़े। ऐसे में कविता के सबसे बड़े पक्षकारों में अभिजात्य सर फ़िलिप सिडनी का नाम आता है। यह भी सोचने वाली बात है कि तब तक इंग्लैंड का अधिकांश तबका पढ़ाई लिखाई से वंचित था और अंग्रेज़ी कविता मुख्यत: वहाँ के अभिजात्य वर्ग की ही संपत्ति थी। एक बहुत ही धार्मिक वर्ग ने कविता को समाज में मौजूद व्यैक्तिक भ्रष्टाचार से जोड़ा और प्लेटो वगैरह का हवाला देते हुए कविता पर नैतिक प्रश्न उठाए। एक तरह से यह ठीक भी हुआ कि इस आरोप के जवाब में अंग्रेज़ी आलोचना में कविता के पक्ष कई सुंदर काम हुए और इसमें भी यह कि अपने समय के लगभग हर बड़े कवि ने इस प्रश्न से इंगेज किया और अपने तर्क प्रस्तुत किए।
मेरी समझ से शेली ने अगर और कुछ नहीं भी लिखा होता और सिर्फ़ “अ डिफेंस ऑफ पोएट्री” भी लिखा होता तो विश्व साहित्य के इतिहास में उनकी एक विशिष्ट जगह बनती। लेकिन एक कवि की बात करते हुए उसके गद्य और वह भी उसके “लिटरेरी क्रिटिसिज्म” की चर्चा से उसपर बात करने का क्या तात्पर्य है? दरअसल इसी का उत्तर शेली की प्रासंगिकता को स्थापित करता है और उनकी कविता को पढ़ने के सारे सूत्र पाठक के सामने प्रस्तुत करता है। उत्तरआधुनिकता और उत्तर सत्य ने कम से कम हिंदी साहित्य में न सिर्फ़ आलोचना को “जिसकी लाठी उसकी भैंस” के मुहावरे में बाँध दिया है बल्कि नवउदारवाद जनित हिंसक संस्कृति ने आलोचना के नाम पर सोशल-मीडिया-ट्रोलिंग को मान्यता प्रदान कर दी है। ऐसे में कविता को लेकर सचेतन होना कवि-धर्म नहीं रह गया, न कविता का परिवर्तनकारी राजनीति का मुखपत्र होना। इन परिस्थितियों में “कविता क्यों” का सवाल बहुत पीछे छूट गया है और “ट्रेंडिंग-सेलिब्रिटी” होना ही कवियों का मूल लक्ष्य हो गया है। ऐसे में कविता का रास्ता, उसका प्रयोजन और कवि-कर्म को लेकर शेली की स्थापनायें बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती हैं और ज़रूर ही कुछ ऐसे सूत्र देती हैं जो इस घटाटोप से निकलना चाहने वाले कवियों के लिए मददगार हो सकती हैं। ऐसा क्या है शेली की कविता में और उनके लिखे “लिटरेरी क्रिटिसिज्म” में जो करना किसी भी कवि के लिए एक ज़रूरी काम होना चाहिए।
सबसे पहले तो ‘डिफेंस’ कविता के होने को आधार प्रदान करता है फिर उसके मूल की विवेचना करते हुए मानव सभ्यता को कविता की क्या ज़रूरत है, इसपर विश्लेषण करता है। न सिर्फ़ निजी जीवन बल्कि नागरिक जीवन में भी कविता की क्या भूमिका है, इस पर बात करते हुए शेली बताते हैं कि कविता मानव मस्तिष्क को यह विस्तार प्रदान करती है कि वह विभिन्न भावबोधों और विचारों को ग्रहण कर सके और विश्व के महानतम आनंद अनुभव कर सके। ऐसे समय में जब कविता के होने पर कई सवाल उठाए गए, फ्रेंच क्रांति के तुरंत बाद हुआ यह अंग्रेज़ी कवि, जो अंग्रेज़ी रोमांटिसिज्म के पाँच प्रमुख नामों में से एक है, कवि को सामाजिक परिवर्तन के एक महत्वपूर्ण कारकों में से देख रहा था। शेली के लिए कवि एक भविष्यवेता है, इस वैश्विक संसद का एक महत्वपूर्ण सांसद है और सबसे बढ़कर एक क्रांतिकारी नायक है जिसको न सिर्फ़ नायकत्व की नैतिकता का मान रखते हुए परिवर्तनकारी राजनीति करनी है बल्कि एक दार्शनिक नायक की तरह इस जीवन की परेशानियों और रास्ते की अचड़नों के सामने अपनी विराटता का परिचय भी देना है। यह एक अनूठी नैतिकता है जो शेली की कविताओं में भी खूब भरी है। यूँ तो शेली की कई कविताओं का ज़िक्र किया जा सकता है क्योंकि उन्होंने अपने समकालीन कवियों की तरह “फॉर्म” के स्तर पर खूब प्रयोग किए और सॉनेट्स जैसी पारंपरिक कविताओं के साथ-साथ “क्लोज़ेट ड्रामा” भी लिखा। शेली के प्रमुख काम जिनका ज़िक्र हमेशा होना चाहिए या जिनसे उनको पढ़ने की शुरुआत करनी चाहिए, वे ये हैं – “ओड टू द वेस्टविंड”, “द मास्क ऑफ़ एनार्की”, “द क्लाउड” और अपने समकालीन कवि और मित्र कीट्स की मृत्यु पर लिखी एलेजी, “एडोनाइस” (अदुनिस)।
“वेस्ट विंड” शायद शेली की सबसे क्रांतिकारी कविता है और सबसे मशहूर भी। शेली के दृश्य में आते-आते, मध्यकालीन प्रकृति-मनुष्य संबंधों में गहरा बदलाव हुआ था और मनुष्य के केंद्रीकरण के साथ-साथ प्रकृति में मौजूद ऊर्जा के विभिन्न पाठ होने लगे थे। शेली इस ऊर्जा को बदलाव के एक कारक की तरह देखते हैं। प्रकृति पुरानी जड़ता को नष्ट कर, एक नई सृष्टि को जन्म देती है, जैसा विचार शेली की रोमांटिक सोच का प्रधान अंग है। पाँच कैण्टो में लिखी इस कविता में शेली “वेस्ट विंड” को उस क्रांतिकारी शक्ति की तरह देखते हैं जो पतझड़ और शरद (इंग्लैंड में ये मौसम बहुत क्रूर और भीषण होते हैं) की जड़ता, उनके ठंडेपन और उनकी शोषक चरित्र से छुटकारा दिलाती है और बसंत की ओर ले जाती है। बसंत जो बदलाव से आता है पर सबसे ज़रूरी कि बदलाव स्वत: नहीं होता, उसको लाना पड़ता है।।कवि यहाँ कोई दूर बैठा द्रष्टा नहीं है बल्कि इस चाह से बना है कि वह भी इस बदलाव का अंग बने या उसके सफलतापूर्वक आने में शामिल रहे।यह भी ध्यान में रखना होगा कि शेली, मार्क्स से पहले आते हैं और भले ही फ़्रेंच क्रांति का प्रभाव उनपर है लेकिन वे इस तरह तो उदारवादी बिल्कुल नहीं हैं कि किसी तरह के सत्ता केंद्र पर अटूट भरोसा कर सकें। यह उदारवादी लोकतंत्र की सरलताओं से आगे की सोच है और इसलिए शेली भी भविष्यवेता हैं। बल्कि बेहतर की तरफ़ होने वाले बदलाव में शामिल होने की चाहत उनको मार्क्स के उस कथन के बिल्कुल नज़दीक ले जाती है जिसमें मार्क्स यह घोषणा करते हैं कि दार्शनिकों ने दुनिया को समझा है और वे इसे बदलना चाहते हैं। शायद इसलिए शेली को मार्क्स के पहले का मार्क्सिस्ट भी कहा गया है। वे उम्मीद के कवि हैं और ये उम्मीद व्यवस्था के प्रति असंतोष से बनी है न कि किसी अमूर्त स्वप्न से या एकपक्षीय आकांक्षा से। अंतर्विरोध और अंतर्द्वंद, शेली की कविताओं के साथ-साथ उनके जीवन के भी अभिन्न हिस्से रहे हैं। इस कविता के फॉर्म पर जेमिसन ने “द पोलिटिकल अनकॉन्शियस” में लिखा है जिसको देखना चाहिए।
उनको उनके विश्वविद्यालय से निष्कासित किया गया क्योंकि उन्होंने नास्तिकता के पक्ष में एक पर्चा लिखा जोकि उस समय के धार्मिक इंग्लैण्ड में सत्ता/चर्च को पचा नहीं। उनके जीवन का शगल लगातार मानवीय समाज के बनाए नियम-क़ायदों तो तोड़ने और उसके बंधनों से टूटने का रहा और इंग्लैंड की तब की नैतिकता उनके इस विरोध को पचा नहीं पायी। उनपर कई आरोप लगे। स्त्री-पुरुष संबंधों को भी उन्होंने पारंपरिक नज़रिए इस इतर देखा और जीवन में अपनाने की कोशिश की। यह सोचना रोचक है कि ‘पोलिटिकल करेक्टनेस’ वाले इस उत्तरआधुनिक समय के विमर्शों में शेली को कैसे देखा जाएगा। जैसे उनके समकालीन बायरन को। अन्य रोमांटिक कवियों की तुलना में शेली सबसे नज़दीक उनसे ही ठहरते हैं।
प्रमुख रोमांटिक कवियों के साथ उनको देखना बहुत रोचक है। वर्ड्सवर्थ की शुरुआती कविताओं को भले ही शेली ने पसंद किया होगा, अगर शेली जीवित रह जाते तो वडर्सवर्थ को सत्ता से मिल जाने की वजह से किस हिकारत से देखते इसकी अब कल्पना ही की जा सकती है। कोलरीज़ की कल्पना शक्ति के प्रशंसक होने के बावजूद रैडिकल शेली को बाद के कोलरिज की धार्मिक रूढ़िवादिता से दिक्कत थी। कीट्स की असमय मृत्यु होने के बाद शेली ने कीट्स की याद में “एडोनायस” नाम की जो कविता लिखी उसमें कीट्स के प्रति उनका अनुराग और प्रेम देखा जा सकता है। शेली, कीट्स को सत्य और सुन्दरता का दार्शनिक मानते थे और उनकी असमय मृत्यु का उन्हें गहरा क्षोभ हुआ।
अंग्रेज़ी कविता में शेली अनूठे हैं क्योंकि वे क्रांति के प्रथम समर्थक कवि की तरह देखे जा सकते हैं। जो क्रांतिकारी संवेदनाएँ, शेक्सपियर के यहाँ, जिनको शेली बहुत पसंद करते थे, कहीं कहीं छोटे टूटते तारों की तरह क्षण भर चमक जाती हैं, वही संवेदनाएँ शेली की कविता की आकाशगंगा में लगातार रौशन होती रहती हैं। उनका राग बिल्कुल अलग और विरल है और ऐसे द्वन्दों से भरा है कि उसमें भविष्य की विश्व-कविता के सारे बीज हैं। यही शेली की महानता भी है और उनकी प्रासंगिकता को भी स्थापित करता है। हिंदी में भी अरुण कमल ने शेली को याद करते हुए एक कविता लिखी है, जो शेली के कवि से एक गहन संवाद है और उनकी विश्व-दृष्टि को समग्रता से एक जगह जमा करती है। अंग्रेज़ी के ही धार्मिक और पारंपरिक कवियों को शेली से काफ़ी आपत्ति रही और इनमें एलियट और आर्नोल्ड जैसे कवि हैं जो इतने रूढ़िवादी रहे कि शेली का जीनियस समझ ही नहीं पाये। फिर भी शेली को अर्नोल्ड ने देवदूत कहा तथा मार्क्स और उसके बाद के क्रांतिकारियों के लिए शेली वह कवि थे जिन्होंने पश्चिमी परंपरा में आग चुराने के आरोप में अनंत काल तक शापित प्रोमेथ्यू को मुक्त किया था और बसंत के अगुआ बन गए थे – अगर शरद आ गया है, तो बसंत कितना ही पीछे होगा?
=====================
लेखक संपर्क: anchitthepoet@gmail.com